मूल निवास व भू-कानून पहाड़ की अस्मिता के सवाल
काशीपुर । उत्तराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय मंत्री त्रिवेंद्र सिंह पवार ने कहा कि मूल निवास उत्तराखंड राज्य की अस्मिता और पहचान का सवाल है। उत्तराखंड में दूसरे हिमालयी राज्यों की तहत धारा 371 को प्रभावी करते हुए एक मजबूत भू-कानून की मांग को लेकर 24 अक्तूबर को देहरादून में तांडव रैली होगी। पवार उक्रांद की प्रस्तावित रैली के संयोजक नियुक्त किए गए हैं। रैली की सफलता के लिए वह राज्य में संपर्क कर रहे हैं। शुक्रवार को उक्रांद जिलाध्यक्ष जगदीश चंद्र बौडाई के आवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए पंवार ने कहा कि उक्रांद सदैव से उत्तराखंड के हितों का ध्वजवाहक रहा है। कांग्रेस सरकार ने 16 अगस्त 1950 का मूल निवास कानून खत्म कर दिया। जिसके बाद अब उत्तराखंड में मूल निवास के स्थान पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनने लगे। राज्य में बाहरी प्रदेशों के साठ लाख लोग प्रवेश कर चुके हैं। उन्होंने यूसीसी को उत्तराखंड राज्य के खिलाफ बताया। कहा कि यूसीसी में एक वर्ष पहले से राज्य में रहने वाले व्यक्ति को स्थायी निवासी माना गया है। पंवार ने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को राज्य की बुनियादी जरूरतों से कोई मतलब नहीं है। इनके नेता अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर काम करते हैं। बाहर से आए पूंजीपतियों को सरकार संरक्षण दे रही है जबकि राज्य के लोगों के अधिकारों पर कुठाराघात किया जा रहा है। कहा मूल निवास और सख्त भू-कानून की मांग को लेकर उक्रांद आर-पार की लड़ाई करेगी। मूल निवास के साथ गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने का मुद्दा शामिल है। कहा कि महिलाओं का नेतृत्व बढ़ाने पर खास ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने सभी से 24 को परेड ग्राउंड दून में आयोजित रैली को सफल बनाने की अपील की।
ये रहे मौजूद: राकेश चौहान, शिवसिंह रावत, जगदीश बौड़ाई, गोविंद सिंह रावत, कुसुम लता बौड़ाई, मनोज भंडारी, होवत सिंह नेगी, सत्येंद्र सिंह शक्ति, राम सिंह रावत, शनि भट्ट आदि।