महिला दिवस पर विशेष: सशस्त्र बलों में महिलाएं
आखरीआंख
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को हर वर्ष 8 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है ताकि महिलाओं की उपलब्धियों को राष्ट्रीय, जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक,
आर्थिक अथवा राजनीतिक आधार पर बिना किसी भेदभाव के पहचान दिलाई जा सके। यह उन महिलाओं को प्रगति की झलक दिखाने, बदलाव के लिए आह्वान करने और साहसिक कार्यों एवं दृढ़ संकल्पों को मनाने का अवसर प्रदान करता है जिन्होंने अपने देश और समुदाय के इतिहास में असाधारण भूमिका निभाई है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 का विषय- ‘आई एम जेनेरेशन इक्वैलिटी: रियलाइजिंग वुमेंस राइट्सÓ है। यह विभिन्न पीढिय़ों की महिलाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र के अभियान ‘जेनेरेशन इक्वैलिटीÓ से संबद्ध है जो बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन की 25वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। साथ ही यह अभियान पूरी दुनिया में लड़कियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सबसे अधिक प्रगतिशील रूपरेखा तैयार करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार महिला सशक्तिकरण को काफी महत्व देती है और वह महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर प्रदान करने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओÓ महिलाओं को सभी मंचों पर सशक्त बनाने के लिए सरकार के संकल्प का एक प्रमुख उदाहरण है। सरकार के इसी दृष्टिकोण के अनुरूप रक्षा मंत्रालय ने विभिन्न विभागों और क्षेत्र संचालनों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। सेना चिकित्सा कोर (एएमसी), आर्मी डेंटल कोर (एडीसी) और सैन्य नर्सिंग सेवा (एमएनएस) सहित रक्षा सेवाओं में महिला अधिकारियों की कुल संया 10,247 है। सेना में 01 जुलाई, 2019 के अनुसार महिला अधिकारियों की संया 6,868 थी। जबकि वायु सेना में 01 नवंबर, 2019 तक महिला अधिकारियों की संया 2,302 थी। इसी प्रकार, नौसेना में 15 नवंबर 2019 के अनुसार महिला अधिकारियों की संया 1,077 है। वर्ष 1992 में शॉट सर्विसेज कमीशन की शुरुआत महिलाओं को और अधिक शाखाओं में शामिल करने की ओर उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम रहा है। शुरुआत में 5 वर्षों के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन दिया गया था जिसे अंतत: 2007 में कुल 14 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था।
भारतीय सेना की सभी 10 शाखाओं में महिलाओं को स्थायी कमीशन प्रदान करना रक्षा मंत्रालय द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों में से एक था। सरकार ने भारतीय सेना की आठ इकाइयों/ सेवाओं- सिग्नल्स, इंजीनियरिंग, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मेकेनिकल इंजीनियरिंग (ईएमई), आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स और इंटेलीजेंस- के अलावा जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स (एईसी) में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए 25 फरवरी, 2019 को एक नीति तैयार की है। इससे पहले, वर्ष 1992 में शॉट सर्विसेज कमीशन की शुरुआत महिलाओं को और अधिक शाखाओं में शामिल करने की ओर उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम रहा है। शुरुआत में 5 वर्षों के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन दिया गया था जिसे अंतत: 2007 में कुल 14 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था। शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिला अधिकारियों का कार्यकाल बढ़ाने और सेना में उनकी पदोन्नति की संभावनाओं में सुधार के लिए कदम उठाए गए हैं। इससे सेना में महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य तौर पर बढ़ रही है।
भारतीय सेना के मिलिट्री पुलिस कोर में महिलाओं को सिपाही के तौर पर शामिल करने के प्रस्ताव को सरकार ने 22 जनवरी, 2019 को मंजूरी दी थी।
इसके तहत कुल 1,700 महिला सैन्य कर्मियों की भर्ती को सरकार की मंजूरी मिली। शॉट सर्विस कमीशन में महिला अधिकारियों के कार्यकाल को 10 से बढ़ाकर 14 वर्ष करने और सेना में उनकी पदोन्नति संबंधी संभावनाओं में सुधार जैसे कदमों से सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। व्यक्तिगत तौर पर महिला अधिकारियों के कुछ शानदार उदाहरण नीचे दिए गए हैं जिनसे पता चलता है कि देश की सुरक्षा के लिए युद्ध के मोर्चे पर भी महिला अधिकारी किसी से पीछे नहीं हैं। शायद कुछ ही लोगों को यह ज्ञात होगा कि स्क्वाड्रन लीडर मिन्टी अग्रवाल फाइटर कंट्रोलर के तौर पर बालाकोट हवाई हवाई हमले पर नजर रख रही थीं। दुश्मन को अविस्मरणीय सबक सिखाने वाले उस ऑपरेशन के दौरान शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें युद्ध सेवा पदक से समानित किया गया। कैप्टन तानिया शेरगिल ने 14 जनवरी, 2020 को सेना दिवस समारोह में पुरुष सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व किया। इस प्रकार वह पहली भारतीय महिला परेड एडजुटेंट के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं। वह एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसकी तीन पीढिय़ों ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी हैं। लेटिनेंट कमांडर कराबी गोगोई ने 2019 में एक नई परंपरा का शुभारंभ किया जब उन्हें नौसेना की प्रथम महिला अधिकारी के तौर पर भारतीय दूतावास, मॉस्को में डिफेंस अटैची के तौर पर नियुक्त किया गया।
