गरुड के लोहारचौरा गाँव मे गोल्ज्यू ज्युनार विशाल भंडारे के साथ सम्पन्न
गरुड़, बागेश्वर । कुमाऊँ की परंपरागत आस्था और लोकसंस्कृति के प्रतीक न्याय के देवता गोल्ज्यू महाराज की ज्युनार का लोहारचौरा गाँव में अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ भव्य आयोजन किया गया। पूरे गाँव में भक्तिमय वातावरण व्याप्त रहा और दूर-दराज़ से पहुँचे श्रद्धालुओं ने देव-पूजन एवं जागर में भाग लेकर आस्था की अविरल धारा प्रवाहित की।
इस पवित्र आयोजन का विधिवत शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक वाद्ययंत्रों—ढोल, दमुआ और रणसिंघा—की मंगल ध्वनियों के साथ हुआ। इस दौरान कुमाऊँ के इष्टदेव न्याय देवता गोल्ज्यू महाराज, नृसिंह भगवान सहित अन्य कुलदेवताओं और देवियों का जागर और पूजन बड़ी श्रद्धा और रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न किया गया।
आयोजक राजेन्द्र बुटोला और पप्पू बुटोला बन्धुओं ने बताया कि इस ज्युनार का संस्कारिक प्रण उनके स्वर्गीय पिता श्री कुँवर सिंह बुटोला जी द्वारा किया गया था। जीवनकाल में वे इसे पूर्ण नहीं कर सके, किंतु उनके पुत्रों ने उसी अधूरे प्रण को पूर्ण कर पितृ ऋण और देव ऋण दोनों से स्वयं को मुक्त करने का पुण्य प्रयास किया।
रात्रि में आयोजित देवजागर में विभिन्न गावो से आए भक्तों ने देवी-देवताओं की आध्यात्मिक गाथाएँ सुनकर भावविभोर हो उठे। देवगाथाओं के माध्यम से गोल्ज्यू महाराज की न्यायलीला और नृसिंह भगवान की पराक्रमी कथा ने सम्पूर्ण वातावरण को दिव्य और ऊर्जा से परिपूर्ण कर दिया।
ज्युनार के समापन दिवस पर एक भव्य भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भक्तों की सेवा और पूजा-पाठ के सम्पूर्ण अनुष्ठान में ग्राम पुजारी श्री रघुनाथ सिंह बुटोला का विशेष योगदान सराहनीय रहा।
पूरे आयोजन के दौरान धर्म, भक्ति और लोकसंस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला। लोहारचौरा की यह ज्युनार न केवल एक धार्मिक आयोजन रही, बल्कि देवभूमि कुमाऊँ की परंपरागत आस्था और न्याय देवता गोल्ज्यू महाराज के प्रति अटूट श्रद्धा का जीवंत उदाहरण भी बन गई।
