December 5, 2025

विशेष सत्र:प्रदेश के भविष्य पर चर्चा, नेता प्रतिपक्ष बोले- कर्ज में डूबा प्रदेश


देहरादून ।  उत्तराखंड रंजत जयंती के अवसर पर दो दिवसीय विधानसभा का विशेष सत्र आज शुरू हो गया है। इसमें उत्तराखंड के भविष्य को लेकर चर्चा की गई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि 25 वर्षों की विकास यात्रा का हमने लंबा सफर तय किया। कई उतार चढ़ाव भी देखने को मिले। मैं उत्तराखंड की जनता को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देना चाहता हूं। नौ नवम्बर को राज्य स्थापना के दिन सबके चेहरे पर ताजगी थी। हर्ष उल्लास था। सबको उम्मीद थी कि अब सपने सच होंगे। सबको खुशी थी कि हमने एक महत्वपूर्ण धरोहर पा ली है। लेकिन हमें अतीत के पन्नों को पलटना होगा।  इसमें किसी दल, धर्म का योगदान नहीं था सबने उत्तराखंड बनाने का संकल्प लिया था। हम अहिंसात्मक रूप से अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष और विधायक भगत में तीखी बहस: सदन में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक बंशीधर भगत में तीखी बहस हुई। विधायक ने नेता प्रतिपक्ष को कहा कुछ समझ नहीं आ रहा। कांग्रेस विधायकों ने तंज कसा की इतने वरिष्ठ सदस्य को अपनी ही सरकार में धरना देना पड़ा।
25 वर्ष की यात्रा को पहाड़ के नजरिये से देखना होगा। चिपको आंदोलन होता था। शराब की दुकान के विरोध में महिलाएं दराती लेकर खड़ी हो जाती थी। हमारी मां बहन बेटियों ने दिल्ली तक हुंकार भरी। उनकी भावनाओं को समझना होगा। आशाएं धूमिल हो रही हैं। तीर्थ नगरी ऋषिकेश, यमुनोत्री में शराब की दुकान खुल रही है।
डबल इंजन की सरकार, कर्ज में डूबा उत्तराखंड:    2017 में 40,000 करोड़ का कर्ज, 2025 में एक लाख करोड़ पार हो गया। वजह क्या है। क्या सरकार ने आय बढ़ाने के कोई ठोस उपाय किये? उत्पादकता बढ़ाने की पहल की। हर माह 200 से 300 करोड़ का कर्ज सरकार बाजार से ले रही है। 2016-17 में 19.50% राजस्व वृद्धि दर थी जो अब 11 % रह गई है। हंगर इंडेक्स में हमारी हालात दयनीय हैं। प्रति व्यक्ति आय भी 1.73 लाख तक पहुंची थी जो अब ठहर सी गई है। इससे आगे नहीं बढ़ पाए। बेरोजगारी देश मे सर्वाधिक है। 1200 गांव वीरान हो चुके हैं। कई गांव घोस्ट विलेज घोषित हो चुके। 35 लाख लोग राज्य बनने के बाद पलायन कर चुके हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट, 55% रोजगार, 15% शिक्षा, 10% लचर स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से पलायन कर गए। आज भी 15 लाख बेरोजगार…1 लाख से ऊपर पद रिक्त हैं। जिन्हें भरने की जिम्मेदारी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की थी लेकिन नकल माफिया सत्ता के करीबी। नकल जेहाद की बात करते हैं। नौजवान सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। ये उत्तराखंड राज्य की बदरंग तस्वीर है। भाजपा की सरकार ने बदरंगी तस्वीर बनाई है।  पेपर लीक हो गया। अस्पतालों की दशा ये है कि अब रेफरल सेंटर बन गए। चौखुटिया से आवाज उठाई  गई है। वो पैदल यात्रा करके देहरादून आ रहे हैं। वो आम आदमी हैं। बेहतर होता कोई जिम्मेदार मंत्री जाते और मांग को जायज बताकर वहां विशिष्ट डॉक्टर होंगे। सैटेलाइट सेंटर सीमांत जनपदों में क्यों

