श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा सुप्रीम कोर्ट का फैसना अभूतपूर्व -संतों के सहयोग से ही होगा राम मंदिर का निर्माण : अखाड़ा परिषद
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अभूतपूर्व करार दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने के लिए कहा। उन्होंने सरकार से मांग की ट्रस्ट में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री को पदेन सदस्य के रुप में शामिल किया जाऐगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही अखाड़ा परिषद संतों और हिन्दूवादी संगठनों के साथ बैठक करेगी। शनिवार को पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी में संतों ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरी को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया। संतों ने अखाड़ा परिसर में जय श्रीराम के जयघोष भी लगाए। नरेंद्र गिरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश की एकता और अखंडता के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि संतों ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबा संघर्ष किया है। कहा कि अखिल भारतीय अखड़ा परिषद संतों की सर्वोच संस्था है। इसलिए संतों की भावना के अनुरूप अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री को राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का पदेन सदस्य बनाया जाना चाहिए। नरेंद्र गिरी ने कहा कि अखाड़ा परिषद राम मंदिर निर्माण के लिए अपना तन-मन-धन सर्वस्व देने के लिए तैयार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सुतंलित बताया। कहा कि राम मंदिर न्यास के हक में रामजन्मभूमि का फैसला सुनाकर सर्वोच न्यायपालिका ने न्याय किया। वहीं मुस्लिम समुदाय को भी मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ भूमि की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को संप्रादायिक सौहार्द बनाए रखना चाहिए। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा कोर्ट के इस ऐतहासिक निर्णय से देश मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद सभी प्रमुख अखाड़ों के साथ सतों और विभिन्न हिन्दूवादी के संगठनो के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ बैठक करेगी। बैठक में भव्य राम मंदिर निर्माण की रुपरेखा पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि संत समाज और सरकार के आपसी सहयोग से ही भव्य राम मंदरि का निर्माण होगा। इस दौरान मां मंशा देवी मंदिर के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, महंत शिवबन, महंत केशव पुरी, महंत मनीष भारती, महंत ओंकार गिरी आदि शामिल रहे।