November 22, 2024

ऑस्ट्रेलिया ने जीता महिला क्रिकेट का पहला राष्ट्रमंडल स्वर्ण, भारत को रजत


बर्मिंघम । ऑस्ट्रेलिया ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 में रविवार को बेथ मूनी (61) और ऐथले गार्डनर (तीन विकेट) के महत्वपूर्ण योगदानों की बदौलत महिला क्रिकेट फाइनल में भारत को नौ रन से मात देकर स्वर्ण पदक हासिल किया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने 20 ओवर में 162 रन का लक्ष्य रखा था, जिसके जवाब में भारत 152 रन पर ऑल आउट हो गयी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार महिला क्रिकेट को शामिल किया गया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक हासिल किया है।
००)हम फाइनल में लगातार गलतियां दोहरा रहे हैं : हरमनप्रीत
बर्मिंघम,। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने खिताबी मुकाबले में फिर से बल्लेबाजी पतन पर निराशा व्यक्त की और स्वीकार किया कि उनकी टीम को फाइनल में लगातार एक जैसी गलतियां दोहराने से बचना होगा।
महिला क्रिकेट को पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल किया गया जिसमें भारतीय टीम के पास स्वर्ण पदक जीतने का सुनहरा मौका था। भारत हालांकि फाइनल में फिर से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया और ऑस्ट्रेलिया से नौ रन से हार गया।
इस मैच में भी भारतीय बल्लेबाजी उसी तरह से लडख़ड़ा गई जैसे कि 2020 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 विश्वकप और 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे विश्व कप के दौरान देखने को मिला था।
हरमनप्रीत ने मैच के बाद कहा, हर बार बड़े फाइनल्स में हम (बल्लेबाजी में) लगातार एक जैसी गलतियां दोहरा रहे हैं। यह ऐसी चीज है जिसमें हमें सुधार करना होगा। उन्होंने कहा, हम लीग चरण या द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में इस तरह की गलतियां नहीं करते हैं। यह कहीं ना कहीं हमारे दिमाग में घर कर गई है।
भारत को अंतिम छह ओवर में 50 रन की दरकार थी और उसके पास आठ विकेट बचे हुए थे। भारत को तब आसानी से जीत दर्ज करनी चाहिए थी लेकिन उसने बल्लेबाजों के खराब शॉट चयन के कारण 13 रन के अंदर पांच विकेट गंवा दिए।
हरमनप्रीत और जेमिमा रोड्रिगेज ने 96 रन की साझेदारी की लेकिन इन दोनों ने खराब शॉट खेलकर अपने विकेट गंवाए।हरमनप्रीत ने कहा,मैं हमेशा एक अतिरिक्त बल्लेबाज की तलाश में रहती हूं। अभी हम इस पर काम कर रहे हैं। एक बार हम इसे हासिल कर लेंगे तो फिर बल्लेबाजी पतन से उबर जाएंगे।
उन्होंने कहा, दो विकेट गंवाने के बाद जेमिमा और मैंने जिस तरह से बल्लेबाजी की वह उस समय की जरूरत थी। आपको संयमित होकर खेलने की जरूरत थी। हम वास्तव में लक्ष्य के करीब थे।
हरमनप्रीत ने कहा, अगर मैं या पूजा (वस्त्राकर) में से कोई टिका रहता तो हम मैच जीत सकते थे। लेकिन यह खेल का हिस्सा है। कई बार कुछ चीजें आपके नियंत्रण में नहीं होती हैं। हमें यहां काफी कुछ सीखने को मिला।
भारत भले ही फाइनल में हार गया लेकिन हरमनप्रीत राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान अपनी टीम के प्रदर्शन से खुश और संतुष्ट हैं।भारतीय कप्तान ने कहा,  मैं जानती हूं कि हम स्वर्ण पदक जीतने के करीब थे लेकिन कुल मिलाकर हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। हम पहली बार इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे और हमें खुशी है कि हमने रजत पदक जीता।
उन्होंने कहा,  यह पदक ऐसा है जिससे कि स्वदेश में लोग प्रेरित होंगे और वह क्रिकेट खेलना शुरू कर सकते हैं। एक टीम के रूप में हम युवा लड़कियों को प्रेरित करना चाहते हैं। इस तरह के मंच पर अच्छा प्रदर्शन करने से स्वदेश में लोग प्रेरित होंगे।ताहिला मैकग्रा कोविड-19 के लिए पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई एकादश का हिस्सा थी।
