जमीन पर स्थिति चिंताजनक, देश को मज़बूत चरित्र वाला सीईसी चाहिए, चुनाव आयोग पर एससी की बड़ी टिप्पणी
नई दिल्ली । चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के सामने कई बड़े सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि 2007 के बाद से सभी मुख्य चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल कम क्यों रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि 2007 के बाद से सभी मुख्य चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल में कटौती क्यों की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने ये यूपीए के तहत और वर्तमान सरकार के तहत भी देखा है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार शामिल हैं।
संविधान पीठ ने कहा कि लोकतंत्र संविधान का मूल ढांचा है। उस पर कोई बहस नहीं है। हम भी संसद को कुछ करने के लिए नहीं कह सकते हैं और हम ऐसा नहीं करेंगे। हम सिर्फ उस मुद्दे पर कुछ करना चाहते हैं जो 1990 से उठाया जा रहा है। जमीनी स्तर पर स्थिति चिंताजनक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में संसद को सुधार लाने की जरूरत है। क्योंकि ये चुनाव आयोग के कामकाज को प्रभावित करता है। कोर्ट ने कहा कि इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता भी प्रभावित होती है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि 1991 के अधिनियम के तहत पद धारण करने वाले मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कार्यकाल छह साल का है। फिर उनका कार्यकाल कम क्यों रहता है!
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संविधान ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्तों के ‘नाजुक कंधों’ पर बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर टीएन शेषन की तरह के सुदृढ़ चरित्र वाले व्यक्ति की जरूरत है। गौरतलब है कि शेषन केंद्र सरकार में पूर्व कैबिनेट सचिव थे और उन्हें 12 दिसंबर, 1990 को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 11 दिसंबर, 1996 तक रहा। उनका निधन 10 नवंबर, 2019 को हो गया था।
न्यायमूर्ति के एम जोसफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि उसका प्रयास एक प्रणाली बनाने का है, ताकि सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने। पीठ ने कहा कि ‘अनेक मुख्य निर्वाचन आयुक्त हुए हैं, लेकिन टी एन शेषन एक ही हुए हैं। तीन लोगों (दो चुनाव आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त) के कमजोर कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गयी है। हमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को चुनना होगा। सवाल है कि हम सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को कैसे चुनें और कैसे नियुक्त करें।’