November 22, 2024

अनंतनाग में शहीद मेजर आशीष धोनैक की मां बोलीं- बेटा देश को दे दिया था, मैं नहीं रोऊंगी


पानीपत। मेरा बेटा तो देश का था। हमने उसे देश के लिए दिया था। गम तो बहुत है पर मैं रोऊंगी नहीं। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए मेजर आशीष धौनेक की मां के ये शब्द हैं। नम आंखों और रुंधे गले से वह कहती हैं कि मेरा बेटे की कोई तीन ही बहन नहीं थीं। देश की तमाम बहनें उसकी थीं और सभी की रक्षा के लिए उसने शहादत दी है। अनंतनाग में शहीद मेजर के घर का माहौल गुरुवार को बेहद भावुक रहा। पानीपत के अलावा आसपास के लोग भी उनके घर के बाहर डटे रहे और शव का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि अब उनका शव शुक्रवार को घर पहुंचेगा।
मेजर आशीष धनोक के चाचा ने बताया कि आखिरी बार आशीष से फोन पर ही बात हुई थी। तब उन्होंने कहा था कि अक्टूबर में मैं आऊंगा और तब घर शिफ्ट किया जाएगा। दरअसल पानीपत के ही एक इलाके में उनका परिवार किराये पर रहता था। कुछ समय पहले ही परिवार ने पानीपत के ही टीडीआई में प्लॉट खरीदकर नया मकान बनवाया था। इसी में वह शिफ्ट होने वाले थे, लेकिन अब इस मकान में उनका शव ही आएगा। परिवार का प्लान था कि 23 अक्टूबर को गृह प्रवेश का आयोजन किया जाएगा। इसकी वजह यह थी कि उसी दिन मेजर आशीष का जन्मदिन भी होता है।
नए मकान में शिफ्ट होना था, पर अब वहां शव ही आएगा
इसीलिए वह छुट्टी पर आने वाले थे, लेकिन अब अंतिम विदाई के लिए शव ही आएगा। 34 साल के आशीष की एक 4 साल की बेटी है। वह अपने पीछे माता, पिता, पत्नी और बेटी को छोड़ गए हैं। मेजर के परिवार के लोगों ने बताया कि उनके शव को टीडीआई स्थित नए मकान में ले जाया जाएगा। इसके बाद उनके पैतृक गांव बिंझौल में अंतिम विदाई दी जाएगी। फैमिली ने बताया कि बुधवार शाम को सेना के अधिकारियों ने फोन करके मेजर के शहीद होने की जानकारी दी थी। कुछ ही देर में यह जानकारी फैली तो लोग उनके आवास पर जुटने लगे।
मार्च में आए थे घर, अब अक्टूबर में नए मकान में शिफ्ट होना था
आशीष की मां कमला देवी का रो-रोकर बुरा हाल है और पत्नी तो बेसुध पड़ी हैं। फिर भी मां ने रोते हुए कहा कि मैंने तो अपना बेटा देश को दे दिया था। परिवार के ही लोगों ने बताया कि शहीद मेजर आशीष की ससुराल जींद में है। वे मार्च में अपने साले की शादी में शामिल होने को आए थे। इसी दौरान घर भी आए थे और नए मकान पर चले रहे काम को देखा था। अब उन्हें अक्टूबर में छुट्टी पर आना था।