हरमनप्रीत ने इस बारे में कहा,  उन्होंने हमें टॉस से पहले इस बारे में सूचित किया। यह ऐसी चीज है जो हमारे नियंत्रण में नहीं है। राष्ट्रमंडल खेलों को इस बारे में फैसला करना था और वह बहुत बीमार नहीं थी और हमें कोई दिक्कत नहीं थी। इसलिए हमने खेलने का फैसला किया। हमें खेल भावना दिखानी थी। मुझे खुशी है कि ताहिला को मना नहीं किया गया।

निखत जरीन ने मारा गोल्डन पंच; भारत का 17वां स्वर्ण पदक
बर्मिंघम । बॉक्सिंग में भारत को एक और कामयाबी मिली है. देश की महिला मुक्केबाज और विश्व चैंपियन निखत जरीन ने रविवार को राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है. निकहत ने 51 किग्रा वर्ग के फाइनल में उत्तरी आयरलैंड के केरी मैकनॉल को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। यह राष्ट्रमंडल 2022 में भारत का 48वां स्वर्ण पदक और मुक्केबाजी में तीसरा स्वर्ण पदक है। निखत ने पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए मेडल जीता है. पहले दौर में निखत का दबदबा था। उसने सभी 5 जजों में से 10 में से 10 अंक हासिल किए। दूसरे दौर में नतीजा निखत के पक्ष में रहा। तीसरे दौर में, उसने निरंतरता बनाए रखी और स्वर्ण पदक पर अपनी पकड़ मजबूत की। निकहत ने अपने से 7 साल सीनियर खिलाड़ी को थका दिया। मैरी कॉम एक समय 51 किग्रा वर्ग में दबदबा रखती थीं। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 का आज 10वां दिन है। आज नीतू, अमित के बाद निकत ने भी बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. भारत के प्रदर्शन को देखते हुए उसने 17 स्वर्ण, 12 रजत और 19 कांस्य समेत कुल 48 पदक जीते हैं.
भारत की पदक तालिका: 48
17 स्वर्ण: मीराबाई चानू, जेरेमी लाल्रिगुना, अंचिता शेवली, महिला लॉन बॉल्स टीम, टेबल टेनिस पुरुष टीम, सुधीर (पैरा भारोत्तोलन), साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, दीपक पुनिया, रवि कुमार दहिया, विनेश फोगट, नवीन, भावना (पैरा टेबल) टेनिस), नीतू घंघास, अमित पंघाल, एल्डहॉस पॉल, निकहत जरीन।
12 रजत: संकेत सरगर, बिंदियारानी देवी, सुशीला देवी, विकास ठाकुर, भारतीय बैडमिंटन टीम, तूलिका मान, मुरली श्रीशंकर, अंजू मलिक, प्रियंका गोस्वामी, अविनाश सेबल, पुरुष लॉन बाउल्स टीम, अब्दुल्ला अबोबाइकर।
19 कांस्य: गुरुराजा पुजारी, विजय कुमार यादव, हरजिंदर कौर, लवप्रीत सिंह, लवप्रीत सिंह, गुरदीप सिंह, तेजस्विन शंकर, दिव्या काकरन, मोहित ग्रेवाल, जैस्मीन, पूजा गहलोत, पूजा सिहाग, मोहम्मद हुसामुद्दीन, दीपक नेहरा, रोहित टोकस, महिला हॉकी संघ, सौरव घोषाल, संदीप कुमार, अन्नू रानी।
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)एल्डोस पॉल ने राष्ट्रमंडल खेलों में त्रिकूद में भारत को पहला स्वर्ण दिलाया, अबूबाकर को रजत
बर्मिंघम, । एल्डोस पॉल की अगुआई में भारत ने रविवार को यहां राष्ट्रमंडल खेलों की पुरुष त्रिकूद स्पर्धा स्पर्धा में पहले दो स्थान पर कब्जा जमाकर इतिहास रच दिया और एथलेटिक्स में चार पदकों के साथ रविवार का दिन भारत के लिये यादगार हो गया ।
पॉल के स्वर्ण पदक के अलावा केरल के उनके साथी एथलीट अब्दुल्ला अबूबाकर ने भी इस स्पर्धा का रजत पदक जीता। भारत ने आधे घंटे के भीतर चार पदक जीते जिससे एथलेटिक्स में इस बार भारत के एक स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य पदक हो गए हैं जो अब तक का देश के बाहर इन खेलों में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है ।पॉल राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने वाले छठे भारतीय एथलीट हो गए । मिल्खा सिंह ने 1958 में 440 गज में यह कारनामा किया था ।
