September 17, 2024

जंगल ही जीवन है : रंजना राजगुरु जिलाधिकारी

 

बागेश्वर  ( आखरीआंख )   वन अग्नि प्रबन्धन योजना 2019 की रणनीति एवं तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी रंजना राजगुरू की अध्यक्षता में आज कलैक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय वन अग्नि प्रबन्धन समिति की बैठक सम्पन्न हुर्इ। जिलाधिकारी ने वन क्षेत्राधिकारियों को कहा कि वनों एवं जंगलों में आग ही न लगे इस पर कार्य करना है। सभी क्षेत्राधिकारी वनाग्नि को नियंत्रण करने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में सरपंचों, ग्राम प्रधानों, युवक/महिला मंगल दलों, एवं आम नागरिकों के साथ बैठक कर जनजागरूकता अभियान चलायें और वनों में आग को रोकने के लिए ग्रामीणों की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए ब्लाक स्तर पर, न्याय पंचायत स्तर पर एवं ग्राम पंचायतों में भी बैठकों का आयोजन कर अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करें तथा अपने-अपने क्षेत्रों में निरंतर क्षेत्र में गस्त भी करना सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने कहा कि जंगल ही जीवन है उसे बचाने के लिए पूरा प्रयास करें। उन्होंने कहा कि वाहनों में सवार कर्इ व्यक्तियों के द्वारा बीडी़, सिगरेट पीने के उपरान्त जलती हुर्इ बीड़ी, सिगरेट को फेक दी जाती है उसी गलती से आग लगती है इसलिए उन्होंने लोनिवि, पीएमजीएसवार्इ, एडीबी सहित सभी अभियन्ताओं को सड़कों में पड़ने वाले पिरूल को तत्काल हटाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पिरूल के संबंध में नीति बनार्इ है ग्रामीण महिलायें पिरूल को अधिक से अधिक संख्या में इक्कट्ठा करें और उसका लाभ भी प्राप्त करें। जिलाधिकारी ने वनाग्नि रोकने हेतु वन पंचायतों का सहयोग के साथ-साथ जनजागरूकता बढ़ाने हेतु प्रयास जारी रखने को कहा। वन अग्नि से वनस्पतियों के साथ-साथ कर्इ प्रजातियॉ लुप्त हो जाती है, वन्य जीवों के साथ जंगलों को बचाने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिये। आरक्षित वन, सिविल वन, पंचायती वनों में लगने वाले आग को रोकने के लिए जनपद के प्रत्येक ग्राम पंचायतों में राजस्व विभाग, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी एवं ग्राम प्रहरी, ग्राम प्रधान, अध्यक्ष महिला मंगल दल, एवं युवक मंगल दल के प्रतिनिधियों के साथ ग्राम पंचायतों में बैठक करने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने कहा कि वनों में लगने वाली आग से कर्इ दुष्परिणाम सामने आते है इसलिए वनों में किसी भी क्षेत्र में वन अग्नि न लग पाये। सभी अधिकारी, कर्मचारी एवं आम जनता का सहायोग लेने को कहा। जिलाधिकारी ने प्रभागीय वनाधिकारी सहित सभी वन क्षेत्राधिकारियों एवं वन रक्षकों से कहा कि जंगलों में आग लगाने वालों पर पैनी नजर बनाये रखें। आग लगाने वालों के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही करते हुए एफ.आर्इ.आर. दर्ज कराते हुए भारी जुर्माना भी लगाना सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने प्रभागीय वनाधिकारी को कहा कि बैठक में सरपंचों के द्वारा वनाग्नि को रोकने के लिए कर्इ सुझाव दिये गये है। इन सुझावों पर भी अमल में लाना सुनश्चित करें और जो भी उपकरण इन्हें दिये जाने है उन्हें समय से उपलब्ध करायें।
जिलाधिकारी ने वन अग्नि काल के दौरान पुलिस विभाग, राजस्व विभाग अपने-अपने क्षेत्रों में वन अग्नि को रोकने के लिए यथोचित्त कार्यवाही करेंगे। जनपद में 06 वन रैंजों में 29 क्रू-स्टेशन स्थापित किये गये है जिसमें बागेश्वर रैंज के अन्तर्गत रैखोली, झिरौली, छतीना, बचीगॉव, कठायतबाड़ा, जौलकाण्डे, गढखेत रैंज में वज्यूला, जखेड़ा, गढखेत, सालनी, जिन्तोली, कपकोट रैंज में जखेडा, जगथाना, कपकोट, पुंगर, धरमघर रैंज में काण्डा, सानिउडियार, नामतीचेटाबगड़, दोफाड, धरमघर, बैजनाथ रैंज में पुरड़ा, गरूड़ कौसानी, धौनार्इ, रौल्याना, हरद्वारछीना, सिरकोट, ग्लेशियर रैंज में लीती, धाकुडी को क्रू स्टेशन स्थापित किये गये है। इसके अतिरिक्त जनपद में स्थापित आपदा कन्ट्रोल रूम तथा समस्त तहसील, समस्त थाना/चौकी, वन विभाग के कार्यालय में भी वन अग्नि की जानकारी देने के लिए स्टेशन बनाने के निर्देश दिये।
प्रभागीय वनाधिकारी बलवन्त ंिसंह शाही ने जनपद बागेश्वर के वनप्रभाग का विवरण जिलाधिकारी के सम्मुख रखा। उन्होंने बताया कि जनपद बागेश्वर का भौगोलिक क्षेत्रफल 2310 वर्ग किमी है, वनों का क्षेत्रफल 1064 वर्ग किमी है। जिसमें वनों की मुख्य प्रजातियों में चीड़ लगभग 80 प्रतिशत है तथा 20 प्रतिशत अन्य प्रजातियॉ है। वनाधिकारी ने शुरू होने जा रहे फायर सीजन को देखते हुए जंगलों में लगने वाले वन अग्नि की विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वनों को आग लगने का मुख्य कारण जलती हुर्इ बीड़ी, सिगरेट या माचिस की तिल्ली फैंकने से या रात्री में राहगिरों के द्वारा गर्मी के समय टार्चवुड जलाकर ले जाने, जली हुर्इ आग छोड़ने से, जंगलों के आस-पास खाना बनाने के पश्चात आग छोड़ने, या कृषि उपज के बाद खेतों में अवशिष्ट को जलाने से वन क्षेत्र में आग लगती है। तथा कुछ लोग हरी घास प्राप्त करने के लिए भी जानबुझ कर जंगलों में आग लगा देते है, या रोडों में हो रहे डामरीकरण के दौरान जलती हुर्इ आग को छोड़ने से जंगलों में आग लगती है। आग लगने से जंगल में वनस्पतियों का जल जाना, जलश्रोतों का सूख जाना, वन्य जीवों का आवादी क्षेत्र में आना, पर्यावरणी नुकसान वनअग्नि दुर्घटनाओं के ही दुष्परिणाम है। उन्होंने जनपद के समस्त जनता से वन अग्नि रोकने में सहयोग की अपील की।

