November 21, 2024

माता सती के सिर का स्थान है सिद्धपीठ सुरकंडा 

 

नई टिहरी। सुरकंडा देवी 52 सिद्धपीठ में एक है। मान्यता है कि यहाँ पर माता सती का सिर गिरा था। पौराणिक कथा के अनुसार चंबा जड़धार गाँव के युवक को यहाँ माता ने वृद्ध महिला के रूप में साक्षात दर्शन दिए थे। तभी से जड़धार गाँव के ग्रामीण माता के मैती (मायके वाले) माने जाते हैं । समुद्र तल से 9995 फीट की ऊंचाई पर स्थित मां सुरकंडा का भव्य मंदिर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए चंबा से मसूरी रोड होते हुए करीब 22 किलोमीटर टैक्सी या बस से कद्दूखाल जाना पड़ता है। यहां से करीब 3 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई वाला रास्ता तय कर मंदिर तक पहुंचा जाता है। मंदिर के पुजारी रमेश लेखवार और सोहन लेखवार बताते हैं किमान्यता है कि राजा दक्ष ने हरिद्वार कनखल में विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। यज्ञ में भगवान शिव का अपमान किये जाने पर सती ने यज्ञशाला में अपने प्राणों की आहुति दे दी । तब क्रोधित शिव ने दक्ष का घमंड चूर करने के बाद सती का मृत शरीर त्रिशूल पर लटका कर हिमालय में चारों तरफ घुमाया । इस स्थान पर सती का सिर गिरा था, तभी से इसे सिद्धपीठ सुरकंडा कहा जाता है। यह भी मान्यता है कि दशकों पहले एक वृद्ध महिला बुराशखंडा नामक स्थान से सुरकंडा की ओर जा रही थीं । थकान होने पर राह चलने वाले लोगों से उसने पर्वत तक पहुंचाने की मदद मांगी लेकिन किसी ने उसकी मदद नही की। यही बात उसने एक युवक से दोहराई युवक ने महिला को अपनी कंडी में बिठाकर सुरकूट पर्वत तक पहुंचाया। जहाँ वृद्धा ने युवक को साक्षात देवी रूप में प्रकट होकर दर्शन दिए और कहा तू मेरा मैती (मायके वाला) है। तभी से जड़धार गाँव के ग्रामीणों को माता के मैती माना जाता है । मंदिर समिति के अध्यक्ष जीत सिंह नेगी बताते हैं कि जून माह में गंगा दशहरे पर सर्व प्रथम जड़धार गाँव के ग्रामीण ढोल-नगाड़ों के साथ माता सुरकंडा की पूजा अर्चना के लिए आते हैं।