शिक्षा और बचों के भविष्य पर राज्य और केंद्र सरकार क्यों चुप हैं?
देहरादून। उत्तराखंड के विभिन्न जन संगठनों एवं छह राजनैतिक दलों द्वारा ‘जन हस्तक्षेपÓ के सहयोग से आज एक प्रेस वार्ता का आयोजन वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की कि एक महीने से अधिक लॉक डाउन का समय हो गया, इस दौरान न तो प्रधान मंत्री जी और न ही मुय मंत्री जी ने देश और प्रदेश के छात्रों के लिए कुछ भी ऐसा संदेश नहीं दिया कि वह वर्तमान अनिष्चता के कारण अपने ऊपर पडऩे वाले मानसिक दबाव कैसे बाहर आए। इसमें सबसे यादा गरीबों के बचे प्रभावित हैं क्योंकि उनके लिए ऑनलाइन क्लास का नहीं चल सकता है। पूरे देश में छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और यह स्वाभाविक भी है कि इन्हीं में से भविष्य के वैज्ञानिक, शिक्षक, डॉक्टर, एडवोकेट्स, इंजिनियर, आईएसएस, आईपीएस, तथा समाज सेवक बनाना है। देश की युवा पीढ़ी यदि अवसाद में चले गए तो इसके दूरगामी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इसलिए हम चाहते हैं कि:
सरकार स्पष्ट करे कि सभी बचों की सुरक्षा के लिये क्या योजना बनायी है। वे हमारा भविष्य हैं।स्कूलों में सुरक्षा के लिए
क्या क्या व्यवस्था बनाया जा रहा है?
प्रत्येक प्रांत की बोर्ड, आईएससी, आईसीएसई, सीबीएसई की परीक्षाओं का निर्धारण, सभी बोर्ड्स के परिणामों का किसी सांयिकी के आधार पर निर्धारण कैसे होगा। इसपर सरकार अपनी नीति घोषित करे।
इस लॉक डाउन से गरीबों और मज़दूरों के बचों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पडऩेवाला है। सरकार व्यवस्था करे कि किताब, कॉपी, और मिड डे मील उनके घरों तक पहुंचवाया जाये।
अगर ऑनलाइन तरीकों के द्वारा शिक्षा करने की ज़रूरत दीखता है, सरकार व्यवस्था करे कि हर गरीब घर को एक डिवाइस दिया जाये जिससे वे भी ऑनलाइन क्लास में शामिल हो पाए। इसके बारे में हृश्वस्ष्टह्र और अन्य अंतराष्ट्रीय संस्थाएं ने मॉडल गाइडलाइन्स जारी किये हैं और उनसे तकनिकी और आर्थिक मदद लिया जा सकता है। इसके साथ साथ सरकार फ्री ङ्खद्बस्नद्ब और इंटरनेट कनेक्टिविटी हर क्षेत्र में सुनिश्चित करे।
हायर एजुकेशन के लिए भी ऐसे व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ऑनलाइन तरीकों द्वारा छात्र पद पाए।
अगर इस साल इतिहानों में और विलब होता है, सारे बचों को अगला कक्षा तक आपने आप प्रमोशन होनी चाहिए। सरकार इस बात पर ध्यान दे कि इस समय बहुत बचे अपना परीक्षाओं के लिए ठीक से पद नहीं पाएंगे।
निजी स्कूलों पर रोक लगाया जाये की वे इस साल अपना शुल्क को न बढ़ाये।
प्रेस वार्ता में राजनैतिक दलों की और से कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, भारतीय कयुनिस्ट पार्टी के राय सचिव कामरेड समर भंडारी, मार्क्सवादी कयुनिस्ट पार्टी से कामरेड बची राम कंसवाल, समाजवादी पार्टी के पूर्व राय अध्यक्ष डॉ स्हृ सचान, और तृणमूल कांग्रेस के राय संयोजक राकेश पंत शामिल रहे।
जन संगठनों की और से चेतना आंदोलन से शंकर गोपाल, परिवर्तनकामी छात्र संगठन से कैलाश, अश्विनी त्यागी और बागेश्वर से अधिवक्ता डी०के०जोशी शामिल रहे।
उत्तराखंड महिला मंच के अध्यक्ष कमला पंत, बहुजन समाज पार्टी के रमेश कुमार, और अन्वेषा से कविता कृष्णपल्लवी ने मांगों को समर्थन किया।