November 13, 2025

देश में आजादी के 75 साल बाद भी मेडिकल साइंस में पीछे क्यों?,आम आदमी को उपचार मिलना शेष है


विकसित और यूरोपीय देशों की तुलना में भारत मेडिकल साइंस में बहुत पीछे हैं जबकि अन्य देशों की तुलना में हम सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। भारत की तुलना में यूएस, यूरोपीय देश, सबसे आगे है।हम अपनी जनता को इलाज की जरूरत पूरी नहीं कर पाते हैं। जबकि भारत में 780 मेडिकल कॉलेज में 118000 सीट एमबीबीएस की हैं। आजादी के 78 साल बाद भी आम आदमी को सरकार की ओर से मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं है। बड़े बड़े महानगरों में स्थापित बड़े और नामी ग्रामी अस्पताल धनाढ्य लोगों के लिए बने जो प्रतिदिन एक मरीज से पचास हजार रुपए तक बसूलते है। जबकि भारत में आम आदमी की औसत आय 15 से 20 हजार रुपए महीने है । सरकारी अस्पताल में अफरातफरी मची है और इलाज के लिए महीनों का इंतजार है और तब तक मरीज मौत के मुंह में समा जाता है।
स्टडी फॉर इंटरनेशनल मेडिकल साइंस की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया, अफ्रीका के देश मेडिकल साइंस में बहुत पीछे हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, सीरिया, लेबनान, लीबिया, और भारत में लोक स्वास्थ्य की हालत ठीक नहीं है।उसने इंग्लैंड के ग्लासको शहर को मेडिकल साइंस में अगरणीय माना है । बताया जाता है कि स्कॉटलैंड के इस शहर दवाइयां बिकती नहीं हैं बल्कि चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन पर मुफ्त दी जाती हैं और यहां पर प्रत्येक नागरिक का एक आईडी है जिसमें उसके स्वास्थ्य का ब्यौरा है। बीमार होने पर एंबुलेंस लेकर जाती है और अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और ठीक होने पर घर छोड़ा जाता है। इसका कोई व्यय नहीं होता है।
भारत के बारे माना जाता है कि जब एलोपॅथी का ईजाद नहीं हुआ था तब भी हमारे धन्वंतरि नामक ऋषि ने आर्युवेद से तत्कालीन समय में बहुत बीमारियों का उपचार विकसित किया । एलोपैथी की खोज लुई पाश्चर नामक वैज्ञानिक ने की
उन्होंने घोड़े की लीद से किडवान कर पेनिसिलिन नामक रक्षित द्रव्य बनाया। फिर शनै शनै तमाम यूरोपीय देशों ने दवाइयां बनाई , शल्य चिकित्सा आरंभ हुई।
भारत में ब्रिटिश राज्य में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए जिनमें किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ, मद्रास, ब्रिटिश रेजिडेंसी मेडिकल कॉलेज कलकत्ता, मिंटो मेडिकल कॉलेज देहली, लेडी इरबन मेडिकल कॉलेज, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज,आदि प्रमुख थे।

आजादी के बाद भारत सरकार ने 250 से अधिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल स्थापित किए।अब बढ़ाकर 780 हो चुके हैं । जवाहर लाल नेहरू ने एम्स देहली बनवाया।
भारत अब 145 करोड़ आबादी है । यूरोपीय देशों से तुलना करे तो 10000 से अधिक हॉस्पिटल होना चाहिए ।भारत में 500 से अधिक जिले और 4000 से अधिक तहसील हैं 5000 विधानसभा क्षेत्र है । आम आदमी को इलाज के लिए रिस्क कवर नहीं है ।आम आदमी को कैंसर, एम डी आर, न्यूरो तकलीफ,ब्लाइंड नेस, यूरोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, आदि समस्या के निदान के लिए देहली, कोलकाता,मुंबई,चेन्नई, नागपुर, बनारस, आगरा, लखनऊ, चंडीगढ़, गोरखपुर, प्रयागराज, पुणे, ग्वालियर, इंदौर दरभंगा, पटना, बेगुसराय, सीतामढ़ी, आदि शहरों का रुख कर ना पड़ता है।जो आम आदमी के हैसियत से बाहर की बात है। वास्तव में देखा जाय तो स्वास्थ्य भारत में एक चुनौती कार्य है क्योंकि हम इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश हैं
नेशनल मेडिकल कमीशन की 2025 की रिपोर्ट में कहा है कि भारत को कम से कम 10000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,5000 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र,800 जिला अस्पताल, इतने ही मेडिकल कॉलेज और दो लाख एमबीबीएस की सीटे और 50000 हजार पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर,5000 डीएम,एमसीएच, चिकित्सक चाहिए क्योंकि नव निर्मित और स्थापित मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी का बहुत अभाव है।
मेडिकल कॉलेज, जिला आसपास में नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, कार्डियो, ऑनकोलॉजी,के एसोसिएट, असिस्टेंट, प्रोफेसर डॉ नहीं हैं।
ऐसा भी नहीं है कि भारत में मेडिकल साइंस के क्षेत्र में कोई कार्य नहीं किया है। ट्यूबरक्लोसिस,पोलियो, घोंघा, आदि पर पूर्ण निवारण किया है।