भाजपा राफेल रिश्वत को दफनाने की साजिश कर रही है : कांग्रेस
नई दिल्ली, । कांग्रेस ने राफेल डील पर भाजपा पर यह आरोप लगाते हुए कहां की रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवर एक बार फिर हो गया है। भाजपा सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का बलिदान दिया और भारतीय वायु सेना के चित्र को खतरे में डालकर देश के खजाने से हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाने का काम किया है पिछले 5 वर्षों से संदिग्ध राफेल डील मामले में पत्रकारों और पहेली का प्रत्येक टुकड़ा मोदी सरकार में बैठे सत्ता के उच्चतम स्तर तक लोगों तक जाता है। ऑपरेशन कब रात में नवीनतम खुलासे से राफेल भ्रष्टाचार को दफनाने के लिए मोदी सरकार सीबीआई और इन्हीं के बीच संदिग्ध 60 घाट का पता चलता है। 4 अक्टूबर को भाजपा के दो पूर्व केंद्रीय मंत्री और एक वरिष्ठ वकील ने राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए निदेशक सीबीआई को शिकायत सौंपी। 11 अक्टूबर 2008 को मोदी सरकार ने अपने अटॉर्नी जनरल के माध्यम से राफेल सौदे से जुड़े कमीशन के कथित भुगतान के संबंध में सीबीआई को दस्तावेजों की आपूर्ति की थी। वही 23 अक्टूबर 2008 को पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एक समिति ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को मध्यरात्रि में तख्तापलट कर दिया और दिल्ली पुलिस के माध्यम से सीबीआई मुख्यालय पर छापा मारा और इसके नायक एम नागेश्वर राव को सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया गया। यह सीबीआई के माध्यम से राफेल भूत को दफनाने की एक ठोस साजिश का हिस्सा था। मोदी सरकार और सीबीआई ने पिछले 36 महीनों से कमीशन और भ्रष्टाचार के सबूतों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? इसे मामले को क्यों दफनाया गया? मोदी सरकार ने मध्यरात्रि तख्तापलट में सीबीआई प्रमुख को क्यों हटाया। राफेल घोटाला तथाकथित ?60-?80 करोड़ का कमीशन भुगतान नहीं है। यह सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है और केवल एक स्वतंत्र जांच ही घोटाले का खुलासा करने में सक्षम है। कांग्रेस- यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526.10 करोड़ रुपये में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित एक राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी। मोदी सरकार ने वही राफेल लड़ाकू विमान (बिना किसी निविदा के) ?1670 करोड़ में खरीदा और भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना 36 जेट की लागत में अंतर लगभग ?41,205 करोड़ है।क्या मोदी सरकार जवाब देगी कि हम भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना उन्हीं 36 विमानों के लिए ?41,205 करोड़ अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं? किसने पैसा कमाया और कितनी रिश्वत दी? जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान ऑफ द शेल्फ कैसे खरीद सकते थे। कैसे बिचौलिए सुशेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था। वार्ताकारों से बातचीत के अंतिम चरण के दौरान और विशेष रूप से उन्होंने विमान की कीमत की गणना कैसे की। इससे डसॉल्ट एविएशन (राफेल) को साफ और सीधे तौर पर फायदा हुआ।ईडी ने घोटाले की जांच के लिए इन सबूतों को आगे क्यों नहीं बढ़ाया? तब मोदी सरकार ने दस्तावेजों को लीक करने वाले राजनीतिक कार्यकारी या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों डसॉल्ट के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? भारत के राष्ट्रीय रहस्य किस चौकीदार ने बेचे है। पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार विरोधी खंड यानी कोई रिश्वत नहीं, कोई उपहार नहीं, कोई प्रभाव नहीं, कोई कमीशन नहीं, कोई बिचौलिया नहीं को निरस्त कर दिया, जो रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार रक्षा अनुबंधों में अनिवार्य नीति है।क्या यह सही नहीं है कि भ्रष्टाचार विरोधी खंड यूपीए द्वारा 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए जारी निविदा का हिस्सा थे? क्या राफेल सौदे में रिश्वत और कमीशन की जिम्मेदारी से बचने के लिए भ्रष्टाचार विरोधी खंड हटा दिए गए थे।जुलाई 2015 में अंतर-सरकारी समझौते में रक्षा मंत्रालय के जोर देने के बावजूद, सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री और मोदी सरकार द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी खंड को हटाने की मंजूरी क्यों दी गई थी? क्या यही कारण है कि सीबीआई-ईडी ने 11 अक्टूबर 2018 से आज तक राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच से इनकार कर दिया। हमारी सीमाओं पर पाक-चीन की धुरी हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। एलएसी के पार बुनियादी ढांचे का निर्माण, नई हवाई पट्टियों का निर्माण, मिसाइल आदि गंभीर चिंता का विषय है।