जूनियर को प्रभारी एई का चार्ज मिलने पर जल निगम में घमासान
देहरादून । जल निगम में वरिष्ठता में सबसे निचले पायदान पर मौजूद जूनियर इंजीनियर को सबसे पहले प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर बनाए जाने का विरोध तेज हो गया है। जल निगम डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने अपने दूसरे साथी जूनियर इंजीनियरों को भी तत्काल चार्ज दिए जाने की मांग कर दी है। इसके साथ ही निर्माण यूनिट से जुड़े इंजीनियरों ने भी तत्काल जल निगम मुख्यालय में खुली निर्माण यूनिट को भी समाप्त किए जाने की मांग की।
जल निगम में पिछले साल मुख्यालय स्तर पर एक नई निर्माण यूनिट खोल दी गई। इस यूनिट को खोलने के पीछे उस समय तर्क दिया गया कि मुख्यालय स्तर पर होने वाले निर्माण कार्यों का जिम्मा इस पर रहेगा। इस यूनिट में प्रभारी एई का जिम्मा जयंक पांडे को दिया गया। जयंक पांडे जूनियर इंजीनियरों की वरिष्ठता सूची में काफी नीचे हैं। उनसे ऊपर 65 जूनियर इंजीनियर हैं। इन सभी ने खुद को भी प्रभारी एई बनाने की मांग कर दी है। डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ ने भी प्रबंध निदेशक को पत्र लिख कर भीमदास निराला समेत अन्य को भी प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर का प्रभार दिए जाने की मांग की।
देहरादून से देखे जा रहे उत्तरकाशी, अल्मोड़ा के काम्र
जल निगम मुख्यालय में जो यूनिट खोली गई है, उसके पास उत्तरकाशी, बागेश्वर, नैनीताल, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, अल्मोड़ा, यूएसनगर, टिहरी, चंपावत, देहरादून, हरिद्वार तक के काम हैं। 100 करोड़ से अधिक के काम इस यूनिट के पास है। जबकि इस यूनिट के पास गिनती के इंजीनियर हैं, जो मुख्यालय देहरादून में ही रहते हैं। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है क राज्य भर में फैले इन कामों की गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित होगी। यदि भविष्य में इन कामों में चमोली एसटीपी जैसा हादसा होता है, तो किसकी जवाबदेही तय होगी।
सचिव के भी यूनिट समाप्त करने के निर्देश
जल निगम मुख्यालय में खुली इस यूनिट को सचिव पेयजल अरविंद सिंह हयांकी भी दो बार तत्काल समाप्त किए जाने के आदेश दे चुके हैं। मुख्यालय की इस निर्माण यूनिट का कंट्रोल भी मुख्य महाप्रबंधक निर्माण की बजाय मुख्य अभियंता मुख्यालय के पास है।