कत्यूर घाटी में अदरक की खेती पर वारिश का कहर
बागेश्वर। कत्यूर घाटी को जिले में सर्वाधिक पैदावार के लिए जाना जाता है। यहां के किसान अनाज के अलावा फल, सब्जियों का भी बहुतायत में उत्पादन करते हैं। पूरे ब्लॉक में करीब 22 हेक्टेयर में अदरक की खेती भी की जाती है। इस बार हो रही मूसलाधार बारिश से अधिकांश स्थानों में अदरक के पेड़ पीले पड़ गए हैं। जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है। गरुड़ क्षेत्र के करीब सभी गांवों में अदरक की खेती की जाती है। पिछले दिनों हुई लगातार बारिश से कुछ स्थानों पर अदरक के पेड़ पीले होने लगे हैं। बारिश का सबसे अधिक प्रभाव बाजार से लगे , गढ़ेसर, पुरड़ा, बैजनाथ रीठा ड आदि गांवों में देखने को मिल रहा है। इसके अलावा पाटली, लौबांज सहित कुछ ग्रामीण इलाकों में भी अदरक की खेती को नुकसान पहुंचा है। काश्तकारों ने बताया कि बारिश के बाद अदरक के पेड़ पीले पडऩे शुरू हो गए हैं। अधिकांश पेड़ों के पत्ते व टहनी पूरी तरह से गल चुकी है। खेती बर्बाद होने से किसानों की मेहनत पर भी पानी फिर रहा है। किसानों ने जररी कदम उठाने की मांग की। ताकि किसानों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। बारिश का पानी खेतों में जमा होने पर अदरक में एक तरह का फंगल इंफेक्शन पैदा हो जाता है। जिससे पेड़ व पत्तियां पीले होकर गलने लगते हैं। इंफेक्शन की शुरुआती दौर को दवा के छिड़काव से ठीक किया जा सकता है। किसानों को अपने खेतों में दवा का छिड़काव और जमा पानी की निकासी करानी चाहिए। जिससे अदरक को पूरी तरह से बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा।