घट रही है हमारे बैंको की साख
आखरीआंख
यह खबर बैंकिंग व्यवस्था की साख और उपभोक्ताओं के भरोसे को प्रभावित करने वाली है कि पंजाब में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक धोखाधड़ी के सैकड़ों मामलों से जूझ रहे हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को स्टेट बैैंक की तरफ से बताया गया है कि बैंकों से धोखाधड़ी के 528 मामलों में 306 के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके साथ ही 206 मामलों में शिकायत की है। निश्चय ही यह खबर उन उपभोक्ताओं को विचलित करती है जो अपनी खून-पसीने की कमाई मुश्किल वक्त के लिये बैंकों के भरोसे छोड़ देते हैं। बैंकों से हुई धोखाधड़ी के मामलों से आखिरकार उपभोक्ताओं के हित ही प्रभावित होते हैं। यह खबर भी चिंता बढ़ाने वाली है कि वर्ष 2018-19 में देशभर में बैंकों से धोखाधड़ी के मामलों में 71,500 करोड़ से अधिक की राशि शामिल है। जाहिर-सी बात है कि बैंकिंग सिस्टम में ही कहीं न कहीं खामियां हैं जो धोखेबाजों को खेलने का मौका देती हैं। जिन बैंकों में आम आदमी को खाता खुलवाने में दस चक्कर कटवाये जाते हैं और ऋण देने में तमाम औपचारिकताओं से ग्राहक को जूझना पड़ता है, वहां बड़ी रकम चतुर-चालाक लोग डकार जाएं तो हैरानी होती है, जिसमें कहीं न कहीं कुछ बैंक अधिकारियों की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में आ जाती है। हाल ही के कुछ वर्षों में बैंकों से धोखाधड़ी के मामलों में बाढ़-सी आई है, उसे देखते हुए बैंकों के प्रबंधन व बैंकों की रकम की सुरक्षा के लिये नये सिरे से विचार करने की जरूरत है। यदि समय रहते कदम न उठाये गये तो आम जनता का भरोसा उठने में देर नहीं लगेगी। नि:संदेह यह स्थिति भारतीय बैंकिंग व्यवस्था के भविष्य के लिये चिंता बढ़ाने वाली है। इस दिशा में देश के नीति-नियंताओं और रिजर्व बैंक को गंभीरता से सोचना होगा।
यह खुलासा ऐसे समय में आया है जब यस बैंक की साख दांव पर लगी है। कुछ साल पहले तक देश के चर्चित निजी बैंकों में गिने जाने वाले यस बैंक का शेयर बाजार में बुरा हाल हुआ है। संकट के दौर से गुजर रहे बैंक की इस कदर बुरी स्थिति हो गई है कि इसके निवेशकों को एक साल के भीतर ही नब्बे फीसदी तक नुकसान उठाना पड़ा है। शेयर बाजार में बैंक का शेयर औंधे मुंह गिरने के बाद इसकी मार्केट वैल्यू भी गिरी है। बैंक के मार्केट कैप में सत्तर हजार करोड़ की कमी आई है। बैंक ने रियल एस्टेट कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को सैंतीस हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया था, जिसे कंपनी लौटाने में विफल रही है। ऐसी ही कुछ अन्य बड़ी कंपनियों ने बैंक का पैसा नहीं लौटाया। बड़े बैंकों के अलावा रायों के सहकारी बैंक भी इसी तरह की धोखाधड़ी के संकट से दो-चार हैं। यही वजह है कि विश्व की चर्चित रेटिंग एजेंसी मूडीज का कहना है कि यदि बड़ी कंपनियों की तरफ से भुगतान में बड़ी चूक होती रही तो भारतीय बैंकों की पूंजी जोखिम में आ जायेगी। मूडीज ने एशिया प्रशांत की अर्थव्यवस्थाओं में तेरह बैंक का आकलन करने के बाद चेताया है कि कम पूंजी अनुपात के चलते भारतीय बैंक सर्वाधिक असुरक्षित हैं जो कालांतर बैंकों की पूंजी संकट का सबब बनेगी। ऐसा ही बड़ा विवाद महाराष्ट्र में पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक को लेकर पैदा हुआ है। बैंक में बड़ी अनियमितताओं के चलते रिजर्व बैंक ने उपभोक्ताओं के अपना पैसा निकालने पर अंकुश लगा दिया। रिजर्व बैंक ने किसी भी बचत, चालू या जमा?खाते में से छह माह में सिर्फ एक हजार रुपये निकालने की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ राय में व्यापक आंदोलन हुए। विरोध के बाद बैंक ने अगले छह माह में निकासी की सीमा दस हजार कर दी।?मगर इससे संकट कम होता नजर नहीं आ रहा है। यह स्थिति बैंकों की साख के लिये बड़ी चुनौती है।