September 21, 2024

द्योनाई घाटी के प्राचीन प्रकटेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक को लगी श्रद्धालुओं की भीड़


बागेश्वर गरुड । द्योनाई घाटी के रिठाड़ ग्राम में स्थित प्राचीन प्रकटेश्वर महादेव मंदिर में आज सावन माह के पवित्र काल चतुर्थी के अवसर पर प्रकटेश्वर महादेव शिवालय हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा । लोगों ने भगवान शिव के चरणों में आशीर्वाद लेकर सुख समृद्धि की कामना की ।
यहां शिवरात्रि पर जल चढ़ाने के लिए स्थानीय लोग सुबह 8 बजे से ही जमा होने शुरू हो गए ।जिससे मंदिर में काफी भीड़ भाड़ रही । श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए लाइन में लगकर अपनी 2 बारी का इंतजार करते नजर आए। सावन में शिवरात्रि पर भोलेनाथ का अभिषेक करने का विशेष महत्व है। इस दौरान जो कोई भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दौरान भगवान जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
इसके अतिरिक्त क्षेत्र के अनेक मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही।
यहाँ पर आज रिठाड़, सरोली, भतड़िया, तुनिया सहित अनेक गाँव के श्रद्धालुओं ने अपने 2 कुल पुरोहितों के साथ विधि विधान के साथ शिवार्चन व पाठ किया।

पुराणों में कहा गया हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना सबसे अधिक प्रिय है। जो भक्त सावन में सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शास्त्रों में उल्लेख हैं कि संसार के कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकला विष अपने कंठ में धारण करने वाले भगवान शिव अत्यन्त दयालु व कृपालु देव हैं। जो भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों की झोली भर देते हैं। भगवान शिव की आराधना अत्यन्त सरल है।

इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने शिव जी का जल से अभिषेक करना शुरू कर दिया था। कहते हैं तभी से श्रावण महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई। जलाभिषेक की इसी परंपरा को निभाते हुए सावन महीने में शिवभक्त कांवड़ यात्रा पर जाते हैं और पवित्र स्थानों से गंगाजल लेकर सावन शिवरात्रि पर उस जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। सावन में शिव का जलाभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है
लोगों ने जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से शिवलिंग का अभिषेक किया। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाए गए। धूप, दीप, फल और फूल आदि अपर्ण कर पूजा की गई। शिव पूजा करते समय शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक के पाठ किया गया।