मुसलमानों ने 1400 सालों से अपना रखा है योगः नदीम
काशीपुर ( आखरीआंख ) मुसलमानों ने 1400 साल से अधिक समय से अपने जीवन में योग अपना रखा है। प्रत्येक मुसलमान के लिये पांच समय की नमाज पढ़ना जरूरी है। इसमें मुसलमान प्रतिदिन 23 बार वज्रासन करते हंै। इसके अतिरिक्त नमाज में मुसलमानों द्वारा विभिन्न आसन तथा रोजाना योग मुद्रायें भी की जाती है।
प्रतिष्ठित समाज सेवी संस्था माकाक्स के केन्द्रीय अध्यक्ष तथा 42 कानूनी व जागरूकता पुस्तकों के लेखक नदीम उद्दीन एडवाकेट ने अपनी 43वीं जनजागरूकता पुुस्तक सेहत व खुशहाली के लिये नमाज, रोजा व ज़कात जारी करने के अवसर पर उक्त जानकारी देते हुये बताया। नमाज को इस्लामिक योग बताते हुये इसके स्वास्थ्य लाभों की उनके द्वारा लिखित पुस्तक ”सेहत और खुशहाली के लिये नमाज, रोजा व ज़कात में जानकारी दी गयी है। श्री नदीम द्वारा लिखित इस पुस्तिक में स्पष्ट किया गया है कि नमाज इस्लामिक योग भी कही जा सकती है। योगासन से जो फायदें प्राप्त किये जाते है वह भी सभी नमाज से भी प्राप्त किये जाते है। इस पुस्तक में नमाज की हर स्थिति के फायदों के साथ-साथ दुनिया से गरीबी दूर करने का रास्ता जकात व रोजेे केे शारीरिक व सांसारिक लाभों के बारे में भी जानकारी दी गयी है। श्री नदीम ने बताया कि नमाज में बैठने की स्थिति बिल्कुल वज्रासन जैसी है और दिन भर की पांच अनिवार्य नमाजों में कुल 23 बार इस स्थिति में बैठना होता है। इस प्रकार नमाज पढ़ने वाला मुसलमान दिन भर में 23 बार वज्रासन करता है। यह सभी जानते है कि वज्रासन ही एक ऐसा प्रमुख आसन है जिसके लिये खाली पेट होना आवश्यक नहीं है। इसके अतिरिक्त नमाज में भू नमन वज्रासन, दक्षासन, हस्तपदासन तथा सूर्य नमस्कार सहित विभिन्न योगासनांे की भी स्थितियां की जाती है। नमाज के बाद तसबीह में अंगूठे से अंगुलियों को मिलाकर ध्यान मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, वरूण मुद्रा, ज्ञान मुद्रा तथा आकाश मुद्रा सहित विभिन्न योग मुद्रायें भी स्वतः हो जाती है।
श्री नदीम की इससे पूर्व सूूचना अधिकार, फौजदारी, उपभोक्ता, आयकर, वैैट, जी.एस.टी., विवाह सहित विभिन्न विषयों पर 42 जागरूकता पुुस्तकेे प्रकाशित हो चुुकी है। श्री नदीम ने बताया कि यह पुस्तक रीड व्हेयर पर तथा फेेसबुक पेज युग निर्माता पर आॅन लाइन निःशुल्क उपलब्ध हैै तथा 9411547747 पर व्हाट्स अप करके निवेेदन करनेे पर व्हाट्स अप पर भी निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है।