पॉल ने अपने तीसरे प्रयास में 17.03 मीटर की सर्वश्रेष्ठ दूरी तय की। अबूबाकर 17.02 मीटर के प्रयास के साथ दूसरे स्थान पर रहे। अबूबाकर ने अपने पांचवें प्रयास में यह दूरी तय की। भारत के ही प्रवीण चित्रावल 16 . 89 मीटर के साथ चौथे स्थान पर रहे ।बरमूडा के जाह-एनहाल पेरिनचीफ ने 16.92 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता।
भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में त्रिकूद में चार पदक जीते हैं लेकिन यह पहला मौका है जब देश के दो एथलीट ने एक साथ पोडियम पर जगह बनाई है।मोहिंदर सिंह गिल ने 1970 और 1974 में क्रमश: कांस्य और रजत पदक जीता जबकि रंजीत महेश्वरी और अरपिंदर सिंह 2010 और 2014 में तीसरे स्थान पर रहे।
भारत की अनु रानी ने भाला फेंक स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया । वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली देश ही पहली महिला भाला फेंक खिलाड़ी बन गयीं।रानी ने अपने तीसरे प्रयास में 60 मीटर दूर भाला फेंककर तीसरा स्थान हासिल किया।
विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया की केलसे ली बार्बर ने 64.43 मीटर के थ्रो से स्वर्ण पदक जीता जबकि उनकी हमवतन मैकेंजी लिटिल 64.27 मीटर के थ्रो से दूसरे स्थान पर रहीं।रानी से पहले राष्ट्रमंडल खेलों में काशीनाथ नायक और ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा पुरूषों की भाला फेंक स्पर्धा में क्रमश: कांस्य और स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
नायक ने 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में जबकि चोपड़ा ने 2018 गोल्ड कोस्ट में पदक जीते थे।भारत के संदीप कुमार ने पुरूषों की 10,000 मीटर पैदल चाल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।
संदीप ने 38:49.21 मिनट का समय निकाला जिससे वह स्वर्ण पदक विजेता कनाडा के इवान डनफी (38:36.37) और रजत पदक विजेता आस्ट्रेलिया के डेकलान टिनगे (38:42.33) से पीछे रहे।इस स्पर्धा में एक अन्य भारतीय अमित खत्री सत्र के सर्वश्रेष्ठ समय 43:04.97 से नौंवे स्थान पर रहे।
इससे पहले पैदल चाल में महिलाओं के वर्ग में प्रियंका गोस्वामी रजत पदक जीत चुकी है ।भालाफेंक में नीरज चोपड़ा की गैर मौजूदगी में भारत की झोली खाली रही । चोपड़ा ने फिटनेस कारणों से खेलों में भाग नहीं लेना का फैसला किया था ।
भारत के डी पी मनु 82 . 28 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ पांचवें और रोहित यादव 82 . 22 मीटर के साथ

छठे स्थान पर रहे । पाकिस्तान के अर्शद नदीम ने खेलों का नया रिकॉर्ड बनाकर 90 . 18 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता जबकि विश्व चैम्पियनशिप में नीरज को हराकर स्वर्ण जीतने वाले ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स को रजत पदक मिला । कीनिया के जूलियस येगो ने कांस्य पदक जीता ।
भारतीय महिला चार गुणा 100 मीटर रिले टीम फाइनल में 43 . 81 सेकंड का समय निकालकर पांचवें स्थान पर रही ।भारतीय टीम में दुती चंद, हिमा दास, श्रबानी नंदा और ज्योति याराजी थे । नाइजीरियाई टीम ने 42 . 10 सेकंड के साथ स्वर्ण जीता जबकि इंग्लैंड को रजत और जमैका को कांस्य पदक मिला ।
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)मुक्केबाजी में निकहत, पंघाल और नीतू को स्वर्ण , सागर को रजत पदक
बर्मिंघम । मुक्केबाजी रिंग में भारत के लिये राष्ट्रमंडल खेलों में रविवार का दिन स्वर्णिम रहा जिसमें मौजूदा विश्व चैम्पियन निकहत जरीन , स्टार मुक्केबाज अमित पंघाल और नीतू गंघास ने पीले तमगे अपने नाम किये जबकि सागर को रजत पदक मिला ।
शानदार फॉर्म में चल रही 26 साल की निकहत ने लाइट फ्लाईवेट (48-50 किग्रा) स्पर्धा में उत्तरी आयरलैंड की कार्ले मैकनॉल पर एकतरफा फाइनल में 5-0 से जीत दर्ज की।
