November 22, 2024

मानव उत्पत्ति के इतिहास में नये अध्याय

पिछले दिनों हमने प्राचीन मनुष्य की दो ऐसी प्रजातियों की खोज के बारे में सुना जो विज्ञान के लिए एकदम नयी थी। इन खोजों के बाद पृथ्वी पर मनुष्य के विकास और उसके नजदीकी रिश्तेदारों की कहानी और उलझ गई है। हो सकता है, आने वाले समय में मानव वंश-वृक्ष की कुछ और अज्ञात शाखाओं के बारे में सुनने को मिले। इस्राइली शोधकर्ताओं ने एक प्राचीन मनुष्य की अस्थियां खोजीं। यह मनुष्य संभवत: प्राचीन मनुष्य की उस आबादी का हिस्सा था जो 420000 से लेकर 120000 साल पहले इस्राइल के नेशेर रामला क्षेत्र में रहती थी। योसी जैडनेर के नेतृत्व में तेल अवीव विश्वविद्यालय के नृवैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों ने इस आदिमानव की खोज की। उन्होंने इस मानव का नाम ‘नेशेर रामला होमोÓ रखा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस मानव की शारीरिक विशेषताएं नियनडर्थल मानव और आदिमानव से मिलती हैं। उन्होंने कहा कि इस मनुष्य की खोपड़ी की संरचना आधुनिक मनुष्य से एकदम भिन्न थी। उसकी ठुड्डी नदारद थी और दांत बहुत बड़े-बड़े थे। इस मानव की अस्थियों के साथ जो दूसरी पुरातात्विक सामग्री मिली है, उससे पता चलता है कि इन मानवों के पास पत्थर के औजार बनाने की उन्नत टेक्नोलॉजी थी। ये लोग स्थानीय होमो सेपियंस के साथ रहते थे।
नेशेर रामला होमो की खोज इस अवधारणा को चुनौती देती है कि नियनडर्थल की उत्पत्ति यूरोप में हुई थी। इस खोज से पहले अधिकांश शोधकर्ताओं का ख्याल था कि यूरोप नियनडर्थल का मूल स्थान था। बाद में ग्लेशियरों से बचने के लिए इस मानव के छोटे-छोटे समूह दक्षिण की तरफ पलायन के लिए बाध्य हुए। इस्राइली शोधकर्ताओं का दावा है कि इनमें से एक समूह करीब 70000 वर्ष पहले इस्राइल पहुंचा।
दूसरी तरफ, चीनी शोधकर्ताओं ने मानव की एक नयी प्रजाति से संबद्ध खोपड़ी के बारे में जानकारी दी है। उनका दावा है कि यह खोपड़ी मनुष्य की पूर्णत: अलग प्रजाति से संबंध रखती है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह प्रजाति मानव विकास क्रम में हमारी सबसे नजदीकी रिश्तेदार हो सकती है। अभी नियनडर्थल और होमो इरेक्टस को मनुष्य का सबसे करीबी रिश्तेदार समझा जाता है। वैज्ञानिकों ने इस नये मानव का नाम ‘ड्रैगन मैनÓ रखा है। यह मानव करीब 146000 वर्ष पहले पूर्वी एशिया में वास करता था। इस मानव की खोपड़ी का जीवाश्म 1933 में उत्तर-पूर्वी चीन के हार्बिन में मिला था लेकिन कुछ समय पहले ही वैज्ञानिकों का ध्यान इसकी तरफ गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज हमें मानव उत्पत्ति के समूचे इतिहास को दोबारा लिखने को विवश कर सकती है। खोपड़ी के जीवाश्म के विश्लेषण से पता चलता है कि नियनडर्थल मानवों के बजाय यह प्रजाति होमो सेपियंस के ज्यादा करीब है। जीवाश्म के विश्लेषण का विवरण ‘द इनोवेशनÓ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। चीनी वैज्ञानिकों ने नयी प्रजाति का नाम ‘होमो लोंगीÓ रखा है। चीनी भाषा में लोंगी का अर्थ ड्रैगन होता है।
