उत्तराखंड में कर्मचारी ही डुबो रहे रोड़वेज की लुटिया, यात्रियों को पकड़ा रहे फर्जी टिकट
देहरादून। एक तरफ रोडवेज प्रबंधन आर्थिक तंगी का रोना रो रहा और दूसरी तरफ उसके कर्मचारी ही उसकी लुटिया को डुबाने का काम कर रहे। ताजा मामला रामनगर डिपो का है, जिसकी पूरी बस बेटिकट मिली। दिल्ली से रामनगर जा रही बस में 35 यात्री थे और परिचालक ने उन्हें फर्जी टिकट दिए हुए थे। चालक ने भी चेकिंग टीम को देख बस दौड़ा ली और टीम को पीछा कर टोल प्लाजा पर बस को पकडऩा पड़ा। रोडवेज मुयालय से मिली जानकारी के अनुसार रामनगर डिपो की साधारण बस (यूके07पीए-4265) दिल्ली-रामनगर मार्ग पर चलती है। इस बस की पिछले कई दिनों से शिकायत मिल रही थी कि बस बेटिकट चल रही। इस वजह से बस की आय डिपो में जमा नहीं हो रही थी। जिस पर नैनीताल मंडल प्रबंधक ने सोमवार रात गोपनीय ढंग से अपनी प्रवर्तन टीम भेजकर बस की जांच कराई। टीम ने दिल्ली से आते हुए बस को गढ़ क्षेत्र में रोकने का इशारा किया, लेकिन चालक ने बस दौड़ा दी। इसके बाद टीम ने पीछा किया और बस को जोया टोल प्लाजा पर पकड़ लिया। बस में कुल 35 यात्री बैठे हुए थे, जिनमें 10 रामनगर, 20 काशीपुर व पांच रुद्रपुर जा रहे थे। सभी के पास टिकट तो थे, लेकिन वे फर्जी पाए गए। परिचालक ने सभी से किराया पूरा लिया हुआ था और फर्जी टिकट थमाए हुए थे। प्रवर्तन टीम की ओर से बस परिचालक गौरव रघुवंशी और चालक अरविंद कुमार के खिलाफ नैनीताल मंडल प्रबंधक व मुयालय को रिपोर्ट भेजी गई। महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन ने बताया कि चालक-परिचालक विशेष श्रेणी के हैं, जिन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। इस मामले की विस्तृत जांच कराई जा रही और उसके आधार पर अगर किसी और की भी भूमिका पाई गई, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
एजीएम की भूमिका की होगी जांच: पूरी बस बिना टिकट दौडऩे से रामनगर के प्रभारी डिपो एजीएम की भूमिका भी संदेह के घेरे में बताई जा रही। रोडवेज मुयालय से मिली जानकारी के अनुसार इस बस की बेटिकट दौडऩे की लगातार शिकायत मिल रही थी। सवाल यह उठ रहा कि जब बस कोई आय नहीं कर रही थी तो एजीएम की ओर से जांच क्यों नहीं की गई। इसके साथ ही रोडवेज के नियमानुसार दस और इससे अधिक बेटिकट पर एजीएम के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रविधान है। रोडवेज मुयालय ने एजीएम की भूमिका की जांच कराने की बात भी कही है।
टिकट मशीनें हैं नहीं, बढ़ रहा भ्रष्टाचार: रोडवेज में भ्रष्टाचार बढऩे की एक वजह टिकट मशीनों की कमी भी है। मौजूदा वक्त में रोडवेज 700 बसों का संचालन कर रहा है। इनमें करीब 300 बसों पर टिकट मशीन नहीं है। ऐसे में परिचालकों को मार्ग प्रपत्र और कागजी टिकट बुक देकर भेजा जा रहा है। पूर्व में जो टिकट मशीनें खरीदी गई थीं, उनमें आधी मशीनें खराब हो चुकी हैं। इन मशीनों की वारंटी भी दो साल पूर्व समाप्त होने की वजह से कंपनी भी अब इन्हें ठीक नहीं कर रही। मशीन न होने का लाभ उठा परिचालक बेधड़क बिना टिकट यात्रा करा रहे।