गुजरात के मोरबी का श्मशान
रविवार 30 अक्टूबर 2022 को शाम साढ़े छ: बजे मोरबी में एक 130 साल पुराना ब्रिटिश काल के संस्पेंशन ब्रिज टूट गया और लगभग 400-500 लोग गहरे पानी में डूब गये । सरकारी ऑंकड़ों के अनुसार लगभग 134 लोग मारे गये हैं । बड़ी संख्या में लोग घायल होकर अस्पताल में भर्ती हैं । घटना के कई दिन बीतने के बाद भी मृतकों की तलाश जारी है क्योंकि आशंका है कि अभी भी लोग गहरे पानी में डूबे मरे पड़े होंगे । कहते हैं कि 150 लोग ब्रिज पर मौजूद थे । लगभग सात/आठ महीने से ब्रिज बन्द था, मरम्मत के लिए । गुजरात में दिवाली के बाद नया विक्रम वर्ष शुरू होता है । अत: घटना के तीन/चार दिन पहले ही ब्रिज खोला गया था ।
घटना के तुरंत बाद तो विभिन्न राजनैतिक दलों ने कहा था कि इस हादसे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए, पर अब विपक्ष भाजपा पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है । कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का आरोप है कि जिस कम्पनी को मरम्मत का ठेका दिया गया था, उसने बड़ी मात्रा में भाजपा को चंदा दिया है । वह कम्पनी घड़ी बनाती है । उसे ब्रिज मरम्मत का कोई अनुभव नहीं है । कई करोड़ खर्च करके पुल की मरम्मत कराई गई थी जो तीन दिन में टूट गया और सैकड़ों लोग मारे गये ।
असल में वे दिन बीत गए जब एक रेल दुर्घटना में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने त्यागपत्र दे दिया था गुजरात के गृहमंत्री कहते हैं कि उन्होंने घटना वाली रात वहां ही बिताई, प्रधानमंत्री तक गुजरात में ही थे । उन्होंने तत्काल मुख्यमंत्री से बात की और जैसा औपचारिकता में होना चाहिए उन्होंने तुरन्त राहत देने की बात कही । अपनी ओर से मृतकों को दो ?2००0 और घायलों को ?5०० देना तय किया । राज्य सरकार ने मृतकों को चार लाख और घायलों को पचास हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की । जब प्रधानमंत्री दो दिन बाद पहली नवम्बर को घटना स्थल का दौरा किया तो वहां अस्पताल में साफ-सफाई, पेंट किया गया और मरीजों को समझाया गया कि प्रधानमंत्री से क्या कहना चाहिए । एस.डी. आर.एफ और एन.डी.आर.एफ बचाव कार्य में जुड़े हैं ।
एक अनुमान है कि लगभग 400 500 लोग नदी में गिरे हैं परन्तु घायल और मृतकों की संख्या अभी लगभग 200 तक की ही है तो अभी भी 200 से ज्यादा लोग पानी में समाये होंगे ।
आर्किटेक्चर के प्रोफेसर का कहना है कि शायद ज्यादा लोगों के कारण पुल भार नहीं सह पाया और हिलने के कारण टूट गया । अंग्रेजों ने भारत पर बहुत जुल्म ढाये । परन्तु वे भारतीय रीति-रिवाजों से खिलवाड़ नहीं करते थे । अंग्रेज कलेक्टर भी मय्यत में या किसी जनाजे के निकलने पर अपनी मोटर कार से उतर जाता था और अपना टोप उतार देता था । आजकल टी.वी. में सीरियलों में यद्यपि ऐसे अवसरों पर लोग स्त्री और पुरुष सफेद कपड़ों में दिखलाई देते हैं परन्तु आज स्त्री और पुरुष फैशन में भी दिखलाई पड़ते हैं ।
मोरबी हादसे के बाद राजनेता गुजरात में जैसे भाषण देते रहे, 31 अक्टूबर को जयंती मनाई जाती रही । पंतप्रधान टॉप लगाई दिखलाई दिये, कई राजनेता अलग-अलग कार्यक्रमों में अलग-अलग वस्त्र बदलते दिखलाई दिये, उसे लगता है कि मोरबी हादसा उनके लिए चिंता का विषय नहीं है ।
विपक्ष के लिए राजनैतिक हथियार है और सत्तापक्ष को किसी की चिंता नहीं है । वे अपनी जीत के लिए आश्वस्त हैं । टी.वी. पर बहस चल रही है कि यहां ठग सुशेश ने आम आदमी पार्टी के जेल में बंद सत्येंद्र जैन को दस करोड़ रुपया दिया है । क्या मजाक है ? सुशेश के पास जेल में रहते 10 करोड़ कहां से गया और जेल में बंद सत्येन्द्र जैन क्या फायदा पहुंचा सकता है । परन्तु भाजपा के प्रवक्ता छाती ठोक कर सत्येंद्र जैन को दोषी मानते हैं । असल में तो यदि बात सच्ची है तो पूरे जेल प्रशासन पर कार्रवाई होना चाहिए ।
असल में न तो मुख्यमंत्री, न गुजरात के गृहमंत्री, न वहां के शहरी विकास मंत्री, न ही सडक़ मार्ग के मंत्री, न ही कम्पनी पर कोई केस किया गया है । कहते हैं नौ लोगों को पकड़ा गया है । उनमें दो टिकट बेचने वाले, तीन गार्ड जो टिकट चैक करते थे दो ब्रिज रिपेयर करने वाले मिस्त्री, और दो कम्पनी के मैनेजर पकड़े गये हैं ।
असल में क्या टिकट कलेक्टर या टिकट बेचने वाले जिम्मेदार हैं ? इसमें राजनीति स्तर पर आ गई है कि रिश्वत खाने वाले, राजनैतिक दबाव डालने वाले राजनेता और पंत प्रधान सहित सभी राजनैतिक दलों के अध्यक्ष मात्र घडिय़ाली आंसू बहाते हैं और फिर अगले हफ्ते तक का इंतजार करना होगा ।