राज्यपाल बेेबी रानी मौर्य पधारी परमार्थ निकेतन
-पुष्प वर्षा और वेद मंत्रों से ऋ षिकुमारों ने किया दिव्य स्वागत
ऋ षिकेष। परमार्थ निकेतन में रायपाल महामहिम बेबी रानी मौर्य जी और भारतीय पाश्र्वगायक सुरेेश वाडेकर जी पधारे। परमार्थ गंगा तट पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन उत्तराखण्ड की रायपाल बेबी रानी मौर्य जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने दीप प्रजवलित कर किया। स्टार कलाकार बालीवुड के पाश्र्वगायक सुरेश वाड़ेकर ने परमार्थ निकेतन में दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। उनके संगीत पर विदेशियों ने भी खूब नृत्य किया। उत्तराखंड की रायपाल बेेबी रानी मौर्य अपने परिवार के साथ परमार्थ निकेतन पधारी उन्होने माँ गंगा की पूजा अर्चना की। साथ ही स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य और आशीर्वाद से उन्होने अपने पोते का नामकरण संस्कार किया। बचे का नाम शिवांग रखा गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नाम का व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ता है। बचे का जो नाम होता है उन गुणों की अनुभूति उसे होती रहती है। नामकरण संस्कार के विषय में स्मृति संग्रह में लिखा है कि नामकरण संस्कार से आयु तथा तेज की वृद्धि होती है और लौकिक व्यवहार में नाम की प्रसिद्धि से व्यक्ति का अलग अस्तित्व बनता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और बेबी रानी मौर्य की महिला सशक्तिकरण, एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने, पर्यावरण और हिमालय संरक्षण के विषय में विस्तृत चर्चा हुई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड जैव विविधता से समृघ्द्ध राय है। यह राय प्रकृति की जींवतता को दर्शाता है तथा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी समृद्ध है। हिमालय और गंगा के सौन्दर्य और पवित्रता को बनाये रखने के लिये एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग बंद किया जाना चाहिये। महिला सशक्तिकरण पर चर्चा करते हुये स्वामी जी ने कहा कि भारत में महिलाओं की भूमिका बदल रही है वे अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के विषय में जागरूक हो रही है परन्तु कुछ क्षेत्रों में अभी भी इस ओर कार्य करने की जरूरत है। वर्तमान समय में हो रहे पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य और जीवन स्तर पर पडऩे वाले विपरीत प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि हमारे राय को स्वछ और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये चरणबद्ध और सतत विकास की आवश्यकता है, उसमें भी अगर विकास पर्यावरण संरक्षण के जरिये प्राप्त किया जाये तो बेहतर होगा। स्वामी जी ने कहा कि संगीत एक ऐसी विधा है जिसके तार हृदय से जुड़ते है। सभी संगीतज्ञों का आहवान करते हुये स्वामी जी ने कहा कि संगीत के मंच से पर्यावरण और जल संरक्षण का संदेश प्रसारित किया जाये तो हमें इसके प्रभावी परिणाम प्राप्त हो सकते है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पाश्र्वगायक सुरेेश वाड़ेकर जी, महामहिम बेबी रानी मौर्य जी को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। सभी ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाले विश्व शान्ति हवन में आहुति प्रदान कर गंगा आरती में सहभाग किया।