September 17, 2024

शिक्षा विभाग में ग्रीष्मकालीन अवकाश को दो भागों में विभाजित करने का सुझाव


देहरादून। मानसून अवकाश पर शिक्षक संगठनों ने सरकार को सुझाव देने शुरू कर दिए। राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार गर्मियों के अवकाश को दो भागों में विभाजित करने का सुझाव दिया है। दूसरी तरफ, प्राथमिक शिक्षक संघ की हरिद्वार शाखा ने सरकार से मानसून अवकाश केवल पर्वतीय जिलों में रखने की पैरवी की है। मालूम हो कि शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मानसून के दौरान छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा के मददेनजर मानसून अवकाश शुरू करने की घोषणा की है।
राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय राजपूत ने कहा कि प्रदेश मानसून के दौरान छात्रों के साथ साथ शिक्षकों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए 27 मई से 30 जून तक रहने वाले गर्मियों के अवकाश को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। बाकी बरसात के दिनों में तीन अवकाश डीएम और तीन ही अवकाश प्रधानाचार्य के विवेकाधीन होते हैं। इससे मानसून अवकाश को अच्छा पूल बन सकता है। राजपूत ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रघुवीर सिंह पुंडीर ने कहा कि वास्तव में पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून के दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस अवधि में अवकाश रहने से न केवल छात्र बल्कि शिक्षक भी सुरक्षित रहेंगे। साथ ही अवकाश तय होने से बरसात के दिनों में प्रशासन के स्तर से स्कूल बंद होने से पढ़ाई का भी नुकसान होता है। अवकाश तय होने से स्कूलों शैक्षिक कैलेंडर को भी पूरी तरह से लागू किया जा सकेगा।
प्राथमिक शिक्षक संघ की हरिद्वार शाखा के अध्यक्ष मुकेश चौधरी और जिला मंत्री जितेंद्र चौधरी ने डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी को ज्ञापन भेजते हुए मैदानी जिलों में ग्रीष्मावकाश की व्यवस्था यथावत रखने की पैरवी की। कहा कि, राज्य में पहाड़ और मैदान क्षेत्र में मौसम अलग अलग होता है। पर्वतीय जिलों में मानसून के दौरान भूस्खलन, बोल्डर गिरने की घटनाएं होती है। लेकिन मैदानी जिलों में ऐसा नहीं होता। यहां गर्मियों में भीषण गर्मी होती है। इसलिए हरिद्वार व मैदानी क्षेत्र में गर्मियों का अवकाश ही बेहतर है।
 सरकार के निर्देश के अनुसार मानसून अवकाश का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके स्वरूप पर छात्र, शिक्षक, अभिभावकों से भी राय ली जाएगी। छात्रों की सुरक्षा विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता है।   -बंशीधर तिवारी, डीजी-शिक्षा