सिपाही की बेटी का खतरनाक सफर
अनिल सती
एक मामूली सिपाही की बेटी जिसने खुद सबसे खतरनाक माफिया से शादी की और जुर्म की दुनिया में उसका भागीदार बन गई। जी हां आप समझ ही गए होंगे की हम बात किसकी कर रहे हैं, यदि नहीं समझे तो चलिए हम बताते हैं आपको कि आखिर कौन है ये महिला। आपको पता है शाइस्ता का मतलब होता है सभ्यता, शांत, उत्पात न मचाने वाली, कोई शरारत न करने वाली। लेकिन शाइस्ता परवीन इन सब से कुछ अलग निकली। बता दें कि अतीक अहमद के जेल जाने के बाद उसका सम्राज्य उसके कई अहम मददगार ने संभाला। लेकिन सबसे अहम किरदार में उसकी बीबी शाइस्ता परवीन रही। उसने अगस्त 1996 में प्रदेश के सबसे खतरनाक माफिया अतीक अहमद से शादी की और उसके किए हुए कारनामों में कदम से कदम मिलाकर चलने लगी। शाइस्ता परवीन प्रयागराज के रामपुर गांव की रहने वाली हैं। आज यूपी पुलिस जिस शाइस्ता के सरेंडर करने की राह देख रही है उसी यूपी पुलिस में शाइस्ता के पिता एक सिपाही हुआ करते थे। एक पुलिस वाले की बेटी से मोस्ट वांटेड आरोपी तक, आखिर कौन है शाइस्ता परवीन? जिस पर यूपी पुलिस ने पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
मामूली परिवार में जन्म
प्रयागराज के दामूपुर गांव की शाइस्ता परवीन चार बहनों और दो भाइयों में सबसे बड़ी हैं। उसके पिता मोहम्मद हारून एक रिटायर पुलिस कांस्टेबल हैं। शाइस्ता के दो भाइयों में से एक मदरसे का प्रिंसिपल है। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, शाइस्ता से उम्मीद की जा रही थी कि वो लाइमलाइट से दूर एक आम जीवन जिएं और विवादों में न फंसे। द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में वो खुद को घरेलू कामों तक सीमित रखते हुए अपने पिता के साथ एक सरकारी पुलिस क्वार्टर में रहती थी।
अतीक अहमद से ज्यादा शिक्षित
अतीक अहमद ने औपचारिक शिक्षा ही प्राप्त की थी जबकि शाइस्ता परवीन ने हिम्मतगंज, प्रयागराज में किदवई गर्ल्स इंटर कॉलेज में अध्ययन किया। उसने अपना ग्रेजुएशन भी पूरा किया। उन्हें इस बात का जरा सा भी आभास नहीं था कि 1996 में जब उनकी अतीक से शादी हुई, तो उनका जीवन पूरा यू-टर्न ले लेगा। शाइस्ता ने पहले कभी सोचा भी नहीं होगा कि वह अंडरवर्ल्ड से जुड़ जाएगी।
राजनीति के साथ शाइस्ता का जुड़ाव
शाइस्ता ने राजनीति में किस्मत आजमाई। वह 2021 में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम में शामिल हो गईं। हालांकि, इस साल जनवरी में प्रयागराज मेयर चुनाव के लिए टिकट सुरक्षित करने की उम्मीद में बसपा की सदस्य बन गईं। लेकिन उमेश पाल की पत्नी जया पाल द्वारा उनकी हत्या के मामले में दायर की गई प्राथमिकी में उन्हें आरोपी बनाए जाने के बाद, शाइस्ता की मुश्किलें बढ़ गईं और उनकी पार्टी ने खुद को विवाद से दूर कर लिया। बसपा प्रमुख मायावती ने बाद में घोषणा की कि शाइस्ता को मेयर का चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिलेगा।
उमेश पाल मर्डर केस में नामजद
अतीक अहमद पर 100 से अधिक मामलों में आरोप लगाया गया था। वहीं किसी भी अपराध में आरोपी के रूप में नामित होने वाली शाइस्ता परवीन अपने परिवार की पहली महिला बनीं। 2005 के बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या में दर्ज प्राथमिकी में उनका उल्लेख है। तब से वो पुलिस को चकमा दे रही थी। मामले की जांच अभी भी जारी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शाइस्ता उस मामले में शामिल मानी जा रही है, जिसमें इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल और उनके दो पुलिस गार्डों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसने कथित तौर पर अपने बेटे असद और शूटर गुलाम को उमेश पाल की हत्या के बाद प्रयागराज से भाग जाने के लिए कहा था। शाइस्ता के खिलाफ अब तक चार मामले दर्ज हो चुके हैं।
शाइस्ता के बेटे भी आपराधिक मामलों में आरोपी
शाइस्ता और अतीक अकेले नहीं थे जिन्हें कई अपराध मामलों में आरोपी बनाया गया था। उसका सबसे बड़ा बेटा उमर 2018 में लखनऊ के एक व्यवसायी मोहित जायसवाल से जबरन वसूली, मारपीट और अपहरण के आरोप में लखनऊ जेल में बंद है। उसका दूसरा बेटा अली हत्या के प्रयास और जबरन वसूली के आरोप में प्रयागराज की नैनी जेल में बंद है। उसके दो नाबालिग बेटों ऐजान अहमद और अबान अहमद को पुलिस ने बाल संरक्षण गृह में रखा है। हालांकि, शाइस्ता ने एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया कि पुलिस ने नाबालिग बेटों को पूछताछ के लिए उनके घर से उठाया और उसके बाद से उनका कोई पता नहीं चल रहा है। उमेश पाल हत्याकांड में नामजद असद 13 अप्रैल को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।
सरेंडर करने की अफवाह
झांसी में पुलिस मुठभेड़ में उनके बेटे असद के मारे जाने के बाद ऐसी अटकलें थीं कि शाइस्ता आत्मसमर्पण कर देंगी। हालाँकि, वह अपने बेटे के अंतिम संस्कार में भी नहीं आई। जब प्रयागराज में पुलिस हिरासत में अतीक और उसके भाई की गोली मारकर हत्या कर दी गई, तो अफवाहें फैलीं कि शाइस्ता आखिरकार पेश होंगी। लेकिन इसके बाद भी वह कहीं नहीं दिखीं। सवाल यह है कि शाइस्ता परवीन कब आएंगी और क्या वह आत्मसमर्पण करेगी? अभी ये सवाल भविष्य की गर्भ में दफन हैं।