November 22, 2024

दून के कालसी क्षेत्र में स्थित है सम्राट अशोक का शिलालेख

( अर्जुन राणा )

देहरादून के कालसी क्षेत्र में स्थित यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यहाँ पर भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध मौर्य सम्राट अशोक के चतुर्दश शिलालेख एक चट्टान पर अंकित हैं। सम्भवत यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर स्थित था। महाभारत से भी इस स्थान का सम्बन्ध रहा है। कालसी देहरादून जिले में समुद्र स्तर से 780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह जौनसार-बावर क्षेत्र का प्रवेश द्वार मानी जाती है, जो दो नदियों- यमुना नदी और टोंस नदी के संगम पर स्थित है। यह जगह विभिन्न प्राचीन स्मारकों, साहसिक खेल और पिकनिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
महाभारत काल में कालसी का शासक राजा विराट था और उसकी राजधानी विराटनगर थी। अज्ञातवास के समय पांडव रूप बदलकर राजा विराट के यहाँ ही रहे थे। यमुना नदी के किनारे कलसी में अशोक के शिलालेख प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफी संपन्न रहा होगा। सातवीं सदी में इस क्षेत्र को श्सुधनगरश् के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। यह श्सुधनगरश् ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ वर्ष पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर इब्राहिम बिन महमूद गजनवी का हमला हुआ। भारतीय पुरालेखों के इतिहास में से एक श्अशोक रॉक ईडिक्टश् कालसी के अति महत्त्वपूर्ण स्मारक और लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह वह पत्थर है, जिस पर मौर्य सम्राट अशोक के 14वें आदेश को 253 ई. पू. में उत्कीर्ण किया गया था। यह आदेश राजा के बताये गए सुधारों और सलाह का संकलन है, जिसको प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण किया है। इस संरचना की ऊंचाई 10 फुट और चौड़ाई 8 फुट है।

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