November 22, 2024

उपलब्धियों के बावजूद खुल कर जश्न नहीं मना पाएगी भाजपा 0-पश्चिम बंगाल की हार से पार्टी का जायका हुआ खराब 0-चेहरे की कमी और बागी-दागी से प्यार ने अरमानों पर लगाया पलीता 0-लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को फिर छूने में नाकाम रही पार्टी

नई दिल्ली । पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा कई उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद खुल कर जश्न नहीं मना सकी। दरअसल इन चुनावों में भाजपा पश्चिम बंगाल की सत्ता के रूप में अपना मुख्य लक्ष्य भेदने में नाकाम रही। अतिआत्मविश्वास, थोक के भाव मेंं तृणमूल कांग्रेस के बागी-दागी नेताओं की पार्टी में एंट्री और चेहरे के अभाव ने भाजपा के अरमानों पर पलीता लगा दिया। बीते कई चुनावों की तरह इस चुनाव में भाजपा लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को नहीं छू पाई।
राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी ने सत्तारूढ़ ममता सरकार में कथित तौर पर हावी कट (कमीशन), क्राइम (अपराध) और करप्शन (भ्रष्टïाचार) को मुद्दा बनाया था। हालांकि पार्टी में टीएमसी के दागियों की भरमार और इन्हें मिले विशेष महत्व ने पार्टी के मुख्य मुद्दे की ही धार कुंद कर दी। पार्टी में दलबदलुओं की पौ बारह कराने से कैसी दुर्गती हुई, इसे इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। टीएमसी छोड़ भाजपा में गए 80 फीसदी विधायक और मंत्री चुनाव हार गए। केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, सांसद लॉकेट चटर्जी और राज्यसभा से इस्तीफा देने वाले स्वप्न दासगुप्ता भी जीत हासिल करने में नाकाम रहे।
नहीं टूटा मिथक
राज्य में भाजपा के लिए सत्ता हासिल करने के दो ही रास्ते थे। या तो भाजपा लोकसभा में मिले 40 फीसदी वोट को और बढ़ाए या तृणमूल कांग्रेस का हासिल 43.3 फीसदी वोटों में कमी आए। परिणाम बताते हैं कि इसका उल्टा हुआ। भाजपा अपना वोट बढ़ाने के बदले हासिल वोट को जोड़े नहीं रख सकी, जबकि टीएमसी के वोट बैंक में कमी आने के बदले और बढ़ोत्तरी हो गई। बीते लोकसभा में दोनों दलों के वोट में महज ढाई फीसदी का अंतर था। इस विधानसभा में यह अंतर बढ़ कर ग्यारह फीसदी से ज्यादा हो गया।
भाजपा के लिए बड़ा झटका क्यों?
दरअसल राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी ने अपनी सारी ताकत झोंक दी थी। चुनाव अभियान में पीएम मोदी ने 15, अमित शाह और नड्डïा ने अलग-अलग 50 से अधिक रैलियों, दो दर्जन से अधिक रोड शो किए। यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी डेढ़ दर्जन से अधिक रैलियां कीं। धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, गजेंद्र शेखावत सहित दो दर्जन वरिष्ठï मंत्री डेढ़ महीने तक राज्य में डेरा डाले रहे। इसके बावजूद पार्टी लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन भी नहीं दोहरा पाई। लोकसभा के मुकाबले पार्टी के मतप्रतिशत में करीब तीन फीसदी की कमी दर्ज की गई।
विरोध को किया अनसुना
टिकट वितरण के दौरान जब पार्टी ने दलबदलुओंं को महत्व दिया तो राज्य के करीब-करीब हर जिले में भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओंं ने विरोध जताया। पार्टी नेतृत्व ने इस विरोध की अनदेखी की। टिकट वितरण से पुराने कार्यकर्ताओं में संदेश गया कि टीएमसी छोड़ कर आए नेताओं को ही भविष्य में अहम जिम्मेदारी मिलेगी। इसके अलावा पार्टी की इस रणनीति ने उस मतदाता वर्ग को निराश किया जो ममता सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टïाचार और अपराध बढऩे से दुखी हो कर भाजपा को उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे।
प्रशांत किशोर ने मनवाया लोहा
चुनाव में प्रशांत किशोर का एक एक दांव भाजपा पर भारी पड़ा। भाजपा ने ममता सरकार में भ्रष्टïाचार, अपराध, मुस्लिम तुष्टिïकरण को बड़ा मुद्दा बनाया था। लोकसभा चुनाव के जनादेश से साफ था कि राज्य के लोगों में यह बड़ा मुद्दा है। इसकी काट के लिए प्रशांत किशोर ने दागी नेताओं को टिकट देने से दूरी बनाई। नये चेहरों को मौका दिया। इसके अलावा पूरे चुनाव के दौरान ममता ने अल्पसंख्यकों के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया।
भाजपा के लिए उलझी रही राज्यों की गुत्थी
पार्टी ने बीते सात सालोंं में जहां लोकसभा चुनाव में अपना आधार मजबूत किया है, वहीं विधानसभा में स्थिति एकदम इसके उलट है। इस अवधि के दौरान पार्टी त्रिपुरा और असम को छोड़ कर किसी भी राज्य में लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन दुहराने में नाकाम रही है। लोकसभा चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में पार्टी को 19 फीसदी तक मतों का  नुकसान सहना पड़ा है। पश्चिम बंगाल में भी बीते लोकसभा में पार्टी को 40.7 फीसदी मत मिले थे। जबकि इस चुनाव में पार्टी के मत में तीन फीसदी की कमी आई। संदेश साफ है। देश में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के चेहरे के कारण भाजपा के पक्ष में वोट करता है, मगर विधानसभा चुनाव में उसकी पसंद बदल जाती है।
चुनाव पार्टी सीट वोट प्रतिशत
विधानसभा 2016
टीएमसी 211 44.91
भाजपा 03 10.16
वाम दल 32 26
कांग्रेस 44 12.25
लोकसभा 2019
टीएमसी 22 43.3
भाजपा 18 40.7
वाम दल 00 16
कांग्रेस 02 5.75
विधानसभा 2021
टीएमसी 202 48.5
भाजपा 78 37.4
कांग्रेस+वाम 02 08

You may have missed