लॉकडाउन में घरों को पैदल निकल पड़े सैकड़ों लोग
हरिद्वार। लॉकडाउन में यातायात व्यवस्था ठप होने से सैकड़ों लोग पैदल अपने घरों को लौटने को मजबूर हो गए हैं। रोजी रोटी की तलाश में आए सैकड़ों लोग इस समय हरिद्वार समेत कई स्थानों में फंसे हुए हैं। यह लोग समूह में पैदल निकल पड़े हैं। कोई बरेली जा रहा है तो कोई खतौली। ऐसे कई लोग हैं जो गुरुवार को पैदल चलते दिखे। लॉक डाउन के कारण इस समय दिहाड़ी मजदूर सबसे अधिक परेशान हैं।ऋषिकेश से 22 लोगों का एक दल बरेली के लिए पैदल निकल पड़ा है। इन लोगों का कहना है कि लॉकडाउन लंबी अवधि का है। उनके पास खाने पीने को कुछ नहीं है। न जेब में पैसा है। ऐसे में उनका यहां से निकलना ही ठीक है। दल में शामिल धर्मवीर सिंह व ओमवीर सिंह ने बताया कि वे ऋषिकेश से तड़के बरेली के लिए पैदल निकले हैं। उन्हें रास्ते भर में कहीं कोई मदद नहीं मिली। हाथ जोडऩे के बाद भी हाईवे में इक्का दुक्का मिले वाहन बिठाने को तैयार नहीं थे। इसलिए वे पैदल ही बरेली के लिए चल रहे हैं। उधर, ऋषिकेश से खतौली मुजफरनगर को पैदल निकले राजू, शिवकुमार व भीम सिंह गंगनहर में घाट किनारे दोपहर में आराम करते दिखे। गुरुवार सुबह 4 बजे ये तीनों पैदल हरिद्वार को निकले। तीनों ने कहा कि धूप तेज होने के कारण अब वे शाम होते ही खतौली की ओर निकलेंगे।घरों को पैदल निकले कामगारलालढांग। सिडकुल हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश जैसे शहरों में उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुरादाबाद, मुजफरनगर आदि से सैकड़ों कामगार कार्य करते हैं। हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे पर बुधवार देर रात मजबूरी में फंसे दर्जन भर लोगों को गेंड़ीखाता के स्थानीय ग्रामीणों ने खाना और पानी देकर सहायता की। मजबूरी में फंसे राहगीर दो दिनों से देहरादून से पैदल ही अपने गांव लौट रहे थे। रास्ते में खाने पीने की कोई दुकान नहीं मिलने से बदहवास अवस्था मे देखे गए। सिडकुल में काम करने वाले 55 वर्षीय देवेंद्र व उनकी पत्नी रामगिरि ने बताया कि वे बिजनौर के राजा का ताजपुर के रहने वाले हैं। सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम कर गुजर कर रहे थे। लॉकडाउन के चलते खाने के लाले पडऩे लगे तो बुधवार शाम गांव के लिए पैदल ही निकल पड़े।