November 22, 2024

क्या वाम गढ़ उभर कर आयेंगे राहुल गांधी ?

भले ही वायनाड से भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लोकसभा चुनाव लडऩे की घोषणा करके पार्टी कई प्रतीकों के रूप में लाभ उठाने की कोशिश कर रही हो, मगर राजग के खिलाफ गठबंधन की गांठें भी खुलती दिखाई दे रही हैं। वाम दलों की तल्ख प्रतिक्रिया से इसके निहितार्थ समझे जा सकते हैं। केरल के मुयमंत्री और सीपीएम नेता पिनारई विजयन ने सवाल उठाया है कि क्या कांग्रेस वाम मोर्चे जैसे लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष दलों के खिलाफ जाकर वाकई भाजपा को चुनौती दे रही है? नि:संदेह वायनाड से राहुल गांधी के चुनाव लडऩे को वाम मोर्चे को चुनौती देने के रूप में देखा जा रहा है वहीं इस फैसले का क्या यह निष्कर्ष निकाला जाए कि अमेठी में स्मृति ईरानी की चुनौती भारी पड़ रही है? पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही स्मृति ईरानी हारी थी मगर उन्होंने हार के अंतर को कम किया था। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की जीत का?अंतर जहां साढ़े तीन लाख था वहीं यह अंतर 2014 में घट कर एक लाख रह गया था। सुल्तानपुर सीट से मेनका गांधी का उतरना भी अमेठी की हवा को प्रभावित कर सकता है। क्या कांग्रेस राहुल की राष्ट्रीय छवि बनाने और दक्षिण भारत में कांग्रेस के दरकते जनाधार को थामने की कोशिश कर रही है?
नि:संदेह वायनाड की लोकसभा सीट कांग्रेस का सुरक्षित गढ़ माना जाता है। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर पिछले दो चुनाव कांग्रेस ने जीते। फिलहाल सांसद के निधन के बाद सीट खाली है, जिसको लेकर कांग्रेसी दिग्गजों में भारी गुटबाजी देखी जा रही थी। इस सीट पर राहुल को उतारकर पार्टी ने इस गुटबाजी को भी रोका है। दरअसल, जातीय समीकरणों के हिसाब से देखें तो यह जनजातीय बहुल क्षेत्र है। यहां हिंदू आबादी पचास फीसदी से कम है। जबकि यूडीएफ में कांग्रेस के साथ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग है। ईसाई जनमत का रुझान भी कांग्रेस की तरफ रहा। कांग्रेस का मुय मुकाबला इस सीट पर सीपीआई से रहा है। पहले चुनाव में भाजपा चौथे और दूसरे चुनाव में तीसरे स्थान पर रही है वहीं कांग्रेस सबरीमाला प्रकरण के बाद हुए ध्रुवीकरण के लाभ से भाजपा को वंचित करने के लिए?भी राहुल गांधी को चुनाव मैदान में उतार रही है। जाहिर है इससे केरल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा वहीं दूसरे दक्षिणी रायों में राहुल की मुहिम को लाभ मिलेगा। इस तरह कांग्रेस जहां राहुल गांधी के संसद में पहुंचने को लेकर आश्वस्त होना चाह रही है वहीं उनकी राष्ट्रीय छवि गढऩे की कवायद भी कर रही है।

इस सीट से चुनाव लड़ने का मकसद राहुल अपने विरोधियों को यह संदेश भी देना चाहते है कि वे देश मे कहि से भी लड़ सकते है जो कि राष्ट्रीय नेता करते आये है । यदि इस सीट से वे चुनाव जीत जाते है तो उनकी बात पर निश्चित तौर पर मुहर लग जायेगी।