November 23, 2024

फैसले पर न्यायिक व्यवस्था का इंतजार



अभी तक यही सुनते और पढ़ते आ रहे हैं कि अलग रह रही पत्नी या विवाह विच्छेद होने की स्थिति में ऐसी स्त्री और ऐसे दंपति की संतान दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार है। यही नहीं, संतान की उपेक्षा का शिकार हो रहे माता-पिता भी इस कानून के तहत भरण-पोषण के हकदार हैं। लेकिन, क्या पति के साथ एक ही छत के नीचे रहने वाली पत्नी भी धारा 125 के तहत भरण-पोषण भत्ते का दावा कर सकती है सुनने और पढऩे में यह थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह सवाल इस समय न्यायालय के विचाराधीन है।
दिल्ली की एक कुटुम्ब अदालत ने पति के साथ ही उसके घर में रहने वाली पत्नी की याचिका पर उसे गुजारा भत्ता देने का आदेश पति को दिया है। इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में न्यायपालिका के समक्ष एक सवाल आया है कि क्या पति के साथ ही घर में रहने वाली पत्नी धारा 125 के तहत भरण-पोषण भत्ते का दावा कर सकती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 का संबंध पत्नी, संतान और माता-पिता के भरण-पोषण से संबंधित है। इसके अंतर्गत कोई भी स्त्री पति की उपेक्षा या पति से अलग रहने की स्थिति में गुजारा भत्ते की हकदार होती है। यह प्रावधान ऐसे व्यक्ति की संतानों और माता-पिता के मामले में भी लागू होता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त पति की याचिका पर अब पत्नी से जवाब मांगा है। पति ने सवाल उठाया है कि क्या अपने पति के साथ उसके ही घर में रहने वाली पत्नी धारा 125 के तहत गुजारा भत्ते की हकदार है। इस मामले में 10 फरवरी को आगे सुनवाई होगी। लेकिन पिछली तारीख पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि अगर पत्नी अनपढ़ हो या उसे एक ही घर में उपेक्षित छोड़ दिया जाए तो ऐसी स्थिति में पत्नी को गुजारा भत्ता देना पड़ता है।
सामान्यतया, पति द्वारा पत्नी का परित्याग करने, उसके साथ क्रूरता का व्यवहार कर उसे अलग रहने के लिए मजबूर करने या पति द्वारा दूसरी शादी कर लेने या पति का किसी अन्य महिला के साथ रहने, पति के किसी संक्रामक रोग से ग्रसित होने या पति द्वारा धर्म परिवर्तन कर लेने की वजह से पत्नी का उससे अलग रहना और विवाह विच्छेद जैसी परिस्थितियों में पत्नी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ते के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। लेकिन पेश मामले में पति-पत्नी एक ही घर में साथ-साथ रहते हैं। पति का दावा है कि वह अपनी पत्नी की सारी जरूरतों को पूरा करता है लेकिन इसके बावजूद गुजारा भत्ता के माध्यम से पत्नी रहन-सहन की दोहरी राहत चाहती है।
याचिकाकर्ता पति दिल्ली परिवहन निगम का सेवानिवृत्त विदुर कर्मचारी है और उसने तलाकशुदा महिला से दूसरी शादी की थी। इस व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद करीब तीस हजार रुपए पेंशन मिल रही है। याचिकाकर्ता पति का दावा है कि उसने सेवानिवृत्ति पर मिली ग्रेच्युटी की राशि में से 2018 में एकमुश्त पांच लाख रुपए अपनी पत्नी को दिए थे जो उसने एक साल के भीतर ही खर्च कर दिए। इसके बाद भी पत्नी की और पैसों की मांग का सिलसिला जारी रहा। इनकार करने पर उसने कथित रूप से इसके गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
इसके बाद ही पत्नी ने भरण-पोषण की मांग करते हुए कुटुम्ब अदालत में मामला दाखिल तीस हजार रुपए बतौर गुजारा भत्ता दिलाने का अनुरोध किया था।
चूंकि कुटुम्ब अदालत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ते के लिए मुख्य मामला लंबित रहने के दौरान पत्नी, अवयस्क संतान, अविवाहित पुत्री और माता या पिता, जैसा प्रकरण हो, अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकती है, इसलिए अदालत ने पत्नी को भरण-पोषण के लिए हर महीने दस हजार रुपए महीने देने का अंतरिम आदेश दे दिया। याचिकाकर्ता का तर्क है कि कुटुम्ब अदालत ने धारा 125 के तहत अंतरिम गुजारा भत्ते का आदेश देते समय कुछ मूलभूत बिन्दुओं की अनदेखी की है।
इस सेवानिवृत्त कर्मचारी की दलील है कि कुटुम्ब अदालत ने पति और पत्नी के अलग रहने की अनिवार्यता संबंधी व्यवस्थाओं को नजरअंदाज कर दिया। यही नहीं, पेश मामले में पति द्वारा पत्नी की उपेक्षा करने या उसकी देखरेख करने से इनकार करने जैसा कोई साक्ष्य भी अदालत के समक्ष नहीं था।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत पत्नी, अवयस्क संतान और माता-पिता को गुजारा भत्ता देने के मामले में अनेक फैसले हैं। न्यायालय ने पति के बेरोजगार होने और आय का पर्याप्त साधन नहीं होने की वजह से पत्नी और संतान को गुजारा भत्ता देने में असमर्थता को वैध आधार नहीं माना है। गुजारा भत्ता की पात्रता के सवाल पर पत्नी के शिक्षित या मॉडलिंग के कारण होने वाली आमदनी जैसी दलीलों पर भी अपनी सुविचारित व्यवस्थाएं हैं। लेकिन जहां तक पत्नी की पर्याप्त आमदनी का मुद्दा है तो पति को ही यह साबित करना होगा कि उससे अलग रहने वाली उसकी पत्नी खुद अपना जीवन निर्वहन करने में आर्थिक रूप से सक्षम है।
यही नहीं, धारा 125 के तहत न्यायालय ने उन परिस्थितियों की भी व्याख्या, जिनमें पति से अलग रहने वाली या विवाह विच्छेद की स्थिति अथवा पत्नी के दूसरी शादी करने से उत्पन्न स्थिति में गुजारा भत्ते के सवाल पर भी फैसले दिए हैं। लेकिन यह संभवत: पहला मामला है, जिसमें एक ही छत के नीचे रहने वाले पति-पत्नी के बीच गुजारा भत्ते का सवाल उठा है और अब इस पर न्यायिक व्यवस्था का इंतजार है।