पंघाल ने पिछले राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में मिली हार का बदला चुकता करते हुए पुरूष फ्लाईवेट वर्ग में जबकि नीतू गंघास ने पदार्पण में ही दबदबा बनाते हुए स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले। वहीं सुपर हैवीवेट (92 प्लस) वर्ग में सागर अंकों के आधार पर इंग्लैंड के ओरी डेलिशियस से 0 . 5 से हार गए और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा ।
पंघाल (48-51 किग्रा) को चार साल पहले गोल्ड कोस्ट में इंग्लैंड के ही एक प्रतिद्वंद्वी से इसी चरण में हार मिली थी लेकिन इस बार 26 साल के मुक्केबाज ने अपनी आक्रामकता के बूते घरेलू प्रबल दावेदार मैकडोनल्ड कियारान को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता।
पंघाल काफी तेजी से मुक्के जड़ रहे थे जिससे इस दौरान मैकडोनल्ड के आंख के ऊपर एक कट भी लग गया जिसके लिये उन्हें टांके लगवाने पड़े और खेल रोकना पड़ा।अपनी लंबाई का इस्तेमाल करते हुए मैकडोनल्ड ने तीसरे राउंड में वापसी की कोशिश की लेकिन एशियाई खेलों के चैम्पियन ने उनके सभी प्रयास नाकाम कर दिये।
पंघाल ने सेमीफाइनल में जाम्बिया के तोक्यो ओलंपियन पैट्रिक चिनयेम्बा के खिलाफ वापसी करते हुए जीत दर्ज की थी जो उनके लिये ‘टर्निंग प्वाइंट’ रही।
उन्होंने कहा, यह सबसे कठिन मुकाबला रहा और ‘टर्निंग प्वाइंट’ भी। मैंने पहला राउंड गंवा दिया था लेकिन अपना सबकुछ लगाकर वापसी कर जीत हासिल की।
ब्रिटिश प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ रणनीति के बारे में उन्होंने कहा, वह मुझसे काफी लंबा था और मुझे काफी आक्रामक होना पड़ा ताकि मुक्का मारने के लिये उसकी हाथों के अंदर जा सकूं। यह रणनीति कारगर रही। मेरे कोच ने बढिय़ा काम किया क्योंकि हमने रणनीति बनायी और मैंने वैसा ही रिंग में किया।
विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता पंघाल ने कहा, मैंने पहले दो राउंड जीतने के लिये अच्छा किया। मुझे लगा कि वह अंतिम राउंड जीत गया लेकिन मैं तब तक उससे काफी आगे जा चुका था। पर वह काफी अच्छा प्रतिद्वंद्वी था। उन्होंने कहा, इससे मेरा आस्ट्रेलिया (गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल) में फाइनल में हारने का बदला चुकता हो गया। मैं जानता था कि यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि मैं इंग्लैंड में उसके ही मुक्केबाज से लड़ रहा था। लेकिन जज निष्पक्ष और सटीक रहे।
वहीं सबसे पहले रिंग में उतरी नीतू ने महिलाओं के मिनिममवेट (45-48 किग्रा) वर्ग के फाइनल में विश्व चैम्पियनशिप 2019 की कांस्य पदक विजेता रेस्जटान डेमी जेड को सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से पराजित किया।राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण में ही नीतू ने गजब का आत्मविश्वास दिखाया और फाइनल में भी वह इसी अंदाज में खेली जैसे पिछले मुकाबलों में खेली थीं।
मेजबान देश की प्रबल दावेदार के खिलाफ मुकाबले का माहौल 21 साल की भारतीय मुक्केबाज को भयभीत कर सकता था लेकिन वह इससे परेशान नहीं हुईं।नीतू अपनी प्रतिद्वंद्वी से थोड़ी लंबी थीं जिसका उन्हें फायदा मिला, उन्होंने विपक्षी के मुक्कों से बचने के लिये पैरों का अच्छा इस्तेमाल किया।
उन्होंने पूरे नौ मिनट तक मुकाबले के तीनों राउंड में नियंत्रण बनाये रखा और विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर दमदार मुक्के जडऩा जारी रखते हुए उसे कहीं भी कोई मौका नहीं दिया।नीतू ने तेज तर्रार, ‘लंबी रेंज’ के सटीक मुक्कों से प्रतिद्वंद्वी को चारों खाने चित्त कर दिया। उन्होंने कहा, मैं बहुत खुश हूं। मुझे सांस भी नहीं आ रहा।
उनके पिता हरियाणा विधानसभा में कर्मचारी हैं। भारत के मुक्केबाजी में ‘मिनी क्यूबा’ कहलाये जाने वाले भिवानी की नीतू ने कहा, मेरे माता-पिता मेरी प्रेरणा रहे हैं और मेरा स्वर्ण पदक उनके लिये ही है।