आपदा के घाव ताजे हो गये एक बार फिर से
श्रीनगर गढ़वाल। चमोली जिले में तपोवन बैराज के टूटने व इसकी भयावहता की सूचना मिलते ही शक्ति विहार व लोअर भक्तियाना के लोगों के जून 2013 की आपदा के घाव ताजे हो गए। इस आपदा से श्रीनगर में सबसे यादा प्रभावित शक्ति विहार के लोग हुए थे। जिससे करीब 86 परिवारों के घरों के साथ ही एसएसबी परिसर का आधा हिस्सा, आईटीआई, गैस व राशन गोदाम सहित पूरा रेशम फार्म पूरी तरह से जलमग्न हो गए।
रविवार को जैसे ही जोशीमठ के हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर व तपोवन बैराज के टूटने की खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई वैसे ही शक्ति विहार के लोगों की धड़कनें भी तेज हो गई। 2013 की आपदा के भुगतभोगी लोगों की आंखों में पुन: आपदा का वही मंजर दौडऩे लगा। यों-यों इसके भयावह वीडियो लोगों तक पहुंचे उनका भय और भी बढ़ता गया। लेकिन 2013 की आपदा के बाद नदी किनारे लगी सुरक्षा दीवार से लोगों को जेहन सुकून और राहत का एहसास भी होता रहा।
श्रीकेदारखंड आपदा 2013 पुनर्वास एवं विकास संयुक्त संघर्ष समिति से जुड़ी विजय लक्ष्मी रतूड़ी का कहना है कि अभी पूर्व में आई आपदा के घाव भरे भी नहीं हुए कि दूसरी आपदा की सूचना आने से लोग सिहर उठे। उन्होंने बताया कि 2013 की आपदा से शक्ति विहार व लोअर भक्तियाना के लोगों ने बहुत नुकसान झेला है। बांध निर्माण के दौरान डंप किया गया सारा मलबा लोगों के घरों में घुस गया था। इस दौरान बड़ी मुश्किल से लोगों ने अपनी जान बचाई थी। यहां तक कि एनजीटी ने बांध निर्माण कंपनी को नौ करोड़ से अधिक मुआवजा देने को कहा था। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में चले जाने से अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है।