चीनी विज्ञान अकादमी के एक प्रोफेसर शिजून नि ने कहा कि इस खोज से हम बहुत चकित हैं। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि यह जीवाश्म बेहद सुरक्षित अवस्था में है और इसकी एक-एक चीज साफ देखी जा सकती है। मानव और दूसरी मानव प्रजातियों की औसत खोपडिय़ों की तुलना में ड्रैगन मैन की खोपड़ी बहुत बड़ी है। इसके मस्तिष्क का आकार अन्य मानव प्रजातियों में पाए जाने वाले मस्तिष्क के बराबर ही था। उसकी आंखों के सॉकेट या गड्ढे बहुत बड़े और चौकोर थे, भोंहों की हड्डी मोटी थी तथा मुंह बहुत बड़ा था। इसके दांत भी सामान्य से ज्यादा बड़े थे। हेबेई जीइओ यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर शियांग ची ने कहा कि यह अब तक खोजी गई प्राचीन मानव की संपूर्ण खोपडिय़ों में से है। इसकी खास बात यह है कि इसमें आदिम विशेषताओं के साथ-साथ आधुनिक विशेषताओं का भी मिश्रण है, जिसकी वजह से यह अन्य मानव प्रजातियों से एकदम भिन्न दिखाई देती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ड्रैगन मैन बहुत ही ताकतवर मानव रहा होगा। लेकिन इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वह कैसे रहता था क्योंकि उसके आवास स्थल से उसकी खोपड़ी हटा दी गई थी। इसका अर्थ यह हुआ कि इस समय पाषाण के औजारों और दूसरे सांस्कृतिक तत्वों जैसे पुरातात्विक चिन्ह मौजूद नहीं हैं। बताया जाता है कि 1933 में एक निर्माण मजदूर ने यह खोपड़ी खोजी थी जो उस समय हार्बिन से गुजरने वाली सोंघुआ नदी पर पुल बनाने में सहयोग कर रहा था। यह इलाका उस समय जापानियों के कब्जे में था। चीनी मजदूर को लगा कि यह खोपड़ी कोई बहुमूल्य चीज हो सकती है। वह उसे जापानियों की नजर से बचा कर चुपचाप अपने घर ले गया। घर जाकर उसने अपने परिवार के कुएं में उसे छिपा दिया। करीब 80 साल तक यह खोपड़ी कुएं में ही पड़ी रही। मरने से पहले उसने अपने परिवारजनों को इस खोपड़ी के बारे में बताया। इसके पश्चात यह खोपड़ी वैज्ञानिकों के हाथ लग गई।
ड्रैगन मैन से पहले चीन में आदिम मानव प्रजातियों के और भी अवशेष मिल चुके हैं, जिनका वर्गीकरण करने में वैज्ञानिकों को बहुत कठिनाई हो रही है। इनमें डाली, जिन्नीउशान, हुआलोंगडोंग और तिब्बती पठार से मिले अवशेष शामिल हैं। वैज्ञानिकों के बीच इस बात पर तीव्र बहस छिड़ गई कि ये अवशेष होमो सेपियंस के हैं या इनका संबंध नियनडर्थल या डेनिसोवन मानवों से है या ये पूरी तरह से किसी भिन्न प्रजाति के हैं। डेनिसोवन मानव की पहचान रूस की डेनिसोवा गुफा से मिली अंगुली की अस्थि से निकाले गए डीएनए से हुई थी। यह अस्थि 50000 से लेकर 30000 वर्ष पुरानी थी।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मार्ता मिराजोन लार ड्रैगन मैन को मानव की अलग प्रजाति नहीं मानती। उनका कहना है कि ड्रैगन मैन दरअसल एक डेनिसोवन मानव ही था। दूसरी तरफ, चीनी शोधकर्ताओं का दावा है कि ड्रैगन मैन एक नयी मानव प्रजाति के क्रमिक विकास का प्रतिनिधित्व करती है। जो भी हो, इस्राइली और चीनी शोधकर्ताओं के इन दावों ने दुनिया के नृवैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों को मानव विकास के बारे में नये सिरे से सोचने पर विवश कर दिया है।