December 23, 2024

सुनसान रातों में निकलता है क्या कोरोना!

मैंने अपनी बहुत अक्ल खर्च की, बहुतेरे लोगों से राय ली फिर भी कोई यह न बता सका कि रात में कर्फ्यू चढ़ाकर कोरोना को कैसे रोका जा सकता है! क्या कोरोना कोई भूत वगैरह है जो कि रात में ही निकलता है, दिन में लंबी तानकर सोता है? या कोरोना को रात की शांति ही पसंद आती है बाहर निकलने के लिए?
मैं नहीं जानता रात्रि कर्फ्यू का लॉजिक किसने सुझाया है, मगर इतना अवश्य कह सकता हूं कि बंदा कोरोना की नस-नस से वाकिफ रहा होगा। अच्छा, कोरोना को लेकर सरकार व राज्य सरकारें ‘धुप्पलÓ खेल रही हैं। तीर लगा तो लगा निशाने पर नहीं तो रात्रि कर्फ्यू है ही। हर रोज नई गाइडलाइंस जारी हो जाती हैं। मगर मान उन्हें कोई नहीं रहा। न बाजार में न सड़क पर न भीड़-भाड़ में। एक साल में लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग से इतना उकता गए हैं कि हर नियम को ताक पर रख दिया है।
मास्क पहनने के लिए आप किसी से कह नहीं सकते, नहीं तो अगला पलभर में आप पर चौड़ा हो जाएगा। दूरी बनाए रखने के लिए भी किसी को नहीं टोक सकते, नहीं तो अगला आपका गला पकड़ लेगा। सब कुछ राम भरोसे चल रहा है। जब तक बचे हुए हैं, तब ही तक सुरक्षित हैं।
सुना है, नया वायरस पहले वाले से ज्यादा तगड़ा है। टीका भी इसके आगे फेल है। लक्षण भी इसके कुछ अजीब हैं। चुपके से अपनी गिरफ्त में ले लेता है। लोग भी ढीठ हैं मास्क न पहनकर वायरस को चिढ़ा रहे हैं। राज्य सरकारें समझदार हैं कि रात में कर्फ्यू लगाकर वायरस को शांत करना चाहती हैं। जैसे वो शांत हो जाएगा!
कुदरत का खेल देखिए, जहां-जहां चुनाव हैं वहां कोरोना निस्तेज पड़ा हुआ है। चुनावी भीड़ देखकर घबरा गया है। उन शहरों में घुसने की हिम्मत ही नहीं कर पा रहा। मेरी सरकार से गुजारिश है कि देश के हर इलाके में चुनाव करवा दीजिए, फिर देखिएगा, कोरोना कैसे दुम दबाकर भागता है। सारे केस थम जाएंगे। फिर, रात्रि कर्फ्यू की जरूरत भी न रहेगी। जनता दुआएं देगी। विश्व में हमारे देश का डंका बजेगा। हम विश्वगुरु हो जाएंगे।