कौन कर रहा आपके वॉट्सऐप में ताकाझांकी
अर्जुन राणा
वॉट्सऐप कॉल के जरिए फोन जासूसी के नए खुलासे चौंकाने वाले हैं। विपक्ष ने तो इसे मुद्दा बनाया ही है, सरकार ने भी चुस्ती दिखाते हुए तत्काल वॉट्सऐप को नोटिस भेजकर उससे स्पष्टीकरण मांगा है। इस मामले में और भी खिझाने वाली बात यह है कि नागरिकों की निजता पर हुए इस हमले की सूचना हमें तब मिली जब खुद वॉट्सऐप ने अमेरिका में इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ केस दर्ज कराते हुए बताया कि इस कंपनी द्वारा डिवेलप किए गए सॉटवेयर के जरिये दुनिया भर में 1400 लोगों के फोन से सूचनाएं उड़ाई गई हैं।
भारत में पीडि़तों के जितने भी नाम अब तक सामने आए हैं, करीब-करीब वे सारे ही किसी न किसी वजह से सरकार के निशाने पर रहे हैं। यही कारण है कि विपक्ष ने आलोचनाओं का मुंह सीधे सरकार की ओर मोड़ दिया है। संसदीय लोकतंत्र में यह एक हद तक स्वाभाविक है, लेकिन इस महत्वपूर्ण और संवेदनशील मसले पर सरकार की भूमिका को लेकर जल्दबाजी में कोई नतीजा निकालना ठीक नहीं होगा।अभी तो यही साफ होना बाकी है कि जब वॉट्सऐप को इस बात की जानकारी मिली कि उसकी सेवाओं को जरिया बनाकर उसके कुछ उपभोक्ताओं की निजता पर हमला हुआ है तो उसने अपने स्तर पर उनको सतर्क, सजग करने के लिए क्या किया। अब तक उपलब्ध तथ्यों से यही लगता है कि इंडियन यूजर्स इसकी प्राथमिकता में कहीं थे ही नहीं। अगर होते और उनके हितों की चिंता वॉट्सऐप को होती तो उन्हें सूचित और सावधान करने का जो काम केस दर्ज कराने और खबरें सार्वजनिक होने के 24-48 घंटों में किया गया, वह तभी किया जाता जब वॉट्सऐप को ऐसा कुछ किए जाने की जानकारी हासिल हुई।
बहरहाल, सबसे यादा शोर अभी भले ही निजता के उल्लंघन को लेकर हो रहा हो, पर इस प्रकरण में कई और बड़े मुद्दे भी शामिल हैं। जिस तरह से वकीलों, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों से जुड़े लोगों को निशाना बनाए जाने की बात सामने आई है, उससे यह शांतिपूर्ण प्रतिरोध के अधिकारों को बेमानी बना देने, लोकतांत्रिक चेतना को कुंद करने और राजनीतिक गतिविधियों पर अघोषित अंकुश लगाने का मामला यादा लगता है।
जैसा कुछ रिपोर्टों में बताया गया है, पीडि़तों में अगर सरकार और सेना से जुड़े लोग भी शामिल हैं तो यह सवाल भी उठता है कि क्या इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का कोई गंभीर पहलू भी शामिल है? स्पष्ट है कि इस जासूसी के पीछे हाथ चाहे जिसका भी रहा हो, उसकी शक्ल देश के सामने आनी चाहिए। सरकार को इस मामले की निर्मम और पारदर्शी जांच करानी चाहिए, ताकि न केवल यह मामला सुलझे बल्कि संबंधित इजराइली कंपनी समेत हर दोषी के लिए ऐसी सजा का इंतजाम हो सके, जिसे याद करके कोई भी ऐसा करने से पहले हजार बार सोचे।