खटीमा की पहली महिला टुकटुक चालक बनीं कलावती
रुद्रपुर। नौसर पटिया निवासी कलावती ने पुरुषों के वर्चस्व वाले टुकटुक चलाने के काम को अपनी रोजी रोटी का साधन बनाया है। कलावती को टुक टुक चलाते देख लोग अचंभित नजरों से उसे देख रहे हैं। कलावती के इस कदम पर लोग उसकी सराहना कर रहे हैं।कलावती के सिर पर दो वर्ष पूर्व उस समय द:खों का पहाड़ टूट पड़ा था जब उसके पति बलराम का देहांत हो गया था। बलराम की मौत खेत में काम करते समय बिजली का करंट लगने से हो गई थी। परिवार पर पहले से काफी कर्ज था। पति की मौत के बाद मिले मुआवजे से किसी तरह कर्ज अदा हो पाया। कलावती के सिर पर तीन बचों की जिमेदारी आ गई। बटाई में खेती कर किसी तरह कलावती ने एक बेटी का विवाह किया। एक लड़का अपने पिता की तरह ही बटाई पर खेती करता है और एक बेटा पढ़ाई करता है। परिवार चलाने में दिक्कतें आने लगी लेकिन कलावती ने हिमत नहीं हारी और अपने रिश्ते के भतीजे बिजेंदर की मदद से किश्तों में टुकटुक खऱीदा। आज कलावती जब टुकटुक लेकर पहले दिन 12 बजे सत्रहमिल पहुंची तो पहली सवारी खटीमा तक के लिए मिली। उस समय कलावती बताती है की खुशी का उसका ठिकाना नहीं था। कलावती साथ में खाना लेकर भी आई थी। शाम 4 बजे तक 190 रुपए कमा चुकी थी। कलावती ने कहा कि उसने स्वयं निर्णय लिया कि दुनिया भले ही कुछ कहे उसे अब अपने परिवार को मजबूती देने के लिए घर से बाहर निकलना ही होगा। उसने टुकटुक चलाने का निर्णय लिया। कलावती कहती है कि रास्ते में मिलने वाली सवारियां उसकी हौसला अफजाई करती हैं।