किसानों की आय दुगुनी करने को डीएम ने की कार्यशाला
बागेश्वर । जनपद में कृषि अवसंरचना निधि के सफल क्रियान्वयन व किसानों को आत्म निर्भर बनाने व उनकी आय को दोगुना करने के उद्देश्य से विकास भवन सभागार में जिलाधिकारी विनीत कुमार की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कृषि विभाग के तत्वाधान में किया गया, जिसमें जनपद के प्रगतिशील किसान एवं किसान सहायता समूह द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि यह योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को लाभान्वित करते हुए उनकी आय को दोगुनी करना है। उन्होने कहा कि 70 फीसदी लोग कृषि से जुडे हुए है तथा कृषि क्षेत्र को विकसित करने से इस क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगो को रोजगार उपलब्ध कराते हुए उनकी आमदनी को बढाया जा सकता है। उन्होने कहा कृषि अवसंरचना निधि ब्याज माफी तथा ऋण गारंटी के जरिये फसल उपरांत प्रबंधन अवसंरचना एवं सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यावहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम-दीर्धकालिक कर्ज वित्त-पोषण सुविधा है। इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020 से 2029 (10 वर्ष) होगी। इस योजना के तहत 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की ऋण माफी तथा दो करोड़ रूपये तक ऋण के लिए सीजीटीएमएसर्इ स्कीम के तहत ऋण गारंटी कवरेज के साथ ऋण के रूप में बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराये जायेंगे। लाभार्थियों में किसान, पैक्स, विपणन सहकारी सोसायटियां, एफपीओ, एसएचजी, संयुक्त जवाबदेही समूह (जेएलजी), बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप्स और केन्द्रीय/राज्य एजेंसियां या सार्वजनिक-निजी साझेदारी परियोजना प्रायोजित स्थानीय निकाय शामिल हैं। उन्होने कहा कि जनपद का एक करोड, दस लाख का लक्ष्य है जिसके तहत किसान अपना प्रोजेक्ट तैयार कर सकता है। उन्होने कहा कि इस योजना के तहत किसान अपने प्रोजेक्ट को व्यक्तिगत, समूह के साथ मिलकर या कंपनी बनाकर भी कार्य कर सकते है। उन्होने कहा कि यह योजना समुदाय कृषक परिसंपत्तियों के निर्माण तथा फसल उपरांत कृषि अवसंरचना में किसानों, पैक्स, एफपीओ, कृषि उद्यमियों आदि की सहायता करेगी। ये परिसंपत्तियां उनकी उपज के लिए अधिक मूल्य पाने में किसानों को सक्षम बनायेंगी, क्योंकि वे उच्चतर मूल्यों पर भंडारण एवं बिक्री करने, अपव्ययों को कम करने तथा प्रसंस्करण एवं मूल्य वर्धन बढ़ाने में सक्षम हो जायेंगे। इस अवसर पर जिलाधिकारी उपस्थित प्रगतिशील किसानों एवं स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधियों से अपेक्षा की है कि वे अपनी कार्ययोजना के अनुसार डीपीआर तैयार करे। इस दौरान मुख्य कृषि अधिकारी वीपी मौर्या ने स्लार्इड शो के माध्यम से इस योजना की विस्तापूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना पात्र गतिविधियों के लिए सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए अन्य व्यवहार्य परियोजायें जिसमें जैविक आदान उत्पादन, आर्गेनिक इनपुट प्रोडेक्शन, जैव उत्तेजक उत्पादन र्इकार्इयां, स्मार्ट और सटीक कृषि के लिए बुनियादी ढांचा, निर्यात समूह सहित फसलों की आपूर्ति श्रंखला बुनियादी ढांचा, सूक्ष्म सिंचार्इ, मृदा परीक्षण प्रयोशालायें, कस्टम हायरिंग सेंटर शामिल है। जिसके तहत आवेदक द्वारा आंनलार्इन पोर्टल में पंजीकरण किया जायेगा पंजीकरण परिचय पत्र प्राप्त करने के पश्चात आवेदक पोर्टल के माध्यम से एक आवदेन पत्र भरकर संबंधित दस्तावेज और परियोजना की डीपीआर जमा करके ऋण के लिए आवेदन करेगा। डीपीआर और अन्य दस्तावेजों के साथ आवेदन मूल्यांकन के लिए आवेदक द्वारा चूनी गर्इ ऋण संस्था को भेजा जायेगा। आवेदक बैंक में सीधे ही आवेदन कर सकता है, तथा ऋण देने वाली संस्था आवेदन का मूल्यांकन करेगी और परियोजना की व्यवहार्यता के आधार पर 60 दिनों में इसे मंजूरी या अस्वीकार करने का निर्णय लेगी। ऋण स्वीकृति के पश्चात ऋण की राशि आवेदक के खाते में सीधे जमा हो जायेगी। इसके बाद भारत सरकार द्वारा ऋण देने वाले संस्थान ब्याज अनुदान और सीजीपीएमसी की ऋण गारंटी शुल्क जारी किया जायेगा। कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी डीडी पंत, परियोजना निदेशक शिल्पी पंत, महाप्रबंधक उद्योग जीपी दुर्गापाल, जिला उद्यान अधिकारी आर0के0सिंह, लीड बैंक अधिकारी एनआर जौहरी, भूमि संरक्षण अधिकारी गीतांजलि बंगारी, विभिन्न बैंकों के प्रबंधक सहित प्रगतिशील किसान एवं स्वंय सहायता समूह के प्रतिनिधि मौजूद रहे।