राष्ट्र को 2019 में प्रथम महिला लड़ाकू पायलट भी मिली जब लाइट लेटिनेंट भावना कांत ने एक लड़ाकू विमान से दिन में मिशन पूरा करने की
योग्यता हासिल की। उन्होंने मिग -21 बाइसन विमान में एक लड़ाकू पायलट के रूप में अपना दिवस परिचालन पाठ्यक्रम पूर्ण किया और उनकी तैनाती अपने स्क्वाड्रन के साथ विमान संचालन करने के लिए राजस्थान के नाल में सीमावर्ती एयरबेस पर की गई। वर्ष 2016 में तीन महिला लड़ाकू पायलटों- भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने तेलंगाना के बाहरी इलाके डुंडीगल में वायु सेना अकादमी की कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड में अपने युद्धक विमानों के साथ गौरवांवित करने वाली उड़ान भरी। भारतीय वायुसेना के युद्धक विमानों ने खुले आसमान में गरजते हुए बादलों के बीच तिरंगे की छटा बिखेर दी। इसी के साथ भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनकी विशेष श्रेणी में महिला लड़ाकू पायलट हैं। तीनों महिला लड़ाकू पायलटों को राष्ट्रपति कमीशन से समानित किया गया। इससे पूर्व 1997 में मेजर रूचि मैनी ने भारतीय सेना में पहली महिला ऑपरेशनल पैराट्रूपर बनने का गौरव हासिल किया। 80 के दशक के अंत में आर्कटिक में अनुसंधान अभियान में शामिल होने वाली एयर मार्शल पद्मावती बनर्जी प्रथम सैन्य महिला थीं। वह इंडियन सोसाइटी ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन, इंटरनेशनल मेडिकल सोसायटी और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज की सदस्य होने के साथ-साथ भारतीय वायु सेना में ऐसी प्रथम महिला एयर मार्शल भी थीं, जो मेडिकल सर्विसेज (एयर) की महानिदेशक भी रहीं।
इन उपलब्धियों को हासिल करने का प्रयास छोटी आयु से ही प्रारंभ हो जाना चाहिए। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए, सैनिक विद्यालय हमारे युवाओं
के साथ-साथ बालिकाओं को भी सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार करते हैं। एक चरणबद्ध तरीके से शैक्षणिक सत्र 2021-22 में सैनिक विद्यालयों में बालिकाओं के प्रवेश के प्रस्ताव को स्वीकृति देना 2019 में रक्षा मंत्री का पदभार संभालने वाले राजनाथ सिंह के द्वारा लिए गए बड़े निर्णयों में से एक था।
भारतीय तटरक्षक बल 1997 से महिला अधिकारियों को जनरल ड्यूटी में और स्थायी सहायक कमान के रूप में और 1998 के बाद से एविएशन कैडर
(पायलट) के रूप में शामिल कर रहा है। आईसीजी में महिला अधिकारियों की नियुक्ति कुल संया का लगभग 10 प्रतिशत है।
वर्ष 2019 में पहली बार राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की विशेष प्रविष्टि को &प्त39;सी&प्त39; सर्टिफिकेट के साथ महिला एयरविंग कैडेटों के लिए विस्तारित किया गया था। इससे उन्हें स्क्रीनिंग टेस्ट के बिना एसएसबी में सीधे भर्ती होने और भारतीय वायु सेना की लाइंग ब्रांच में शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी बनने का अवसर प्राप्त हुआ। भारतीय वायुसेना की परिवहन और हेलीकॉप्टर स्ट्रीस में महिला पायलटों ने शानदार प्रदर्शन किया है। एक स्वभाविक प्रगति के रूप में भारतीय वायु सेना ने अपनी फाइटर स्ट्रीम में महिला पायलटों को भी शामिल किया। विदेश में भारतीय मिशन पर राजनयिक पदों पर परंपरागत रूप से पुरुष अधिकारी कार्यरत होते रहे हैं। विंग कमांडर अंजलि सिंह ऐसी प्रथम महिला अधिकारी हैं जिन्हें भारतीय वायु सेना द्वारा रूस में भारतीय दूतावास में डिप्टी एयर अटैची के रूप में नामांकित किया गया था।
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) की स्थापना स्वदेशी अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के साथ भारत को सशक्त बनाने के दृष्टिकोण के साथ की गई थी। इसका उद्देश्य महिलाओं के कौशल विकास और उनकी पूर्ण क्षमता को समान अवसर प्रदान करना भी था। परिणामस्वरूप कई महिला वैज्ञानिकों ने (डीआरडीओ) में शीर्ष स्थान हासिल किया है।
वर्ष 2018 में नाविका सागर परिक्रमा के माध्यम से पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले दल की सभी सदस्य महिलाएं थीं। यह भारत की पहली सागर परिक्रमा
थी। आईएनएसवी तारिणी सभी महिला सदस्यों के साथ समुद्री मार्ग से पृथ्वी की यात्रा पूरी करने के बाद 21 मई 2018 को वापस भारत लौट आई। इस अभियान ने विश्व मंच पर ‘नारी शक्तिÓ को दर्शाया और चुनौतीपूर्ण वातावरण में अपनी भागीदारी को प्रदर्शित करते हुए भारत में महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण और मानसिकता को बदलने में मदद की। इसके अलावा, स्वदेशी तौर पर विनिर्मित 56 फुट के नौकायन पोत आईएनएसवी तारिणी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ‘मेक इन इंडियाÓ पहल को भी प्रदर्शित किया।
इस लेख के लेखक जनसपर्क निदेशालय,रक्षा मंत्रालय भारत सरकार है