शिकारियों को जमानत देने पर वन विभाग ने उठाए सवाल
विकासनगर। हिरन प्रजाति के दो घुरड़ के शिकार प्रकरण में थाना पुलिस की कार्रवाई को लेकर वन विभाग मुखर हो गया है। वन विभाग ने थाना पुलिस की कार्रवाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में जहां एसएसपी और मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को घटना की जानकारी दी गयी है। वन संरक्षक यमुना वृत्त ने डीएफओ टौंस और चकराता से घुरड़ शिकार प्रकरण को लेकर रिपोर्ट मांगी गयी है। त्यूणी थाना पुलिस ने बीस मई की सुबह छह बजे गश्त के दौरान त्यूणी मोरी मोटर मार्ग पर चात्री गाड़ के समीप हिमाचल प्रदेश नंबर की दो कारों में मारे गये दो घुरड़ और पांच शिकारियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों से पुलिस ने टेलीस्कोप लगी राइफल, दस जिंदा कारतूस भी बरामद किये। पुलिस ने इस मामले में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम व आर्म्स ऐक्ट में मुकदमा दर्ज किया। लेकिन पुलिस ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों को सूचना दिए बगैर घुरड़ का पोस्टमार्टम कर गिरफ्तार किये गये पांच शिकारियों को बिना कोर्ट में हाजिर किये जमानत पर रिहा कर दिया। जिसको लेकर जहां स्थानीय लोगों में पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर प्रश्नचिन्ह लगाये जा रहे हैं वहीं वन विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मामले को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन संरक्षक यमुना वृत डॉ. धीरज पांडेय ने कहा कि वन्य जीव संरक्षण ऐक्ट में थाने से जमानत का कोई प्रावधान ही नहीं है। कहा कि शिकारियों के पास दस जिंदा कारतूस, मारे हुए दो घुरड़, कार में बरामद हो गये। डॉ. पांडेय ने कहा कि वन विभाग की टीम घुरड़ के शिकारियों से पूछताछ जांच पड़ताल करने हिमाचल प्रदेश जायेगी। इधर डीएफओ चकराता कल्याणी नेगी ने एसएसपी को पत्र भेजकर घटनाक्रम से अवगत कराने व थाना पुलिस कार्रवाई पर पत्राचार किया। थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार ने बताया कि घुरड़ के शिकार प्रकरण पर कानूनी प्रकिया के तहत ही जमानत दी गयी है। इसमें कहीं कोई कोताही नहीं बरती गयी है। सभी कुछ कानून के अनुसार किया गया है।