मनरेगा कर्मियों के नारों से गूज उठी राजधानी
देहरादून । उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सोमवार को मनरेगा कर्मियों के नारों से गूंज उठी। पूरे प्रदेश से हजारों की संख्या में आए मनरेगा कर्मचारी मुख्यमंत्री आवास तक कूच कर गए और “नियमितीकरण हमारा अधिकार है”, “वेतन दो या पदस्थ करो” जैसे नारों से राजधानी की सड़कों को हिला दिया। मुख्यमंत्री आवास के पास पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कड़ी बैरिकेडिंग की, लेकिन कर्मचारियों का जोश रुकने वाला नहीं था।
सुबह से ही विभिन्न जिलों — पिथौरागढ़, पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, चंपावत और उत्तरकाशी — से कर्मचारियों के जत्थे देहरादून पहुँचे। दिलाराम चौक से जब रैली मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ी, तो माहौल पूरी तरह आंदोलनकारी हो गया। नारों और बैनरों से पूरा इलाका गूंज उठा। प्रदर्शन का नेतृत्व उत्तराखंड मनरेगा कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष महादेव प्रसाद कर रहे थे, जिनके साथ राज्यभर से आए ब्लॉक और जिला अध्यक्ष भी मौजूद थे।
कर्मचारियों ने कहा कि वे पिछले 15 से 18 वर्षों से संविदा पर कार्य कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी सेवाओं का नियमितीकरण नहीं किया गया। उनका कहना है कि राज्य सरकार हर बार आश्वासन देती है, पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेती। “हम मनरेगा की रीढ़ हैं, लेकिन हमारी स्थिति अस्थिर है। हमें स्थायी सेवा चाहिए, वेतन में वृद्धि चाहिए और समय पर भुगतान चाहिए,” संगठन के अध्यक्ष महादेव प्रसाद ने कहा।
मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ते कर्मचारियों को हाथीबड़कला चौक के पास पुलिस ने रोक लिया। बैरिकेडिंग के कारण कुछ देर हल्की नोकझोंक भी हुई, लेकिन कर्मचारियों ने संयम बनाए रखा। प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर प्रतिनिधियों से वार्ता की। सूत्रों के अनुसार, कर्मचारियों को जल्द उच्चस्तरीय बैठक बुलाने और उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया गया।
देहरादून के जिलाधिकारी और ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि कर्मचारियों की मांगों को सरकार के सामने रखा जाएगा और मुख्यमंत्री स्तर पर इस मुद्दे पर विचार होगा। प्रशासन ने बताया कि सीएम आवास क्षेत्र की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था, लेकिन स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में रही।
मनरेगा कर्मियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो वे राज्यव्यापी कार्यबहिष्कार और अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगे। “हम अब पीछे नहीं हटेंगे। अगर सरकार ने अनदेखी की, तो आने वाले दिनों में पूरा प्रदेश मनरेगा कर्मियों के साथ सड़कों पर होगा,” संगठन की सचिव कविता रावत ने कहा।
गरुड बागेश्वर के मनरेगा कर्मचारियों का कहना हैं कि 18 साल तक लगातार सेवा देने के बाद भी हमे मात्र आस्वासन के सिवा कुछ नही मिल पाया हैं। संजय कांडपाल ,गोविंद थायत सहित सभी कर्मियो का कहना हैं कि सरकार को हमारी जायज मांगों को गम्भीरता से लेना चाहिए कि अब उम्र के इस मोड़पर हम न घर के रहे हैं और ना ही घाट के। साथ ही उन्होंने अब जबरदस्त हड़ताल की भी चेतावनी दी हैं।
मनरेगा योजना गांवों में रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत है, लेकिन उत्तराखंड में इसके क्रियान्वयन से जुड़े कर्मचारियों की स्थिति बेहद अस्थिर है। वर्षों से संविदा पर कार्य करने वाले इन कर्मचारियों को न नियमित पद मिला है, न पेंशन, न सेवा सुरक्षा। ऐसे में यह आंदोलन केवल नौकरी की नहीं, बल्कि गरिमा और स्थायित्व की लड़ाई बन गया है।
दिलाराम चौक, सर्वे चौक और हाथीबड़कला क्षेत्र में दोपहर तक यातायात प्रभावित रहा। पुलिस को ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ा। शाम तक अधिकांश प्रदर्शनकारी लौट गए, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अगर मांगे नहीं मानी गईं, तो अगली बार सिर्फ घेराव नहीं, धरना भी देंगे।
देहरादून का यह प्रदर्शन सरकार के लिए एक साफ संदेश है कि मनरेगा कर्मचारी अब केवल आश्वासन नहीं, स्थायी समाधान चाहते हैं। राज्य सरकार पर अब दबाव है कि वह जल्द ही कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा ठोस निर्णय ले।
