गरुड के वज्यूला में जड़ीबूटियों का प्रशिक्षण सम्पन्न
बागेश्वर गरुड । वन विश्राम गृह वज्यूला में वन वर्धनिक उत्तराखंड की और से क्षेत्र के वन पंचायत सरपंचों व किसानों को जड़ी बूटी और आजीविका संवर्धन हेतू एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया ।
प्रशिक्षण सत्र में पूर्व वनाधिकारी बलवंत सिंह शाही ने उपस्थित जनसमूह को जानकारी देते हुए बताया कि क्षेत्र में आजीविका व रोजगार को बढ़ावा देने के किये सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनमे जड़ी बूटी व नट की फसल उगाने से वे कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
श्री शाही ने कहा कि हम अपने गरुड क्षेत्र को तीन भागों में बांटकर अनेक किस्म की पैदावार कर सकते है।
जिनमे हम मैदानी क्षेत्र में जिंजर लिली, आल स्पाइस , येलंग-येलंग फालसा, रजनीगंधा (tuberose), पैसन फ्रूट ,लेमन ग्रास , खस घास आदि उगा सकते हैं।
वही मध्य क्षेत्र में कौल, तिमरु, बेडू, , जिंजर लिली समेवा, रजनीगंधा, रोज , जेरेनियम, खस घास और ऊँचाई वाले क्षेत्र में काला जीरा, जम्बू, गन्द्रायण, कुटकी, बद्रीतुलसी, केदारपाती (नैर), जिंजरलिली; तिमरु, चिलगोजा, अखरोट, समेवा, अमेष (सीबक थानी) भोटिया बादाम (हैजल नट) आदि की अच्छी पैदावार ले सकते है।
उन्होंने उक्त फसल के बीज व पौधे की व्यवस्था खुद किये जाने का भी आश्वासन किसानों को दिया।
महिला महासंघ कौसानी की पूजा मेहरा ने कहा कि महिलाओं द्वारा यह कार्य अपने क्षेत्र में इसी वर्ष से शुरू कर दिया जाएगा।
बैठक को सम्बोधित करते हुए वन पंचायत विकास समिति के जिलाध्यक्ष पत्रकार अर्जुन राणा ने कहा कि अब समय आ गया कि हम अपने परम्परागत कृषि फसलों की जगह पर कुछ नई शुरुआत करे।
उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसानों की जीवन शैली में बड़ा परिवर्तन आएगा बल्कि इससे हमारे समाज की मातृ शक्ति के सिर का भी बोझ कम हो सकेगा।
बैठक में वन क्षेत्राधिकारी बैजनाथ के साथ वन विभाग के कर्मचारियों व अनेक प्रगतिशील किसानों ने भी प्रतिभाग किया ।