September 20, 2024

पहाड़ में कृषि भूमि की खरीद असीमित छूट खत्म हो,डीएम को सौपा ज्ञापन

अल्मोड़ा  ( आखरीआंख समाचार )   पहाड़ मेंं  कृषि भूमि की असीमित खरीद की छूट देने वाले काले कानून को तत्काल वापस लिए जाने की मांग को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने यहां कलेक्ट्रेट में धरना दिया। इस मौके पर डीएम के माध्यम से प्रदेश के सीएम को ज्ञापन भी भेजा।
बुधवार को धरने के दौरान डीएम को दिए गए ज्ञापन में उन्होंने कहा कि बीते 8 दिसंबर को उत्तराखंड विधानसभा में पारित उत्तराखंड प्रदेश जमीदारी विनाश भूमि व्यवसाय अधिनियम 1950 अनूकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001 में किए गए संशोधन 2018 को परित करने का घोर विरोध करते हैं। इस कानून के जिरिये सरकार ने कथित औद्योगिक निवेश को बढ़वा देने के नाम पर पूंजीपतियों, माफियाओं को असीमित कृषि भूमि खरीदने की खुली छूट प्रदान करते हुए उन्हें अकृषि करने के झंझट से मुक्त कर दिया है, जो सदियों से यहां रह रहे मूल निवासी समाज को जड़ से उखाड़ कर तितरकृबितर करने का एक सुनियोजित पड़यंत्र है और उत्तराखंड राज्य की अवधारणा के​ खिलाफ है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के पीछे पर्वतीय, हिमालयी क्षेत्रों की अस्मिता की रक्षा उसकी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुरूप स्व शासन द्वारा विकास की अवधारणा को साकार करना मुख्य उद्देश्य था। इसलिए राज्य बनने के बाद यहां की सीमित जमीनों को बचाने के लिए बाहरी लोगों को मात्र 250 वर्ग मीटर भूमि आवासीय प्रयोजन हेतु खरीद की छूट दी गई। लेकिन राजनेताओं, नौकरशाहों, माफियाओं की मिली भगत से राज्य बनने के बाद भी हजारों एकड़ भूमि पर स्वार्थी तत्वों, सत्ता के बरीबियों का कब्जा हो गया हैं। प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल, जमीन की इस लूट के कारण उत्तराखंड के मूल व स्थाई निवासी तेजी से कंगाल हो रहे हैं और हम अपनी ही जमीनों पर धनपतियों द्वारा बनाए गए बंगलों में चौकीदार बनकर गुलामी करने अथवा पलायन को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शर्म की बात है कि राज्य बनने के बाद सत्ता में बैठे लोगों ने सोचीकृसमझी साजिश से भूमि सुधार, भूमि बंदोबश्त, चौकबंदी जैसे आवश्यक कदम नहीं उठाये। वरन् सत्ता के पिछले दरवाजे से याहं की भूमिहीनों, आपदा पीडि़तों, विस्थापितों का हक मारकर जमीनों की लूट को बढ़ावा दिया गया जो चिंता का विषय है। इसी वर्ष 06 अक्टूबर को ​कथित इंवैस्टर सम्मिट के एक दिन पहले आपकी सरकार ने अध्यादेश लाकर और अब इसी अध्यादेश को विधानसभा में पारित कर यह साबित कर दिया है कि आपकी डबल इंजन की सरकार की सोच ऐसे प्रापर्टी डीलरों जैसी है, जिन्हें अपने गांव, जन्मभूमि, मातृकृभूमि से कोई भावात्मक सरोकार नही होता। जनता के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले पक्षकृविपक्ष द्वारा बिना जरूरी बहस के ऐसे काले कानून को पारित करने वाले विधायकों के आचरण पर भी यह निर्णय एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने मांग की है कि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि की खरीद के लिए बनाए गए इस काले कानून को तत्काल निरस्त करने एवं उत्तराखंड में हिमांचल प्रदेश की तरह भूकृकानून लागू करने, पर्वतीय क्षेत्रों में तत्काल भूमि बंदोबस्त कर चकबंदी लागू करने, कृ​षि भूमि पर वास्तविक रूप से करने वाले किसानों के हितों का संरक्षण करने, राज्य बनने के बाद राज्य में जल, जंगल, जमीन पर कानूनी गैर कानूनी रूप से हुए कब्जों, बंदरबांट को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की। साथ ही मांग पूरी न होने पर उत्तराखंड की जनता से मिलकर इस काले कानून को रद्द कराने के लिए व्यापक जन अभियान शुरू करने को बाध्य होंगे। जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। ज्ञापन देने वालों व धरने में प्रकाश उनियाल, वंदना कोहली, रंजना सिंह, मनोज कुमार पंत, अंकिता पपनै, कुंदन सिंह भोज, जीवन चंद्र, ईश्वर जोशी, लक्ष्मी देवी, बीना बजाज, देवी लाल साह, रेखा धस्माना, पूरन सिंह मेहरा, चंपा सुयाल, राजू गिरी, आनंदी वर्मा, गोविंद सिंह मेहरा आदि मौजूद थे।