मोबाइल के बाहर भी हैं वाट्सएप यूनिवर्सिटी
पिछले करीब दस वर्षों से भारत में वाट्सएप यूनिवर्सिटी के तो खूब चर्चे होते आये हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता था कि इसके समांतर ही देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के जरिये भी ज्ञानगंगाएं प्रवाहित हो रही है जो युवाओं को उसी तरह से दीक्षित कर रहे हैं जैसे कि वाट्सएप विवि। इसका एक उदाहरण दिल्ली में दिखलाई दिया जब देश की राजधानी से सटे ग्रेटर नोएडा के एक निजी विवि के छात्र-छात्राओं ने कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस विश्वविद्यालय में पल्लवित हो रही प्रतिभाओं के बारे में शायद ही लोगों को पता चल पाता लेकिन एक न्यूज़ चैनल के पत्रकार ने इस प्रदर्शन में शामिल कुछ छात्रों के ज्ञान की जांच कर ली जो विरोध प्रदर्शन करने के लिये कांग्रेस के मुख्यालय की ओर जा रहे थे। आश्चर्य की यह बात सामने आई कि प्रदर्शन कर रहे जा रहे छात्रों में से कोई भी यह नहीं समझा पाया कि वे प्रदर्शन क्यों कर रहे थे। और तो और, उनके हाथों में जो तख्तियां थीं उनका अर्थ बतलाना तो दूर, वे उसे पढ़ तक नहीं पा रहे थे।
जब पत्रकार ने युवाओं के हाथों में लगी तख्तियों पर सवाल करने शुरू किये तो पता चला कि उन्हें पता तक नहीं था कि किन मुद्दों को लेकर वे प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें केवल यह पता था कि वे कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और भाजपा के समर्थन में हैं। छात्र-छात्राओं के हाथों में जो तख्तियां थीं उनमें लिखा था- ‘पहले लेंगे आपका वोट फिर ले लेंगे मंगलसूत्र और नोट’, ‘मां-बहनों के गहनों पर नज़र न गड़ाओ’, ’70 सालों में नहीं दी दीया-बत्ती अब छीन लेंगे आधी सम्पत्ति’, ‘नो प्लेस फॉर अर्बन नक्सल’ आदि। छात्र-छात्राएं विवादित इनहेरिटेंस टैक्स या भाजपा के कथित विकसित भारत की अवधारणा तथा वास्तविकता के बारे में कुछ भी बतला नहीं पा रहे थे। यहां तक कि कांग्रेस के जिस घोषणापत्र का वे विरोध कर रहे थे, उसे किसी ने पढ़ा तक नहीं था। जाहिर है कि वे उसके बारे में वही सब कुछ कह रहे थे जो उन्हें बताया गया था या जो वाट्सएप विवि के माध्यम से उनके मोबाइलों तक पहुंच रहा है।
छात्र जो तख्तियां हाथों में लिये हुए थे, उन पर लगभग वे ही नारे लिये हुए थे जो भाजपा के होते हैं। इनमें कांग्रेस व इंडिया गठबन्धन की सरकार बनने पर लोगों का सोना और मंगलसूत्र छीन लेने की बात लिखी गयी थी। इस पर जब रिपोर्टर ने प्रश्न किये तो छात्र विषय से पूर्णत: जेपी आंदोलन में युवा, छात्र नेताओं की भूमिका से सभी परिचित हैं। लेकिन शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रों का इस तरह से राजनैतिक इस्तेमाल किया जाना कतई उचित नहीं कहा जा सकता। अगर छात्रों ने स्वस्फूर्त यह प्रदर्शन किया होता तो उन्हें निश्चित ही विषय की पूरी जानकारी होती तथा वे उन तमाम विषयों पर अधिकारपूर्वक बात करने के काबिल होते जो उनके हाथों में ली गयी तख्तियों पर लिखे हुए थे। लेकिन बुधवार को दिल्ली में निजी विवि के छात्रों के प्रदर्शन से जाहिर हो गया कि मोबाइल के बाहर भी वाट्सएप विश्वविद्यालय चलाए जा रहे हैं।