लोकसभा चुनाव से पहले फिर सर्वे कराने का झुनझुना थमा रही सरकार
बागेश्वर, ( आखरीआंख ) बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन की फिर सर्वे की बात से रेल निर्माण संघर्ष समिति भड़क उठी है। रेल संघर्ष समिति ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि कितनी बार रेल लाइन का सर्वे कराओगे। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह लोकसभा चुनाव से पहले फिर सर्वे कराने का झुनझुना थमा रही है।
रेल संघर्ष निर्माण समिति के अध्यक्ष नीमा दफौटी के नेतृत्व में आंदोलनकारी तहसील रोड पर एकत्र हुए। उन्होंने नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार फिर से रेल लाइन का सर्वे कराने की बात कर रही है, जबकि रेल लाइन को पिछली सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया है और अंग्रेजों के जमाने से लगातार सर्वे हो रहे हैैं। कहा कि 1882 में अंग्रेजी शासनकाल में बागेश्वर-टनकुपर रेल लाइन का प्रस्ताव लाया गया। 1912 में अंग्रेजों ने इसकी सर्वे कराई। टनकपुर से बागेश्वर की तरफ एक किमी रेल लाइन की पटरी भी बिछाई गई। 1947 में देश आजाद होने के बाद यहां की सरकार ने रेल लाइन की फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया। संघर्ष समिति लगातार रेल लाइन के लिए संघर्ष करती रही। फलस्वरूप 2006, 2009, 2010, 2011 में यूपीए ने सर्वे कराई। रेल लाइन को देश की राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया। पांच साल तक प्रधानमंत्री, रेल मंत्री और क्षेत्रीय सांसदों ने रेल लाइन को चुनावी मुद्दा बनाया। शपथ ली और घोषाणाएं की, लेकिन 2018 के बजट में रेल लाइन का जिक्र तक नहीं किया गया। इस मौके पर रेनु दफौटी, सुनीता वर्मा, हेमा जोशी, पुष्पा परिहार, संतोषी, गीता पांडे, नीरू कांडपाल, खड़क राम आर्य, गिरीश चंद्र पाठक, हयात सिंह मेहता, महेंद्र सिंह पिलख्वाल, दीवानी राम, मनोज राम, चंद्र सिंह कार्की, सूरज चैबे, सरस्वती, मीरा रौतेला, राधा लोहनी, मंजू धामी, लक्ष्मी धर्मशक्तू, किशन राम, मनोज कुमार, गोविदी देवी, भुवन चैबे, रमा देवी, गोविदी पांडे, गोपाल राम आदि मौजूद थे।