बागेश्वर जिलापंचायत में सत्ता की चाबी निर्दलीयों के हाथ
बागेश्वर । त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर गहमागहमी का माहौल बना हुआ है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां अध्यक्ष पद पर अपना प्रत्याशी काबिज करने का दावा कर रही हैं, लेकिन किसी भी दल की राह इतनी आसान नहीं है। अध्यक्ष पद बनाने की चाबी निर्दलीय प्रत्याशियों के हाथों में है। जो भी दल उन्हें साधने में सफल हो गया, उसी के सिर पर जिपं अध्यक्ष का ताज सजेगा। उनकी संया चार है। जिले की कुल 19 जिला पंचायत सीटें हैं। पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित आठ और कांग्रेस समर्थित सात प्रत्याशियों की जीत हासिल हुई। जिसके आधार पर भाजपा को अध्यक्ष बनाने के लिए दो प्रत्याशियों का समर्थन हासिल करना होगा, जबकि कांग्रेस को तीन प्रत्याशी अपने पक्ष में करने जरूरी हैं। चुनाव में भाजपा से बागी होकर भी दो उमीदवारों ने निर्दलीय चुनाव जीता है। जिसमें बोहाला सीट से चंदन सिंह रावत और अणां सीट से भावना दोसाद हैं। भाजपा को उमीद है कि ये दोनों प्रत्याशी अध्यक्ष पद पर पार्टी का समर्थन करेंगे। अगर इन प्रत्याशियों ने टिकट नहीं देने की नाराजगी दूर कर भाजपा को समर्थन दिया तो आसानी से अध्यक्ष पद पार्टी की झोली में चला जाएगा। अगर इन दोनों में से किसी ने समर्थन नहीं दिया तो फिर सात सीट से चुनाव जीत कर आए नवीन परिहार और चौंरा से जिपं सदस्य बने सुरेंद्र खेतवाल पर नजर रहेगी। वहीं निर्दलीय प्रत्याशियों को भी अपनी अहमियत का अहसास है। जिसके चलते उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। फिलहाल सभी सदस्य दिवाली का पर्व मनाने की बात कर रहे हैं, हालांकि जाहिर तौर पर किसी तरह की चर्चा न हो, लेकिन भीतर ही भीतर कुर्सी का खेल व्यापक स्तर पर खेला जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इन दिनों दीपावली की बधाई देने के बहाने निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों के सेंधमारी करने लगे हैं।