कोविड-19 महामारी के दौरान राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा के जरिए 50 लाख से ज्यादा मरीज हुए लाभांवित
नई दिल्ली , । लगभग एक वर्ष में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालयकी प्रमुख राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी के जरिए 50 लाख (आधे करोड़ से अधिक) मरीजों की सेवा की गयी है। मंत्रालय ने अप्रैल 2020 में मरीजों के लिए डॉक्टरों की दूरस्थ परामर्श सेवाएं शुरू की थीं, जबकि देश में पहले लॉकडाउन के दौरान ओपीडी बंद थे। देश के 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में ई-संजीवनी पहल चालू है और देश भर में हरदिन लगभग 40,000 मरीज स्वास्थ्य सेवा वितरण के इस संपर्क रहित और जोखिम रहित तौर-तरीके का उपयोग कर रहे हैं।
ई-संजीवनी के दो मॉड्यूल हैं
ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी- डॉक्टर टू डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म- को भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत हब और स्पोक मॉडल में देश के सभी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर लागू किया जा रहा है। अब तक ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को 18,000 से ज्यादा स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों और 1,500 से ज्यादा हब में लागू किया गया है और दिसंबर 2022 तक टेलीमेडिसिन 1,55,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में चालू हो जाएगा। नवंबर 2019 में ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को शुरू कर दिया गया था और 22 राज्यों ने इस डिजिटल मोडेलिटी का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जहां 20 लाख के करीब मरीजों को डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा स्वास्थ्य सेवाएं दी गई हैं। विशेषज्ञों, डॉक्टरों और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों सहित कुल मिलाकर सभी 21,000 से अधिक उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है और ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी से जोड़ा गया है।
राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा का दूसरा मॉड्यूल ई-संजीवनीओपीडी है। इसे 28 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू किया गया है। ई-एसंजीनीओपीडी पर 350 से अधिक ओपीडी स्थापित किए गए हैं, इनमें से 300 से अधिक विशिष्ट ओपीडी हैं। 30,00,000 से अधिक मरीजों को ई-संजीवनीओपीडी के माध्यम से सेवा दी गई है, जो निशुल्क सेवा है। डिजिटल स्वास्थ्य का यह मॉड्यूल नागरिकों को उनके घर की चारदीवारी में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने को सक्षम बनाता है।
महामारी शुरू होने के बाद से, मरीजों और डॉक्टरों के बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा को तेजी से और व्यापक रूप से अपनाया गया है। ई-संजीवनी पहले से ही जरूरत से ज्यादा भार उठा रही देश की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली की एक समानांतर धारा के रूप में प्रदर्शन कर रही है। पिछले साल अप्रैल में शुरू किए जाने के समय, ई-संजीवनी की गैर-कोविड संबंधित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के मॉड्यूल के रूप में परिकल्पना की गयी थी, लेकिन ई-स्वास्थ्य के मॉड्यूल के संभावित लाभों को ध्यान में रखते हुए राज्यों ने कोविड-19 से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की खातिर ई-संजीवनी के इस्तेमाल के लिए तेजी सेप्रक्रियाएं और कार्य प्रगति तैयार की।राज्यों ने घरों में अलग-थलग रह रहे कोविड-19 के मरीजों की निगरानी और प्रबंधन के लिए ओपीडी स्थापित किए हैं।
कुछ राज्य विशेष होम आइसोलेशनओपीडी को चालू करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसमें मरीजों की कोविड-19 के लिए जांच की जाएगी। ये राज्य दूरस्थ रूप से कोविड-19 की जांच संबंधी उद्देश्यों के लिए एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों को शामिल करने की योजना बना रहे हैं। कोविड मामलों के बढ़ते भार के कारण, कुछ राज्यों में ई-संजीवनीका चौबीसों घंटे इस्तेमाल किया जा रहा है। तमिलनाडु ई-संजीवनी पर 10 लाख से अधिक परामर्श दर्ज करने वाला पहला राज्य है। रक्षा मंत्रालय ने भी कुछ राज्यों में जनता को अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवाओं के वरिष्ठ डॉक्टरों को शामिल किया है।
मोहाली में सी-डैक के केंद्र में, ई-संजीवनीके निर्माता ई-संजीवनीओपीडी में एक और नवीनसुविधा जोडऩे की दिशा में काम कर रहे हैं, जो ई-संजीवनीओपीडीपर नेशनलओपीडी शुरू करने में सक्षम करेगा। ये नेशनलओपीडी डॉक्टरों को देश के किसी भी हिस्से में मरीजों को दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाएंगे। यह कुछ हद तक देश के विभिन्न क्षेत्रों में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी और असमान वितरण जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा।
ई-संजीवनी अपनाने वाले शीर्ष 10 राज्यों में तमिलनाडु (1044446), कर्नाटक (936658), उत्तर प्रदेश (842643), आंध्र प्रदेश (835432), मध्य प्रदेश (250135), गुजरात (240422), बिहार (153957), केरल (127562), महाराष्ट्र (127550) और उत्तराखंड (103126) शामिल हैं।