नहीं खुलने चाहिए। मुख्य मार्ग तक आने में महिला का प्रसव हो जाता है। देवभूमि की इस तस्वीर को पूरा देश देख रहा है। 2047 में उत्तराखंड देश का श्रेष्ठ राज्य बनेगा लेकिन वो अभी बहुत दूर है।
जॉर्ज एवरेस्ट की भूमि का मामला भी सदन में गरमाया। पर्यटन विभाग इस लैंड के सुन्दरीकरण के लिए लोन लेता है। ये जमीन एक करोड़ सालाना की दर पर किराए पर दे दी जाती है। बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की पहल करनी चाहिए। कमजोर वर्ग, एससी, एसटी की जमीनें छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
शराब माफिया, भू माफिया का गठजोड़ है। खुलेआम अधिकारियों का संरक्षण है। अफसर शाही इतनी निरंकुश हो सकती है, उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। जिला पंचायत चुनाव के दौरान नैनीताल में हमारे 6 सदस्यों को बंदूक की नोक पर उठा ले जाते हैं। हम पर ही मुकदमे दर्ज हो जाते हैं। हमने नैनीताल के एसएसपी को सस्पेंड करने की मांग की थी। डीएम को हटाने की मांग की थी। सरकार ऐसे अधिकारियों को संरक्षण देती है। वक्त आएगा। वक्त बदलेगा। सबका हिसाब किया जाएगा।
अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को यूसीसी से बाहर कर दिया गया। क्या वे प्रदेश के बाहर की थी। 4% जनजाति यहां निवास करती है। क्या वो लैंगिक समानता की अधिकारी नहीं थी। दो जिलों के लिए भू कानून अलग और 11 जिलों के लिए अलग कानून ? कहा कि हरीश रावत सरकार ने केदारनाथ आपदा के समय व्यक्तिगत आकलन के आधार पर मुआवजा दिया था लेकिन क्या आज आपदा प्रभावित को सरकार ने मदद दी। सरकार आपदा में पुनर्वास का आंकड़ा दे। क्या ये उत्सव मनाने का वक्त है। कॉमेडी शो हो रहे हैं। दिल्ली मुंबई से कलाकार आकर हास्य परिहास कर रहे हैं। ये उन पीड़ितों के आंसू पोंछने का समय था। सरकार को सच को स्वीकार करना चाहिए। सकारात्मक राजनीति करिए।

पलायन और वन कानूनों की जटिलताओं से जूझ रहा उत्तराखंड: नेता प्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विशिष्टताओं के साथ-साथ राज्य की जमीनी चुनौतियों पर गहन चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जहां हिमालय की गोद में बसे देवताओं की आत्मा वाला प्रदेश है, वहीं यह प्राकृतिक विपदाओं, पलायन और वन कानूनों की जटिलताओं से भी जूझ रहा है। आर्य ने कहा कि उत्तराखंड अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण दक्षिण एशिया में विशेष स्थान रखता है। नेपाल और तिब्बत से सटी सीमाएं इस प्रदेश को सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं। हिमालय और यहां से निकलने वाली नदियां आधे भारत की प्यास बुझाने का काम करती हैं और गंगा-जमुनी संस्कृति का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं हमेशा जल, जंगल और जमीन की रक्षा में अग्रणी रही हैं। रैणी गांव से प्रारंभ हुआ विश्वविख्यात चिपको आंदोलन इसी प्रदेश की बेटी गौरा देवी के नेतृत्व में हुआ था। उन्होंने कहा कि जब भी पर्यावरण पर संकट आया, यहां की महिलाओं ने जंगलों को अपना मायका मानकर उनकी रक्षा की। राज्य की चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं ने उत्तराखंड को कई बार झकझोरा है। इस वर्ष की बरसात में गंगोत्री, चमोली, रुद्रप्रयाग और देहरादून जैसे क्षेत्रों में कई लोगों की जानें गईं। उन्होंने कहा कि जहां जंगल दुनिया के पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं, वहीं वन्यजीवों के कारण किसानों की खेती नष्ट हो रही है। उन्होंने वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन में देरी को राज्य की विडंबना बताया। कहा कि 2006 में संसद से पारित होने के बावजूद 65 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले राज्य में अब तक मुश्किल से दर्जनभर मामलों में ही अधिकार दिए गए हैं। आर्य ने रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन की ओर भी राष्ट्रपति का ध्यान खींचा। आर्य ने कहा कि शिक्षा और तकनीकी संस्थान स्थापित होने के बावजूद पर्वतीय क्षेत्रों में व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा का अभाव है। उन्होंने कहा कि पंचवर्षीय योजनाओं में अरबों रुपये खर्च होने के बावजूद प्रदेश की मूलभूत समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, ऊर्जा, पर्यटन, कृषि और रोजगार के क्षेत्रों में अभी भी निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।