November 22, 2024

भारत यात्रा पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने बुधवार को अफगानिस्तान पर काबिज होते जा रहे तालिबान को कड़ी हिदायतें दीं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान का बलपूर्वक कब्जा उस देश के लिए बर्बादी का सबब बन सकता है और खुद तालिबान भी ऐसा करके कुछ खास हासिल नहीं कर पाएगा। अमेरिका की ओर से यह सलाह ऐसे समय आई है, जबतालिबान लड़ाके अफगानिस्तान के अधिक से अधिक इलाकों पर कब्जा करने के अभियान में लगे हुए हैं और आसपास के ज्यादातर प्रभावशाली देश उन्हें रोकने का इंतजाम करने के बजाय उनसे हाथ मिलाने की तरकीबें खोज रहे हैं।
ब्लिंकेन ने नई दिल्ली में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अमेरिका भले अफगानिस्तान से अपनी फौजें हटा रहा है, लेकिन वह अपनी नजरें वहां से नहीं हटाएगा। अमेरिका का यह दावा खोखला है। सच तो यह है कि 9/11 आतंकवादी हमलों के बाद उसने अफगानिस्तान में अल कायदा और उसके आतंकवादियों को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ जो लड़ाई शुरू की थी, उसमें आखिरकार उसे हथियार डालने का फैसला करना पड़ा। बेशक, दो दशक लंबी चली इस लड़ाई में उसने अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने के साथ उसके आतंकवादी नेटवर्क को कमजोर करने में सफलता पाई। लेकिन न तो वह अल कायदा को खत्म कर पाया और ना ही तालिबान को कमजोर।
संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान के कई सूबों में अल कायदा का नेटवर्क मौजूद है। तालिबान पहले की तरह इन आतंकवादियों के संरक्षक बने हुए हैं। ऐसे संगीन हालात के बीच अमेरिका ने अफगानिस्तान से सेना बुलानी शुरू की तो तालिबान ने देश में अधिक से अधिक हिस्से पर कब्जे की मुहिम और तेज कर दी। आज अगर इस पूरे क्षेत्र में तालिबान के कारण अस्थिरता की स्थिति बन रही है तो उसके लिए अमेरिका ही दोषी है। इतना ही नहीं, उसके इस फैसले के कारण अफगानिस्तान में चीन का दखल बढऩे की आशंका भी पैदा हो गई है। ब्लिंकेन जब भारत से तालिबान को चेतावनी दे रहे थे, तभी मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की अगुआई में चीन गया तालिबान का एक डेलीगेशन वहां के विदेश मंत्री से बातचीत कर रहा था।
जहां चीन ने तालिबान को अफगानिस्तान की एक अहम सैनिक और राजनीतिक ताकत करार दिया, वहीं तालिबान ने आश्वस्त किया कि वह अफगानिस्तान की भूमि का चीन के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा। पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते भी किसी से छिपे नहीं हैं। इस बीच काबुल में अफगान सरकार की बेबसी बढ़ती जा रही है। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक बार फिर वैश्विक समुदाय को आगाह किया है कि यह बीसवीं सदी का तालिबान नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क और बहुराष्ट्रीय अपराधी नेटवर्क का एक मिला-जुला रूप है। इसलिए इसे रोकना ही होगा।

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