बागेश्वर में पिंजरे में कैद हुआ गुलदार
बागेश्वर। नगर के समीप के गांव द्यांगण में आतंक का पर्याय बना गुलदार आखिरकार पिंजरे में फंस ही गया। करीब एक सप्ताह वन विभाग ने गुलदार के आतंक को देखते हुए गांव में पिंजरा लगाया था। पकड़े गए गुलदार की उम्र साढ़े तीन साल के करीब है। वह पूरी तरह से स्वस्थ है। द्यांगण गांव में कई दिनों से गुलदार का आतंक था। नगरीय क्षेत्र में भी गुलदार दिखने से लोगों में दहशत थी। पिछले महीने गुलदार ने द्यांगण गांव में एक बचे पर हमला भी कर दिया था। जिसके बाद ग्रामीणों ने वन विभाग से पिंजरा लगाने की मांग की। एक सप्ताह पहले विभाग ने द्यांगण व अड़ोली के बीच के क्षेत्र में पिंजरा लगाया। जिसमें बुधवार की रात को गुलदार फंस गया। सरपंच संगठन के जिलाध्यक्ष पूरन सिंह रावल ने बताया कि रात के समय गुलदार गांव में घुस आया था। वह एक कुत्ते का शिकार करने के लिए उसके पीछे दौड़ा। इस दौरान वह पिंजरे के समीप पहुंचा। पिंजरे में उसे फंसाने के लिए मुर्गी को रखा गया था। गुलदार शायद उसे खाने गया होगा और कैद हो गया। गुरुवार की सुबह ग्रामीणों को गुलदार के पिंजरे में कैद होने की जानकारी हुई तो वहां पर लोगों का मजमा लग गया। द्यांगण, अड़ोली सहित आसपास के क्षेत्रों से लोग आने लगे। इस बीच ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी। आरओ मोहन सिंह नयाल कर्मचारियों के साथ वहां पहुंचे। उन्होंने पिंजरे में कैद गुलदार को गाड़ी में रखकर वन विभाग पहुंचाया। उन्होंने बताया कि गुलदार की उम्र तीन से साढ़े तीन साल और लंबाई चार फीट से अधिक है। गुलदार दिखने में स्वस्थ लग रहा है। उन्होंने बताया कि गुलदार को उचाधिकारियों के निर्देश के अनुसार जू या जंगल में छोड़ा जाएगा।
दहशत में थे द्यांगण के ग्रामीण- बागेश्वर। नगर के समीप के गांव द्यांगण में गुलदार का आतंक बने रहने से लोग दहशत में थे। इससे पूर्व पिछले साल गुलदार ने गांव में एक मासूम को निवाला बना लिया था। एक और बचे की जान गुलदार दिखने के बाद हुए हादसे में चली गई थी। पिछले माह महिला व बचे पर गुलदार के झपटने से लोग सकते में थे। जिसे देखते हुए वन विभाग ने भी देरी किए बिना गांव में पिंजरा लगा दिया। बुधवार की रात पिंजरे में गुलदार के कैद होने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।