केरल से रावल को हेलीकॉप्टर से बदरीनाथ पहुंचाने की मांग
नई टिहरी। हिन्दुओं के सर्वोच धाम बदरीनाथ के कपाट परपरानुसार विधि विधान से खोल जाने के लिए केरल से रावल को हेलीकॉप्टर से बदरीनाथ पहुंचाने की मांग तेज हो गई है। देवप्रयाग में बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने केंद्र व राय सरकार से इसकी व्यवस्था बनाने की मांग है। उत्तराखंड स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट छह माह बाद खोलने को लेकर पिछले दिनों से बहस छिड़ी हुई है। जिसमें दक्षिण भारत से रावल ईश्वरीप्रसाद नबुद्री के बदरीनाथ धाम कपाट खोलने के लिए न पहुँच पाने की स्थिति में टिहरी के राजपरिवार या डिमरी गांव निवासी पुजारियों के भी कपाट खोले जाने की बात सामने आ रही है। इसका देवप्रयाग मे बदरीनाथ धाम तीर्थ पुरोहितों सहित समाज ने कड़ा विरोध किया है। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा सिर्फ दक्षिण भारतीय नंबूदरी ब्राह्मण को ही भगवान बदरीनाथ की पूजा अर्चना करने का अधिकार मिला है।
आदिगुरु शंकराचार्य ने ही रावल के हाथों कपाट खोलने की परंपरा निर्धारित की गई है। इस परपरा को किसी भी स्थिति मे तोड़ा जाना उचित नहीं है। देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित भी मूल रूप से दक्षिण भारतीय नंबूद्री ब्राह्मण हैं, जिन्हें बदरीनाथ धाम में समस्त भारत से आने वाले श्रद्धालुओं की पूजा अर्चना करवाने का अधिकार मिला है। किंतु उन्हें कपाट खोलने और बंद करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है। वहीं टिहरी राजपरिवार को धाम मे धर्मार्थ कार्यों की व्यवस्था जुटाने व कपाट खोलने की तिथि निर्धारित करने का काम मिला है। इसलिए किसी को भी अपने अधिकारों से हटकर नई परंपरा शुरू नहीं करनी चाहिए । तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि जब लॉकडाउन मे अयोध्या में भगवान राम से जुड़े काम हो सकते हैं, तो फिर केंद्र सरकार रावल को भी हेलीकॉप्टर से केरल से बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने को व्यवस्था कर सकती है।