April 20, 2024

सामाजिक स्तर पर जागरूकता जरूरी

साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ देशव्यापी अभियान में 18 राज्यों में सक्रिय साइबर ठगों के बड़े गिरोहों का पर्दाफाश हुआ है। गृह मंत्रालय की साइबर सुरक्षा इकाई के साथ मिलकर कई राज्यों की पुलिस, फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) कंपनियों और जांच एजेंसियों ने सैकड़ों आरोपियों की पहचान की है, जिनमें से कई को गिरफ्तार भी किया गया है। देश में इन दिनों ई-सिम का चलन बढ़ा तो इसी के जरिये साइबर ठग लोगों को झांसे में लेने लगे हैं। ई-सिम अपडेट या एक्टिवेट करने और बैंक खाते या वॉलेट से मोबाइल को जोडऩे व केवाईसी अपडेट करने के नाम पर ये साइबर ठग लोगों को फोन कर उन्हें विश्वास में लेते हुए निजी विवरण हासिल कर लेते हैं। कई मामलों में तो ग्राहकों के बैंक खाते से जुड़े सिम का ही डुप्लीकेट सिम जारी कर ओटीपी अपने पास मंगा लेते हैं। सिम से बैंक खाते का सफर तय करने में इन्हें मिनट भर लगता है।
दुनियाभर में कोरोना वायरस के प्रसार से भारत सहित अधिकांश देश कई बार लॉकडाउन की स्थिति में रहे हैं, ऐसे में अधिकांश निजी कम्पनियां अपने इम्प्लाइज से ‘वर्क फ्रॉम होमÓ करा रही हैं, जिसकी वजह से साइबर अटैक का खतरा बढ़ गया है। आम लोग भी घरों में बैठ कर अपना काम आनलॉइन कर रहे हैं। दुनियाभर में कोरोना संकट की आड़ में साइबर हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं। सरकारी संस्थानों, अस्पतालों से लेकर कंपनियों तक के डाटा लीक के मामले सामने आए हैं। लोगों के मोबाइल और ईमेल पर कोरोना वायरस से बचने के उपायों वाला एक लिंक भेज कर उन्हें शिकार बनाया जा रहा है। इस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के बैंक खातों से जुड़ी जानकारी उन लोगों तक पहुंच रही है, जो इस साजि़श के पीछे हैं।
कोरोना वायरस के नाम पर न केवल लोगों के व्यक्तिगत डाटा बल्कि बैंक अकाउंट तक को साफ किया जा रहा है। कोरोना वायरस से जुड़ी कोई जानकारी, सावधानियों से जुड़ा कोई भी मेल, मैसेज या व्हाट्सएप पर आने पर, उस पर महज एक क्लिक ही आपको ठगी का शिकार बना सकता है। इस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के बैंक खातों से जुड़ी जानकारी उन लोगों तक पहुंच रही है, जो इस साजि़श के पीछे हैं। साइबर सेल के अनुसार, हैकर लोगों की इस जानकारी का इस्तेमाल उनके बैंक खातों में पड़ी रक़म पर सेंध लगाने में कर सकते हैं। ईमेल हैकर्स विश्वास बनाए रखने के लिए किसी एनजीओ या विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम पर मेल भेजते हैं ताकि कोई शक न हो। इसके अलावा ऐसी भाषा का भी प्रयोग करते हैं कि लोग डर के या फिर उत्सुकता में मेल में दिये लिंक को क्लिक करें। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस से जुड़ा कोई भी संदेश जब यूजर्स क्लिक करता है तो वायरस मोबाइल में ‘डाउनलोडÓ हो जाता है, जिसके ज़रिए मोबाइल की पूरी ‘एक्सेसÓ हैकर को मिल सकती है। इसके जरिये हैकर आपके पेटीएम, डिजिटल मनी से जुड़े अकाउंट में आसानी से सेंध लगा सकता है।
झारखंड आदिवासी बाहुल्य राज्य है, लेकिन यहां का जामताड़ा जिला इन दिनों साइबर अपराध की वजह से चर्चा में है। जामताड़ा साक्षरता के मामले में काफी पीछे है लेकिन यहां से भारी संख्या में साइबर अपराधी निकल रहे हैं। आलम यह है कि जामताड़ा देशभर में साइबर अपराध की राजधानी के रूप में चिन्हित किया जाने लगा है। जामताड़ा के साइबर अपराधी समय के अनुरूप ठगी करने की तकनीक को भी बदलते रहते हैं। इन दिनों साइबर अपराधियों ने ई-सिम स्वैंपिग को अपना नया हथियार बनाया है।
देश के लिए 2020 ऐसा साल रहा जब यूजर्स पर सबसे ज्यादा मैलवेयर अटैक किए गए। साइबर सिक्योरिटी फर्म सोनिकवॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर और अक्तूबर के बीच में मैलवेयर अटैक का वॉल्यूम तीन गुना से भी ज्यादा रहा। सोनिकवॉल साइबर थ्रेट रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि देश में दिसंबर, 2020 में 25 मिलियन (2.5 करोड़) से अधिक मैलवेयर अटैक हुए। महामारी के दौरान सबसे ज्यादा साइबर अटैक वर्क फ्रॉम होम करने वाले यूजर्स पर किए गए। कई संस्थानों ने अटैक से बचने के लिए पावरफुल क्लाउड-बेस्ड टूल और क्लाउड स्टोरेज का इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे कोविड-19 ने ज्यादा शक्तिशाली और आक्रामक हमलों के लिए पर्याप्त अवसर हैकर्स को दिए। निष्कर्ष से पता चला कि ग्लोबली रैंसमवेयर में 62 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं, उत्तरी अमेरिका में सबसे ज्यादा 158 फीसदी की वृद्धि हुई।
साइबर स्पेस सिक्योरिटी इस दौर की बड़ी जरूरत बन गई है। फिलहाल यह सवाल उठना बहुत लाजिमी हो गया है कि साइबर ठगों से निपटने के लिए हमारा देश कितना तैयार है? साइबर विशेषज्ञों के अनुसार भारत में जितने बड़े सर्वर मौजूद हैं, वे हैकिंग प्रूफ नहीं हैं। हमारे यहां भी तभी हम जागते हैं, जब कोई बड़ा साइबर अटैक हो। हैकर्स के नए तरीकों का सॉल्यूशन ढूंढऩे में महीनों लग जाते हैं। सही मायनो में हम साइबर ठगी से बचने के लिए सामुदायिक स्तर पर प्रयास करनें होंगे। लोगों में साइबर अपराध के प्रति जागरूकता लानी होगी।