3.30 से 90 तक, डॉलर के मुकाबले रुपये की 78 साल की सबसे बड़ी गिरावट
नई दिल्ली । भारतीय रुपया बुधवार को इतिहास में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ?90.32 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. अप्रैल 2025 से अब तक रुपये में लगभग 4–5त्न की गिरावट दर्ज की गई है. लगातार कमजोर हो रही वैश्विक आर्थिक स्थिति, डॉलर की मजबूती और घरेलू अनिश्चितताओं ने रुपये पर भारी दबाव डाला है.
साल 1947 में 1 डॉलर की कीमत ?3.30 थी, जो अब बढक़र ?90.32 हो चुकी है—यानी लगभग 78 वर्षों में रुपये में 27 गुना तक गिरावट दर्ज की गई.
अमेरिका में ब्याज दरें ऊँची रहने और निवेशकों द्वारा सुरक्षित निवेश की ओर बढऩे से डॉलर मजबूत हुआ, जिससे सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राएँ प्रभावित हुईं.
अप्रैल 2025 से एफपीआई के प्रवाह में कमी आई. विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने रुपये पर दबाव बढ़ाया.
तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन आयात करने वाली कंपनियों को बड़े पैमाने पर डॉलर खरीदने पड़े, जिससे रुपये की मांग कम और दबाव बढ़ा.
सौदे की घोषणा बार-बार टलने से विदेशी निवेशकों में अनिश्चितता और डॉलर की ओर रुझान बढ़ा. बाजार में डॉलर की संभावित कमी और वैश्विक तनाव के कारण सट्टेबाजों द्वारा भारी डॉलर खरीद की गई, जिससे रुपया और दबाव में आया. रुपया कमजोर होने से आयात महंगा होता है. भारत तेल, दवाइयां, मोबाइल पार्ट्स, केमिकल्स, मशीनरी आदि पर निर्भर है.
