November 21, 2024

बड़ा झटका:  देश के सैनिक अस्पतालों में अब मान्य नहीं होंगे पुराने आश्रित कार्ड


 देहरादून। उत्तराखंड सैनिक बहुल प्रदेश है, यहां करीब डेढ़ लाख से अधिक पूर्व सैनिक हैं, जबकि अन्य सशस्त्र बलों के पूर्व जवानों की संख्या 70 हजार से अधिक है। सेना का हर पांचवां जवान उत्तराखंड से है। सेना के अस्पतालों में इलाज के लिए आश्रित माता-पिता की मासिक आय मात्र 9000 रुपये निर्धारित करना सेना के जवानों के साथ अन्याय है। एक दैनिक श्रमिक की आय भी इससे अधिक है। इस तरह के आदेश से बड़ी संख्या में आश्रित माता-पिता इलाज से वंचित रह जाएंगे। यह कहना है शमशेर सिंह बिष्ट, केंद्रीय अध्यक्ष, पीबीओरआर पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन का। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने पुराने आश्रित कार्ड के नाम  पर सेना के जवानों के परिजनो के साथ अन्‍याय किया है। जबकि यहां के अधिकांश सैनिक बाहर रहते हैं उनके परिजन यहां दूर दराज के गांवों में रहते हैं।
बताते चलें कि देश के सैन्य अस्पतालों में अब पुराने आश्रित कार्ड मान्य नहीं होंगे, जबकि आश्रित माता-पिता की आय 9000 मासिक से अधिक है तो उन्हें इलाज नहीं मिलेगा। रक्षा मंत्रालय की ओर से इस संबंध में सभी कमांड को पत्र लिखा गया है।
पत्र में कहा गया कि अब से सेना आदेश 74,75 के चले आ रहे डिपेंडेंट कार्ड अस्पतालों में चिकित्सा पात्रता के लिए आश्रित कार्ड के रूप में स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इस तरह का आश्रित कार्ड प्रस्तुत करने वाले किसी भी आश्रित को सेना अस्पताल में इलाज से वंचित कर दिया जाएगा। सेना के जवानों एवं अधिकारियों के आश्रित माता-पिता एवं अन्य को सेना के अस्पतालों में डिपेंडेंट कार्ड के आधार पर इलाज मिलता है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से लिखे पत्र में कहा गया कि आश्रित कार्ड जारी करने की प्रक्रिया की समीक्षा के दौरान फर्जी तरीके से तैयार किए गए आश्रित कार्डों की भी शिकायत मिली है। जिनका उपयोग सेवा कर्मियों के अपात्र रिश्तेदार चिकित्सा सेवा का लाभ उठाने के लिए कर रहे हैं। वर्तमान में सेना के जवान एवं अधिकारियों के आश्रित जिस कार्ड सेना आदेश 74, 75 बी का इस्तेमाल कर रहे हैं।