वन पंचायत विकास समिति के प्रदेश मीडिया प्रभारी व जिलाध्यक्ष अर्जुन राणा ने सुझाव दिया कि जिला स्तर पर विभिन्न विभागों में सामंजस्य स्थापित करते हुए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए जिससे अग्निकाल में  दावाग्नि नियंत्रण पर काफी मदद मिल सकती है।कहा कि अग्नि नियंत्रण में सरकार को एनडीआरएफ/ एसडीआरएफ की जगह वन पंचायत सरपंचों को तरजीह देनी चाहिए।
बैठक में अपर जिलाधिकारी राहुल कुमार गोयल, उपजिलाधिकारी बागेश्वर राकेश चन्द्र तिवारी, संयुक्त मजिस्ट्रेट कपकोट नरेन्द्र सिंह भण्डारी, गरूड़ जयवर्धन शर्मा, सीओ महेश जोशी, आपदा प्रबन्धन अधिकारी शिखा सुयाल, अधि0अभि0लोनिवि उमेश चन्द्र पन्त, अग्निशमन अधिकारी महेश चन्द्र, तहसीलदार मैनपाल सिंह, सरपंच संघ के अध्यक्ष पूरन सिंह रावत, अध्यक्ष वनपंचायत विकास समिति अर्जुन राणा, सरपंच श्याम दत्त काण्डपाल, किशन सिंह मलड़ा, रमेश प्रकाश पर्वतीय, किशन सिंह दानू, नारायण दत्त पाण्डेय आदि उपस्थित थे।