September 22, 2024

इस मंदिर में पुजारी अपनी आखों में पट्टी बांधकर करते हैं पूजा-अर्चना

 

( अर्जुन  राणा )  लाटू देवता मंदिर समुć सतह से 8500 फीट की šचाई पर स्थित है। लाटू देवता को उŮाराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी का धर्म भाई माना जाता है। यह 12 सालों में उŮाराखंड की सबसे लंबी Ţश्री नंदा देवी की राज जात यात्रा” का बारहवां पड़ाव वाण गांव में स्थित है। लाटू देवता वांण गांव से हेमकुंड तक नंदा देवी का अभिनंदन करते हैं। लाटू देवता मंदिर के बारे में माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर साक्षात रूप में Ţनागराज” मणि के साथ निवास करते हैं। श्रद्धालु साक्षात नाग को देखकर डरे न इसलिए मुंह और आंख पर पęी बांधी जाती है। यह भी कहा जाता है कि पुजारी के मुंह की गंध देवता तक न पहुंचे इसलिए पुजारी के मुंह पर पूजा अर्चना के दौरान भी पęी बंधी रहती है। लाटू देवता मंदिर में मूर्ति के दर्शन नहीं किए जाते हैं। सिर्फ पुजारी ही मंदिर के भीतर पूजा व अर्चना के लिए जाता है। ग्रामीणों के अनुसार मंदिर में Ţनाग मणि” विराजमान है। मणि के दर्शन करने पर आंखों की रोशनी जा सकती है इसलिए पुजारी आंख पर पęी बांधकर ही मंदिर में प्रवेश करता हैं और मंदिर से 75 फीट की दूरी पर श्रद्धालु पूजा अर्चना करते है। जिस दिन लाटू देवता मंदिर के कपाट खुलते हैं, उस दिन यहां पर Ţविष्णु सहस्रनाम” व Ţभगवती चंडिका” का पाठ भी आयोजित किया जाता है। लाटू देवता को स्थानीय लोग Ţआराध्य देवता” मानते हैं। वाण में स्थित लाटू देवता के मंदिर का कपाट सालभर में एक ही बार खुलता हैं। इस दिन यहां विशाल मेला आयोजित होता है। वांण क्षेत्र में लाटू देवता के प्रति लोगों में बड़ी श्रद्धा है। लोग अपनी मनोकामना लेकर लाटू देवता के मंदिर में आते हैं, कहते हैं यहां से मांगी मनोकामना जरुर पूरी होती है। लाटू देवता के विषय में ऐसी पौराणिक कथा है कि जब देवी पार्वती के साथ भगवान शिव का विवाह हुआ तो पार्वती जिसे Ţनंदा देवी” नाम से भी जाना जाता है। इन्हें विदा करने के लिए सभी भाई कैलाश की ओर चल पड़े। इसमें चचेरे भाई लाटू भी शामिल थे। मार्ग में लाटू को इतनी प्यास लगी कि पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे। इस बीच लाटू देवता को एक घर दिखा और पानी की तलाश में घर के अंदर पहुंच गए। घर का मालिक बुजुर्ग था। बुजुर्ग ने लाटू देवता से कहा कि कोने में मटका है पानी पी लो। घर के अंदर कांच के घड़े में जान Ľस्थानीय स्तर पर बनने वाली कच्ची शराब˝ और मिęी के दूसरे घड़े में पानी था, लेकिन जान Ľस्थानीय स्तर पर बनने वाली कच्ची शराब˝ इतना स्वच्छ रहता है कि लाटू उसे साफ पानी समझकर पी लेता है। जब लाटू को पता चलता है कि उसने पानी की जगह शराब पी ली है तो कुछ ही देर में मदिरा अपना असर दिखाना शुरु कर देती है। लाटू देवता नशे में उत्पात मचाने लगते हैं। इसे देखकर देवी पार्वती Řोधित हो जाती है और लाटू को कैद में डाल देती है। देवी पार्वती के आदेशानुसार लाटू देवता को हमेशा कैद में ही रख दिया जाता है। माना जाता है कि कैदखाने में लाटू देवता एक विशाल सांप के रुप में विरामान रहते हैं। इन्हें देखकर पुजारी डर न जाएं इसलिए यह आंखों पर पęी बांधकर मंदिर का द्वार खोलते हैं