हेलंग से मारवाड़ी तक भूस्खलन, मजदूरों ने भागकर बचाई जान
चमोली । जोशीमठ नगर से 12 किलोमीटर पहले हेलंग (अणीमठ) से मारवाड़ी तक निर्माणाधीन पांच किलोमीटर लंबे बाईपास में भारी भूस्खलन होने के बाद जोशीमठ नगर में लोगों में डर और आक्रोश बढ़ गया है। पहाड़ का एक बहुत बड़ा हिस्सा भरभराकर हाईवे पर जा गिरा। मजदूरों ने भागकर अपनी जान बचाई। बता दें कि चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस सड़क कटिंग के लिए सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की ब्लास्टिंग की अनुमति नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों से पता चला है कि निर्माण कार्य मे लगी एजेंसी गुपचुप तरीके से ब्लास्टिंग कर रही है, जिसकी वजह से आसपास की पहाड़ियां दरकने लगीं हैं। पहाड़ी का एक हिस्सा टूटने के कारण सड़क निर्माण में लगी कंपनी की एक मशीन भी दबाकर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। भूस्खलन की वजह से दर्जनों हरे पेड़ भी टूटे गए हैं। विदित हो कि पिछले महीने सितंबर में भी चमोली जिले में एक पहाड़ का हिस्सा भरभराकर सड़क पर गिर गया था। भूस्खलन की वजह से नीति-मलारी हाईवे पर ट्रैफिक बाधित हो गया था। हाईवे बंद होने की वजह से दर्जन भर गांवों में आवाजाही बंद हो गई थी। भूस्खलन के बाद बीआरओ ने सड़क से मलबा हटाकर ट्रैफिक शुरू किया था।
बता दें कि पिछले दो दशक से जोशीमठ नगर के लोग इस बाईपास का विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस बाईपास के बनने से नगर में भूमि कटाव बढ़ेगा और नगर के स्थायित्व को खतरा होगा। बदरीनाथ आने वाले श्रद्धालु जोशीमठ नगर से नहीं गुजर पाएंगे। जिस कारण नगर का पर्यटक कारोबार भी प्रभावित होगा। लोगों के विरोध के बावजदू केंद्र सरकार के निर्देश पर पिछले दो वर्षों से बाईपास का निर्माण कार्य गतिमान है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह पंवार ने कहा कि संघर्ष समिति पिछले 5 वर्षो से इस बाईपास का लगातार विरोध कर रही है। संघर्ष समिति ने अपनी बात केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री तक भी पहुंचाई है बावजूद बाईपास का निर्माण जारी है। शैलेंद्र ने कहा कि सत्तर के दशक में मिश्रा आयोग ने स्पष्ट कहा कि जोशीमठ नगर जो ग्लेशियर के मलबे(मोरेन) के उपर बसा है कि तलहटी में किसी भी प्रकार की कटिंग की जानी नगर के लिए खतरनाक है।